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स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद - पाँचवाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है:
दिसम्बर, 2008 तक मैंने तय कर लिया था कि फिर अनशन करुँगा। मेरे सामने प्रश्न था कि कहाँ करुँ? दिल्ली में पहला अनशन तो मैंने महाराणा प्रताप भवन में किया था।
27-28 जून तक वे भी कहने लगे थे कि कब खाली करोगे। मैंने सोचा कि दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित मालवीय स्मृति भवन में करुँ। सोच थी कि इसे बीएचयू एलुमनी एसोसिएशन ने बनवाया है; मैं भी बीएचयू एलुमनी ही हूँ और मालवीय जी का गंगाजी के लिये बहुत कन्ट्रीब्युशन था; अच्छा रहेगा। बी एम जायसवाल, मालवीय भवन के प्रबन्धक थे। उनसे मिला। वह खुश थे। उन्होंने कहा कि बोर्ड बदल गया है। अब महेश शर्मा जी इसके अध्यक्ष हैं। गिरधर मालवीय जी भी बोर्ड में हैं। बाद में पता चला कि ये तीनों समर्थन में थे, लेकिन सांसद राजा कर्णसिंह जी ने मना कर दिया।
उम्मीद थी कि लोगों को जीवन जीने की कला सिखाने वाला ‘आर्ट ऑफ लिविंग’, यमुना के जीवन जीने की कला में खलल डालने से बचेगा; साथ ही वह यह भी नहीं चाहेगा कि उनके आयोजन में आकर कोई यमुना प्रेमी खलल डाले। किन्तु इस लेख के लिखे जाने तक जो क्रिया और प्रतिक्रिया हुई, उससे इस उम्मीद को झटका लगा है।
गौरतलब है कि इस आयोजन को मंजूरी दिये जाने के विरोध में ‘यमुना जिये अभियान’ संयोजक श्री मनोज मिश्र ने राष्ट्रीय हरित पंचाट में अपनी याचिका दायर कर दी है। याचिका में कहा गया है कि प्रतिबन्ध के बावजूद यमुना खादर की करीब 25 हेक्टेयर पर मलबा डम्प किया जा रहा है। उन्होंने इसे यमुना के पर्यावास के लिये घातक बताया है।
पिछले पखवाड़े ये संकेत मिल गया कि नमामि गंगे की गाड़ी की स्टेरिंग तो गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती के हाथों में ही रहेगी लेकिन ब्रेक, क्लच, एक्सीलेटर और गेयर पर नियंत्रण दूसरे मंत्रियों और पीएमओ का रहेगा।
अपेक्षित परिणाम ना मिलते देख पीएमओ ने नमामि गंगे से कई मंत्रालयों को जोड़ दिया है अब पर्यावरण मंत्रालय, सड़क एवं परिवहन, मानव संसाधन मंत्रालय, स्वच्छता एवं पेयजल मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, युवा एवं खेल मंत्रालय, पोत परिवहन मंत्रालय मिलकर नमामि गंगे की गाड़ी को आगे बढ़ाएँगे।
इन मंत्रालयों के बीच 30 जनवरी को एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये गए हैं। सहमति पत्र के अनुसार, गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने के लिये सात मुख्य क्षेत्रों की पहचान की गई है साथ ही 21 कार्य बिन्दु तय किये गए हैं।
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स्पष्ट हुई आदेश और अपील की मिलीभगत - स्वामी सानंद
स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद - पाँचवाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है:
दिसम्बर, 2008 तक मैंने तय कर लिया था कि फिर अनशन करुँगा। मेरे सामने प्रश्न था कि कहाँ करुँ? दिल्ली में पहला अनशन तो मैंने महाराणा प्रताप भवन में किया था।
27-28 जून तक वे भी कहने लगे थे कि कब खाली करोगे। मैंने सोचा कि दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित मालवीय स्मृति भवन में करुँ। सोच थी कि इसे बीएचयू एलुमनी एसोसिएशन ने बनवाया है; मैं भी बीएचयू एलुमनी ही हूँ और मालवीय जी का गंगाजी के लिये बहुत कन्ट्रीब्युशन था; अच्छा रहेगा। बी एम जायसवाल, मालवीय भवन के प्रबन्धक थे। उनसे मिला। वह खुश थे। उन्होंने कहा कि बोर्ड बदल गया है। अब महेश शर्मा जी इसके अध्यक्ष हैं। गिरधर मालवीय जी भी बोर्ड में हैं। बाद में पता चला कि ये तीनों समर्थन में थे, लेकिन सांसद राजा कर्णसिंह जी ने मना कर दिया।
हरित पंचाट पहुँची यमुना
उम्मीद थी कि लोगों को जीवन जीने की कला सिखाने वाला ‘आर्ट ऑफ लिविंग’, यमुना के जीवन जीने की कला में खलल डालने से बचेगा; साथ ही वह यह भी नहीं चाहेगा कि उनके आयोजन में आकर कोई यमुना प्रेमी खलल डाले। किन्तु इस लेख के लिखे जाने तक जो क्रिया और प्रतिक्रिया हुई, उससे इस उम्मीद को झटका लगा है।
गौरतलब है कि इस आयोजन को मंजूरी दिये जाने के विरोध में ‘यमुना जिये अभियान’ संयोजक श्री मनोज मिश्र ने राष्ट्रीय हरित पंचाट में अपनी याचिका दायर कर दी है। याचिका में कहा गया है कि प्रतिबन्ध के बावजूद यमुना खादर की करीब 25 हेक्टेयर पर मलबा डम्प किया जा रहा है। उन्होंने इसे यमुना के पर्यावास के लिये घातक बताया है।
कुछ यू चलेगी नमामि गंगे की गाड़ी
पिछले पखवाड़े ये संकेत मिल गया कि नमामि गंगे की गाड़ी की स्टेरिंग तो गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती के हाथों में ही रहेगी लेकिन ब्रेक, क्लच, एक्सीलेटर और गेयर पर नियंत्रण दूसरे मंत्रियों और पीएमओ का रहेगा।
अपेक्षित परिणाम ना मिलते देख पीएमओ ने नमामि गंगे से कई मंत्रालयों को जोड़ दिया है अब पर्यावरण मंत्रालय, सड़क एवं परिवहन, मानव संसाधन मंत्रालय, स्वच्छता एवं पेयजल मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, युवा एवं खेल मंत्रालय, पोत परिवहन मंत्रालय मिलकर नमामि गंगे की गाड़ी को आगे बढ़ाएँगे।
इन मंत्रालयों के बीच 30 जनवरी को एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये गए हैं। सहमति पत्र के अनुसार, गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने के लिये सात मुख्य क्षेत्रों की पहचान की गई है साथ ही 21 कार्य बिन्दु तय किये गए हैं।
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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