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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Shivendra on Sun, 08/10/2014 - 15:45
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बुंदेलखंड : पलायन की निरंतरता, 2012, विकास संवाद
पिछले एक दशक में बुंदेलखंड से हो रहे पलायन एवं अकाल की निरंतरता पर काफी कुछ लिखा जा चुका है। कई तरह से यहां की आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक स्थितियों का विश्लेषण तकरीबन सभी विधाओं के संत यानि विद्वान लोग कर चुके हैं। इसके बावजूद क्या कहने, सुनने और लिखने को कुछ बच रहता है? निश्चित तौर पर कुछ-न-कुछ तो हमेशा ही बच रहता है। बुंदेलखंड का गौरवशाली अतीत रहा है। यह क्षेत्र कला और साहित्य में भी अग्रणी रहा है। वैसे शस्त्रकला का तो यह स्तंभ रहा है। यहां के जंगल अत्यंत घने एवं जैव विविधता भरे थे।
Submitted by Shivendra on Thu, 08/07/2014 - 16:14
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जनसत्ता (रविवारी), 03 अगस्त 2014
hill
मशहूर नगरी नैनीताल की कई पहाड़ियां भूस्खलन की दृष्टि से काफी संवेदनशील हैं। पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों की चेतावनी के बावजूद सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। इस बारे में बता रहे हैं प्रयाग पांडे।
Submitted by Shivendra on Thu, 08/07/2014 - 10:58
Source:
पिछले तीन दशकों में बड़े बांधों को लेकर दुनिया में जो बहस हुई उसने छोटे-छोटे बांधों की दिशा में सरकारों को सोचने के लिए बाध्य कर दिया है और कई देशों ने अपने बड़े बांधों को तोड़ा है। अब पंचेश्वर जैसा दुनिया का बड़ा बांध एक बार फिर विश्व के पटल पर वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, आमजन और सरकार के बीच निश्चित ही चर्चा का विषय बनेगा।

अब केवल यही अध्ययन होगा कि किन बांधों को पहले बनाया जाए और प्रतियोगिता होगी कि उस सरकार ने तो टिहरी बांध और हम इससे भी बड़ा बनाएंगे। यह कठिन दौर हिमालय के निवासियों को आने वाले दिनों में देखना पड़ेगा। जबकि सुझाव है कि यहां पर छोटी-छोटी परियोजनाएं बने। एक आंकलन के आधार पर मौेजूदा सिंचाई नहरों से 30 हजार मेगावाट बिजली बन सकती है, इससे स्थानीय युवकों को रोजगार मिल सकता है। आगे पानी और पलायन की समस्या का समाधान भी हो सकता है लेकिन इसका काम कौन भगीरथ करेगा?

नर्मदा और टिहरी में बड़े बांधों के निर्माण के बाद अब फिर से हिमालय में पंचेश्वर जैसा दुनिया का सबसे बड़ा बांध भारत-नेपाल की सीमा पर बहने वाली महाकाली नदी पर बनाने की पुनः तैयारी चल रही है। अभी हाल ही में नेपाल की यात्रा पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कुमार कोइराला के साथ मिलकर इस बांध निर्माण के लिए एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।

इसके आधार पर पंचेश्वर विकास प्राधिकरण को महत्व देकर समझौता हुआ है कि इसका कार्यालय नेेेपाल के कंचनपुर में होगा, जिसमें भारत औेर नेपाल से 6-6 अधिकारी होंगे। बिजली उत्पादन पर दोनों देशों का बराबर हक होगा, लेकिन इस परियोजना पर होने वाले कुल खर्च में से भारत 62.5 प्रतिशत और नेपाल शेेष 37.5 प्रतिशत राशि खर्च करेगा।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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बुंदेलखंड और पलायन

