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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by RuralWater on Mon, 12/26/2016 - 11:59
Source:
Anupam Mishra


अनुपम मिश्रहम सभी के अपने श्री अनुपम मिश्र नहीं रहे। इस समाचार ने पानी-पर्यावरण जगत से जुड़े लोगों को विशेष तौर पर आहत किया। अनुपम जी ने जीवन भर क्या किया; इसका एक अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अनुपम जी के प्रति श्रद्धांजलि सभाओं के आयोजन का दौर इस संवाद को लिखे जाने के वक्त भी देश भर में जारी है।

पंजाब-हरियाणा में आयोजित श्रद्धांजलि सभाओं से भाग लेकर दिल्ली पहुँचे पानी कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह ने खुद यह समाचार मुझे दिया। राजेन्द्र जी से इन सभाओं का वृतान्त जानने 23 दिसम्बर को गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान पहुँचा, तो सूरज काफी चढ़ चुका था; 10 बज चुके थे; बावजूद इसके राजेन्द्र जी बिस्तर की कैद में दिखे। कारण पूछता, इससे पहले उनकी आँखें भर आईं और आवाज भरभरा उठी।

Submitted by RuralWater on Sat, 12/24/2016 - 11:28
Source:
सच्चाई और साफगोई के व्यक्तित्व-अनुपम मिश्र को समर्पित

अनुपम मिश्रविश्वविद्यालय परिसर में अनेकों बार उनसे मुलाकात हुई, साथ बैठने का सानिध्य भी मिला। जबसे कुछ-कुछ समझने लगा हूँ- दो दशक में, लोग मिले लेकिन चेहरे अलग और मुखौटे के पीछे कुछ और। बहुत कम मिले, जो भीतर-बाहर एक समान हों, उनमें से सहज-सरल-प्रतिभा सम्पन्न शख्स जो होगा, जाहिर तौर पर अनुपम ही होगा।

मिश्र जी जब सहजता से हाथ पकड़कर, समझाते थे तो लगता कि यह कोई संरक्षक या गुरुत्व का आडम्बर नहीं ओढ़े हैं, सहज मित्रवत, या उनके ही शब्दों में “भक्ति सूरदास सी जिसमें छोटे-बड़े का भाव ही नहीं है, फिर काहे ढँकना-छिपाना। या कि होगा कोई बड़े घराने का या कि राजकुमार, जब साथ है तो कोई क्या गरीब-क्या अमीर, कृष्ण-सुदामा सा सख्यभाव।”
Submitted by Hindi on Thu, 12/22/2016 - 11:59
Source:
परिषद साक्ष्य धरती का ताप, जनवरी-मार्च 2006

अनुपम मिश्रयह कागद मैं उन्हीं अनुपम मिश्र और उनके काम पर काले कर रहा हूँ, जिनका जिक्र आपने कई बार देखा और पढ़ा होगा। यह जीने का वह रवैया है जिसे पहले समझे बिना अनुपम मिश्र के काम और उसे करने के तरीके को समझना मुश्किल है। जो बहुत सीधा-सपाट और समर्पित दिखता है वह वैसा ही होता तो जिन्दगी रेगिस्तान की सीधी और समतल सड़क की तरह उबाऊ होती।

आप, हम सब एक पहलू के लोग होते और दुनिया लम्बाई चौड़ाई और गहराई के तीन पहलुओं वाली बहुरूपी और अनन्त सम्भावनाओं से भरी नहीं होती। विराट पुरुष की कृपा है कि जीवन-संसार अनन्त और अगम्य है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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तालाब जितने सुन्दर व श्रेष्ठ होंगे, अनुपम की आत्मा उतना सुख पाएगी - राजेन्द्र सिंह

Submitted by RuralWater on Mon, 12/26/2016 - 11:59
Author
अरुण तिवारी
Anupam Mishra


अनुपम मिश्रअनुपम मिश्रहम सभी के अपने श्री अनुपम मिश्र नहीं रहे। इस समाचार ने पानी-पर्यावरण जगत से जुड़े लोगों को विशेष तौर पर आहत किया। अनुपम जी ने जीवन भर क्या किया; इसका एक अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अनुपम जी के प्रति श्रद्धांजलि सभाओं के आयोजन का दौर इस संवाद को लिखे जाने के वक्त भी देश भर में जारी है।

पंजाब-हरियाणा में आयोजित श्रद्धांजलि सभाओं से भाग लेकर दिल्ली पहुँचे पानी कार्यकर्ता राजेन्द्र सिंह ने खुद यह समाचार मुझे दिया। राजेन्द्र जी से इन सभाओं का वृतान्त जानने 23 दिसम्बर को गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान पहुँचा, तो सूरज काफी चढ़ चुका था; 10 बज चुके थे; बावजूद इसके राजेन्द्र जी बिस्तर की कैद में दिखे। कारण पूछता, इससे पहले उनकी आँखें भर आईं और आवाज भरभरा उठी।

अच्छे-अच्छे काम करते जाना

Submitted by RuralWater on Sat, 12/24/2016 - 11:28
Author
आशुतोष जोशी

सच्चाई और साफगोई के व्यक्तित्व-अनुपम मिश्र को समर्पित



अनुपम मिश्रअनुपम मिश्रविश्वविद्यालय परिसर में अनेकों बार उनसे मुलाकात हुई, साथ बैठने का सानिध्य भी मिला। जबसे कुछ-कुछ समझने लगा हूँ- दो दशक में, लोग मिले लेकिन चेहरे अलग और मुखौटे के पीछे कुछ और। बहुत कम मिले, जो भीतर-बाहर एक समान हों, उनमें से सहज-सरल-प्रतिभा सम्पन्न शख्स जो होगा, जाहिर तौर पर अनुपम ही होगा।

मिश्र जी जब सहजता से हाथ पकड़कर, समझाते थे तो लगता कि यह कोई संरक्षक या गुरुत्व का आडम्बर नहीं ओढ़े हैं, सहज मित्रवत, या उनके ही शब्दों में “भक्ति सूरदास सी जिसमें छोटे-बड़े का भाव ही नहीं है, फिर काहे ढँकना-छिपाना। या कि होगा कोई बड़े घराने का या कि राजकुमार, जब साथ है तो कोई क्या गरीब-क्या अमीर, कृष्ण-सुदामा सा सख्यभाव।”

यह अनुपम आदमी

Submitted by Hindi on Thu, 12/22/2016 - 11:59
Author
प्रभाष जोशी
Source
परिषद साक्ष्य धरती का ताप, जनवरी-मार्च 2006

अनुपम मिश्रअनुपम मिश्रयह कागद मैं उन्हीं अनुपम मिश्र और उनके काम पर काले कर रहा हूँ, जिनका जिक्र आपने कई बार देखा और पढ़ा होगा। यह जीने का वह रवैया है जिसे पहले समझे बिना अनुपम मिश्र के काम और उसे करने के तरीके को समझना मुश्किल है। जो बहुत सीधा-सपाट और समर्पित दिखता है वह वैसा ही होता तो जिन्दगी रेगिस्तान की सीधी और समतल सड़क की तरह उबाऊ होती।

आप, हम सब एक पहलू के लोग होते और दुनिया लम्बाई चौड़ाई और गहराई के तीन पहलुओं वाली बहुरूपी और अनन्त सम्भावनाओं से भरी नहीं होती। विराट पुरुष की कृपा है कि जीवन-संसार अनन्त और अगम्य है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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