तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

अब केवल यही अध्ययन होगा कि किन बांधों को पहले बनाया जाए और प्रतियोगिता होगी कि उस सरकार ने तो टिहरी बांध और हम इससे भी बड़ा बनाएंगे। यह कठिन दौर हिमालय के निवासियों को आने वाले दिनों में देखना पड़ेगा। जबकि सुझाव है कि यहां पर छोटी-छोटी परियोजनाएं बने। एक आंकलन के आधार पर मौेजूदा सिंचाई नहरों से 30 हजार मेगावाट बिजली बन सकती है, इससे स्थानीय युवकों को रोजगार मिल सकता है। आगे पानी और पलायन की समस्या का समाधान भी हो सकता है लेकिन इसका काम कौन भगीरथ करेगा?
नर्मदा और टिहरी में बड़े बांधों के निर्माण के बाद अब फिर से हिमालय में पंचेश्वर जैसा दुनिया का सबसे बड़ा बांध भारत-नेपाल की सीमा पर बहने वाली महाकाली नदी पर बनाने की पुनः तैयारी चल रही है। अभी हाल ही में नेपाल की यात्रा पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कुमार कोइराला के साथ मिलकर इस बांध निर्माण के लिए एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।अब केवल यही अध्ययन होगा कि किन बांधों को पहले बनाया जाए और प्रतियोगिता होगी कि उस सरकार ने तो टिहरी बांध और हम इससे भी बड़ा बनाएंगे। यह कठिन दौर हिमालय के निवासियों को आने वाले दिनों में देखना पड़ेगा। जबकि सुझाव है कि यहां पर छोटी-छोटी परियोजनाएं बने। एक आंकलन के आधार पर मौेजूदा सिंचाई नहरों से 30 हजार मेगावाट बिजली बन सकती है, इससे स्थानीय युवकों को रोजगार मिल सकता है। आगे पानी और पलायन की समस्या का समाधान भी हो सकता है लेकिन इसका काम कौन भगीरथ करेगा?
नर्मदा और टिहरी में बड़े बांधों के निर्माण के बाद अब फिर से हिमालय में पंचेश्वर जैसा दुनिया का सबसे बड़ा बांध भारत-नेपाल की सीमा पर बहने वाली महाकाली नदी पर बनाने की पुनः तैयारी चल रही है। अभी हाल ही में नेपाल की यात्रा पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कुमार कोइराला के साथ मिलकर इस बांध निर्माण के लिए एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
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