तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

काँवर झील के दिन फिरने के आसार हैं। राज्य सरकार को अपने सारे अधिकारों का प्रयोग करके झील का संरक्षण करने और निगरानी रखने का आदेश पटना हाईकोर्ट ने दिया है। गंगा और बूढ़ी गंडक नदियों के बीच बेगूसराय जिले में करीब एक हजार एकड़ में फैला ‘काँवर झील पक्षी-विहार’ सैकड़ों प्रवासी पक्षियों और असंख्य जीव-जन्तुओं का निवास स्थल है।
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि संरक्षण उपायों से इसकी जैव-विविधता बच सकेगी। इसमें लगभग 140 किस्म के पेड़ पौधे, 170 नस्ल के पक्षी जिसमें 58 प्रवासी पक्षी हैं, 41 तरह की मछलियाँ और अनेक तरह के कीड़े मकोड़े-अथ्रोपोडस, मुलस और फाइटो प्लैन्कोटस आदि के अलावा अनेक तरह की वनस्पति व जैविक प्रजातियों का वास है जिनका खोज होना अभी बाकी है।
इलेक्ट्रानिक सिटी और व्हाइट फील्ड के बीच का इलाका बंगलुरु का आईटी कॉरीडोर कहलाता है, सरजापुर इसी कॉरीडोर के बीच में तेजी से विकसित हुआ इलाका है। दस-पन्द्रह साल पहले तक यहाँ धान के खेत और नारियल के बाग हुआ करते थे लेकिन आज ऊँची इमारतें, मॉल, ढेरों अपार्टमेंट क्लस्टर, विला और गेटेड कम्यूनिटी वाले रिहायशी टाउनशिप हैं।
सरजापुर रोड पर स्थित 'रेनबो ड्राइव' कॉलोनी भी इन्हीं में से एक है लेकिन इन सबसे बहुत अलग है, 360 प्लाट वाले इस रिहायशी कॉलोनी के 250 घरों में जो लोग रहते हैं वो बगैर बंगलुरु नगर निगम से पानी लिये हुए या बगैर पानी का टैंकर मंगवाए ना सिर्फ पानी की अपनी-अपनी जरूरतों के मामले में आत्मनिर्भर हैं बल्कि अतिरिक्त पानी दूसरों को भी देते हैं। और ये सम्भव हुआ है उनके पानी बचाने, संग्रह करने और पुनः इस्तेमाल लायक साफ करने से।
स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद का चौथा कथन, आपके समक्ष पठन-पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है :
18 जून को ऊर्जा सचिव, मेरे लिये उत्तराखण्ड सरकार का पत्र लेकर आये। मैंने उन्हें धन्यवाद किया; लिखा कि यदि उत्तराखण्ड ने यह बलिदान किया है, तो इसकी एवज में उत्तराखण्ड को कम्पनसेट करना चाहिए। मैं भी उसमें कन्ट्रीब्यूट करने को तैयार हूँ। इसी क्रम में 20 जून की दोपहर डैम समर्थकों का एक समूह आया। ठेकेदार लोग थे। उन्होंने मारपीट करने की कोशिश की। मेरा सारा परिवार वहाँ था; सो मारपीट तो नहीं कर पाये, लेकिन गाली-गलौच तो उन्होंने की ही।
दिल्ली शिफ्ट करने का निर्णय और साथी
जैसा कि मैंने पहले तय किया था, पत्र मिलने के बाद मैंने आगे का अनशन दिल्ली में जारी रखने की निश्चय दोहराया। यह निर्णय मेरा था, लेकिन मेरे इस निर्णय पर आदरणीय शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी, राजेन्द्र सिंह जी इससे खुश नहीं थे।
काँवर झील के दिन फिरने के आसार हैं। राज्य सरकार को अपने सारे अधिकारों का प्रयोग करके झील का संरक्षण करने और निगरानी रखने का आदेश पटना हाईकोर्ट ने दिया है। गंगा और बूढ़ी गंडक नदियों के बीच बेगूसराय जिले में करीब एक हजार एकड़ में फैला ‘काँवर झील पक्षी-विहार’ सैकड़ों प्रवासी पक्षियों और असंख्य जीव-जन्तुओं का निवास स्थल है।
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि संरक्षण उपायों से इसकी जैव-विविधता बच सकेगी। इसमें लगभग 140 किस्म के पेड़ पौधे, 170 नस्ल के पक्षी जिसमें 58 प्रवासी पक्षी हैं, 41 तरह की मछलियाँ और अनेक तरह के कीड़े मकोड़े-अथ्रोपोडस, मुलस और फाइटो प्लैन्कोटस आदि के अलावा अनेक तरह की वनस्पति व जैविक प्रजातियों का वास है जिनका खोज होना अभी बाकी है।
इलेक्ट्रानिक सिटी और व्हाइट फील्ड के बीच का इलाका बंगलुरु का आईटी कॉरीडोर कहलाता है, सरजापुर इसी कॉरीडोर के बीच में तेजी से विकसित हुआ इलाका है। दस-पन्द्रह साल पहले तक यहाँ धान के खेत और नारियल के बाग हुआ करते थे लेकिन आज ऊँची इमारतें, मॉल, ढेरों अपार्टमेंट क्लस्टर, विला और गेटेड कम्यूनिटी वाले रिहायशी टाउनशिप हैं।
सरजापुर रोड पर स्थित 'रेनबो ड्राइव' कॉलोनी भी इन्हीं में से एक है लेकिन इन सबसे बहुत अलग है, 360 प्लाट वाले इस रिहायशी कॉलोनी के 250 घरों में जो लोग रहते हैं वो बगैर बंगलुरु नगर निगम से पानी लिये हुए या बगैर पानी का टैंकर मंगवाए ना सिर्फ पानी की अपनी-अपनी जरूरतों के मामले में आत्मनिर्भर हैं बल्कि अतिरिक्त पानी दूसरों को भी देते हैं। और ये सम्भव हुआ है उनके पानी बचाने, संग्रह करने और पुनः इस्तेमाल लायक साफ करने से।
स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद का चौथा कथन, आपके समक्ष पठन-पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है : 18 जून को ऊर्जा सचिव, मेरे लिये उत्तराखण्ड सरकार का पत्र लेकर आये। मैंने उन्हें धन्यवाद किया; लिखा कि यदि उत्तराखण्ड ने यह बलिदान किया है, तो इसकी एवज में उत्तराखण्ड को कम्पनसेट करना चाहिए। मैं भी उसमें कन्ट्रीब्यूट करने को तैयार हूँ। इसी क्रम में 20 जून की दोपहर डैम समर्थकों का एक समूह आया। ठेकेदार लोग थे। उन्होंने मारपीट करने की कोशिश की। मेरा सारा परिवार वहाँ था; सो मारपीट तो नहीं कर पाये, लेकिन गाली-गलौच तो उन्होंने की ही।
जैसा कि मैंने पहले तय किया था, पत्र मिलने के बाद मैंने आगे का अनशन दिल्ली में जारी रखने की निश्चय दोहराया। यह निर्णय मेरा था, लेकिन मेरे इस निर्णय पर आदरणीय शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी, राजेन्द्र सिंह जी इससे खुश नहीं थे।
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