तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

2.5 एकड़ जमीन से दस-बारह लाख रु. की सालाना आमदनी!,फोटो:इंडिया वाटर पोर्टल, फ्लिकर )
हरियाणा के सोनीपत जिले का अकबरपुर बरोटा गांव। यहां आने के पहले आपके मस्तिष्क में गांव और खेती का कोई और चित्र भले ही हो, परंतु यहां आते ही खेत, खेती एवं किसान के बारे में आपकी धारणा पूरी तरह बदल जाएगी। इस गांव में स्थित है श्री रमेश डागर का माडल कृषि फार्म जो उनके अथक प्रयासों एवं प्रयोगधर्मिता की कहानी खुद सुनाता प्रतीत होता है। उनकी किसानी के कई ऐसे पहलू हैं, जिनके बारे में आम किसान सोचता ही नहीं। आइए जानते हैं, ऐसे कुछ पहलुओं के बारे में उन्हीं के शब्दों में…
प्रश्न : रमेशजी आज आप हर दृष्टि से एक सफल किसान हैं। हम आपके शुरुआती दिनों के बारे में जानना चाहेंगे।
रमेश डागर : बात सन् 1970 की है, घर की परिस्थितियों के कारण मुझे मैट्रिक स्तर पर ही पढ़ाई छोड़कर खेती में लगना पड़ा। तब मेरे पास केवल 16 एकड़ जमीन थी। शुरू में मैं भी वैसे ही खेती करता था जैसे बाकी लोग किया करते थे। मैंने पहले-पहले बाजरे की फसल लगाई थी, फसल अच्छी हुई, लाभ भी हुआ। फिर गेहूं की फसल लगाई, जिसमें खर-पतवार इतना
2.5 एकड़ जमीन से दस-बारह लाख रु. की सालाना आमदनी!,फोटो:इंडिया वाटर पोर्टल, फ्लिकर )
हरियाणा के सोनीपत जिले का अकबरपुर बरोटा गांव। यहां आने के पहले आपके मस्तिष्क में गांव और खेती का कोई और चित्र भले ही हो, परंतु यहां आते ही खेत, खेती एवं किसान के बारे में आपकी धारणा पूरी तरह बदल जाएगी। इस गांव में स्थित है श्री रमेश डागर का माडल कृषि फार्म जो उनके अथक प्रयासों एवं प्रयोगधर्मिता की कहानी खुद सुनाता प्रतीत होता है। उनकी किसानी के कई ऐसे पहलू हैं, जिनके बारे में आम किसान सोचता ही नहीं। आइए जानते हैं, ऐसे कुछ पहलुओं के बारे में उन्हीं के शब्दों में…
प्रश्न : रमेशजी आज आप हर दृष्टि से एक सफल किसान हैं। हम आपके शुरुआती दिनों के बारे में जानना चाहेंगे।
रमेश डागर : बात सन् 1970 की है, घर की परिस्थितियों के कारण मुझे मैट्रिक स्तर पर ही पढ़ाई छोड़कर खेती में लगना पड़ा। तब मेरे पास केवल 16 एकड़ जमीन थी। शुरू में मैं भी वैसे ही खेती करता था जैसे बाकी लोग किया करते थे। मैंने पहले-पहले बाजरे की फसल लगाई थी, फसल अच्छी हुई, लाभ भी हुआ। फिर गेहूं की फसल लगाई, जिसमें खर-पतवार इतना
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