Submitted by Shivendra on Sun, 08/10/2014 - 15:45
Author
चिन्मय मिश्र और सचिन जैन
bundelkhand-aur-palayan
Source
बुंदेलखंड : पलायन की निरंतरता, 2012, विकास संवाद
पिछले एक दशक में बुंदेलखंड से हो रहे पलायन एवं अकाल की निरंतरता पर काफी कुछ लिखा जा चुका है। कई तरह से यहां की आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक स्थितियों का विश्लेषण तकरीबन सभी विधाओं के संत यानि विद्वान लोग कर चुके हैं। इसके बावजूद क्या कहने, सुनने और लिखने को कुछ बच रहता है? निश्चित तौर पर कुछ-न-कुछ तो हमेशा ही बच रहता है। बुंदेलखंड का गौरवशाली अतीत रहा है। यह क्षेत्र कला और साहित्य में भी अग्रणी रहा है। वैसे शस्त्रकला का तो यह स्तंभ रहा है। यहां के जंगल अत्यंत घने एवं जैव विविधता भरे थे।

संकट में पहाड़ियां

Submitted by Shivendra on Thu, 08/07/2014 - 16:14
Author
प्रयाग पांडे
Source
जनसत्ता (रविवारी), 03 अगस्त 2014
hill
मशहूर नगरी नैनीताल की कई पहाड़ियां भूस्खलन की दृष्टि से काफी संवेदनशील हैं। पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों की चेतावनी के बावजूद सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। इस बारे में बता रहे हैं प्रयाग पांडे।

हिमालय के माथे की लकीर बनेगा-प्रस्तावित पंचेश्वर बांध

Submitted by Shivendra on Thu, 08/07/2014 - 10:58
Author
सुरेश भाई
पिछले तीन दशकों में बड़े बांधों को लेकर दुनिया में जो बहस हुई उसने छोटे-छोटे बांधों की दिशा में सरकारों को सोचने के लिए बाध्य कर दिया है और कई देशों ने अपने बड़े बांधों को तोड़ा है। अब पंचेश्वर जैसा दुनिया का बड़ा बांध एक बार फिर विश्व के पटल पर वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, आमजन और सरकार के बीच निश्चित ही चर्चा का विषय बनेगा।

अब केवल यही अध्ययन होगा कि किन बांधों को पहले बनाया जाए और प्रतियोगिता होगी कि उस सरकार ने तो टिहरी बांध और हम इससे भी बड़ा बनाएंगे। यह कठिन दौर हिमालय के निवासियों को आने वाले दिनों में देखना पड़ेगा। जबकि सुझाव है कि यहां पर छोटी-छोटी परियोजनाएं बने। एक आंकलन के आधार पर मौेजूदा सिंचाई नहरों से 30 हजार मेगावाट बिजली बन सकती है, इससे स्थानीय युवकों को रोजगार मिल सकता है। आगे पानी और पलायन की समस्या का समाधान भी हो सकता है लेकिन इसका काम कौन भगीरथ करेगा?

नर्मदा और टिहरी में बड़े बांधों के निर्माण के बाद अब फिर से हिमालय में पंचेश्वर जैसा दुनिया का सबसे बड़ा बांध भारत-नेपाल की सीमा पर बहने वाली महाकाली नदी पर बनाने की पुनः तैयारी चल रही है। अभी हाल ही में नेपाल की यात्रा पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कुमार कोइराला के साथ मिलकर इस बांध निर्माण के लिए एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।

इसके आधार पर पंचेश्वर विकास प्राधिकरण को महत्व देकर समझौता हुआ है कि इसका कार्यालय नेेेपाल के कंचनपुर में होगा, जिसमें भारत औेर नेपाल से 6-6 अधिकारी होंगे। बिजली उत्पादन पर दोनों देशों का बराबर हक होगा, लेकिन इस परियोजना पर होने वाले कुल खर्च में से भारत 62.5 प्रतिशत और नेपाल शेेष 37.5 प्रतिशत राशि खर्च करेगा।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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