तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

गंगा सफाई के सवाल पर एक अहम बात यह भी है कि जिस गंगा की सफाई की बात हम कर रहे हैं वह गंगा है भी कि नहीं। कानपुर और बनारस में तो गंगा है ही नहीं, गंगा के नाम पर चम्बल और बेतवा का पानी गन्दले नाले में तब्दील हो चला है।
गंगा समग्र यात्रा के दौरान कानपुर में अपने भाषण में उमा भारती ने दो बातें कही थीं। उन्होंने दावा किया था कि सरकार बनते ही ये दोनों काम उनकी प्राथमिकता में होंगे। पहला, कानपुर के गंगा जल को आचमन के योग्य बनाएँगे और दूसरा यह कि गौ हत्या पर ऐसा कानून बनाया जाएगा कि असली गाय तो दूर कोई कागज पर बनी गाय को काटने की भी हिम्मत नहीं कर पायेगा। लेकिन यहाँ हम बात केवल गंगा की कर रहे हैं।
तो कानपुर से ही बात शुरू करते हैं, इन पंक्तियों के लेखक का दावा है कि कानपुर में गंगा जल है ही नहीं। तो फिर आचमन योग्य किस चीज को बनाया जाएगा? कानपुर, गंगा पथ का ऐसा अभागा शहर है जहाँ नाव पतवार से नहीं बाँस से चलती है।
गंगा सफाई के सवाल पर एक अहम बात यह भी है कि जिस गंगा की सफाई की बात हम कर रहे हैं वह गंगा है भी कि नहीं। कानपुर और बनारस में तो गंगा है ही नहीं, गंगा के नाम पर चम्बल और बेतवा का पानी गन्दले नाले में तब्दील हो चला है। गंगा समग्र यात्रा के दौरान कानपुर में अपने भाषण में उमा भारती ने दो बातें कही थीं। उन्होंने दावा किया था कि सरकार बनते ही ये दोनों काम उनकी प्राथमिकता में होंगे। पहला, कानपुर के गंगा जल को आचमन के योग्य बनाएँगे और दूसरा यह कि गौ हत्या पर ऐसा कानून बनाया जाएगा कि असली गाय तो दूर कोई कागज पर बनी गाय को काटने की भी हिम्मत नहीं कर पायेगा। लेकिन यहाँ हम बात केवल गंगा की कर रहे हैं।
तो कानपुर से ही बात शुरू करते हैं, इन पंक्तियों के लेखक का दावा है कि कानपुर में गंगा जल है ही नहीं। तो फिर आचमन योग्य किस चीज को बनाया जाएगा? कानपुर, गंगा पथ का ऐसा अभागा शहर है जहाँ नाव पतवार से नहीं बाँस से चलती है।
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