तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

सवाल अहम है कि एनजीटी के इस आदेश से निकला सन्देश क्या दूर तलक जाएगा? क्या बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड यानी बीओडी और डीओ के बहाने छिड़ी बहस किसी अच्छे नतीजे पर पहुँचेगी? क्या हम जल जीवों के लिए ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाकर उनकी ऑक्सीजन की माँग कम कर पाएँगे? या हम होटलों और व्यावसायियों की लॉबी के दबाव में दब कर तमाम मानक बदल देंगे? क्या हरिद्वार और उड़ीसा के प्रदूषण फैलाने वाले होटलों को सबक सिखाने का यह कदम पूरे देश पर असर डालेगा? निश्चित तौर पर पर्यावरण संरक्षण विरोधी इस माहौल में एनजीटी एक नया माहौल बनाएगा और नई चेतना का संचार करेगा?
एक हिन्दी फिल्म में खलनायक एक डायलॉग बोलता है- “हम तुम्हें लिक्विड ऑक्सीजन में डाल देंगे। लिक्विड तुम्हें जीने नहीं देगा और ऑक्सीजन तुम्हें मरने नहीं देगा।” कुछ इसी तरह की रोचक बहस बीओडी यानी बायो ऑक्सीजन डिमांड और डिजाल्व्ड ऑक्सीजन के मानकों के बारे उत्तराखंड से उड़ीसा तक चल रही है। राष्ट्रीय हरित पंचाट यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की जाँच में रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद उड़ीसा के जिन 60 होटलों पर बंद होने की तलवार लटक रही है। उनकी दलील है कि 1986 का पर्यावरण संरक्षण अधिनियम बीओडी का स्तर 350 मिलीग्राम प्रति लीटर तक मान्य करता है। इसलिए उड़ीसा राज्य प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड का 75 मिली ग्राम प्रति लीटर का मानक बहुत सख्त है। इसके जवाब में बोर्ड की दलील थी कि केन्द्रीय कानून राज्य बोर्ड को अपने ढँग से मानक तय करने का अधिकार देता है।आज गंगा दशहरा है। 28 मई, दिन गुरुवार, पंचाग के हिसाब से ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि ! श्री काशीविश्वनाथ की कलशयात्रा का पवित्र दिन। कभी इसी दिन बिन्दुसर के तट पर राजा भगीरथ का तप सफल हुआ। पृथ्वी पर गंगा अवतरित हुई। ‘‘ग अव्ययं गमयति इति गंगा’’ - जो स्वर्ग ले जाये, वह गंगा है।
सवाल अहम है कि एनजीटी के इस आदेश से निकला सन्देश क्या दूर तलक जाएगा? क्या बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड यानी बीओडी और डीओ के बहाने छिड़ी बहस किसी अच्छे नतीजे पर पहुँचेगी? क्या हम जल जीवों के लिए ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाकर उनकी ऑक्सीजन की माँग कम कर पाएँगे? या हम होटलों और व्यावसायियों की लॉबी के दबाव में दब कर तमाम मानक बदल देंगे? क्या हरिद्वार और उड़ीसा के प्रदूषण फैलाने वाले होटलों को सबक सिखाने का यह कदम पूरे देश पर असर डालेगा? निश्चित तौर पर पर्यावरण संरक्षण विरोधी इस माहौल में एनजीटी एक नया माहौल बनाएगा और नई चेतना का संचार करेगा?
एक हिन्दी फिल्म में खलनायक एक डायलॉग बोलता है- “हम तुम्हें लिक्विड ऑक्सीजन में डाल देंगे। लिक्विड तुम्हें जीने नहीं देगा और ऑक्सीजन तुम्हें मरने नहीं देगा।” कुछ इसी तरह की रोचक बहस बीओडी यानी बायो ऑक्सीजन डिमांड और डिजाल्व्ड ऑक्सीजन के मानकों के बारे उत्तराखंड से उड़ीसा तक चल रही है। राष्ट्रीय हरित पंचाट यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की जाँच में रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद उड़ीसा के जिन 60 होटलों पर बंद होने की तलवार लटक रही है। उनकी दलील है कि 1986 का पर्यावरण संरक्षण अधिनियम बीओडी का स्तर 350 मिलीग्राम प्रति लीटर तक मान्य करता है। इसलिए उड़ीसा राज्य प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड का 75 मिली ग्राम प्रति लीटर का मानक बहुत सख्त है। इसके जवाब में बोर्ड की दलील थी कि केन्द्रीय कानून राज्य बोर्ड को अपने ढँग से मानक तय करने का अधिकार देता है।
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