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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Shivendra on Tue, 08/05/2014 - 11:41
Source:
डेली न्यूज ऐक्टिविस्ट, 28 जुलाई 2013
पूरब दिसि से उठी बदरिया
रिमझिम बरसत पानी

ऊंचे आकाश पर बसे बादल, हवा के पंखों पर सवार बादल, अपने अंक में चपल बिजली को समेटे बादल, देखने में श्याम बादल, गर्जन में घोर बादल द्रवित हुए जा रहे थे.. कालिदास ने बादलों की स्तुति उन्हें उच्च कुलोत्पन्न कह कर की है। ये उच्च कुलोत्पन्न बादल आज जलबूंदों का रूप लेकर मिटते जा रहे हैं।
Submitted by Shivendra on Mon, 08/04/2014 - 15:22
Source:
सर्वोदय प्रेस सर्विस, अगस्त 2014
बजट में औद्योगिक कॉरिडोर पर जबरदस्त जोर दिया गया है। यदि गुजरात मॉडल के हिसाब से चले तो बड़े पैमाने पर जबरन एवं फुसलाकर विस्थापन एवं प्रदूषण होगा। यह संघर्ष और सामाजिक टकराव को भी हवा देगा। जुलाई की शुरुआत में ही महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में मुंबई-दिल्ली औद्योगिक कारिडोर हेतु प्रस्तावित 65000 एकड़ भूमि अधिग्रहण के खिलाफ विशाल प्रदर्शन हुए थे। बजट में कई वर्षों से चर्चा में रही नदी जोड़ परियोजना हेतु भी पहल की गई है। जेटली के भाषण में इस बात पर विलाप किया गया है कि भारत को “सभी तरफ सदानीरा नदियों का वरदान नहीं मिला है।” “चूंकि वर्ष 2015 सुस्थिर विकास एवं जलवायु परिवर्तन नीति के हिसाब से ऐतिहासिक वर्ष होगा अतः सन् 2014 सभी भागीदारों के लिए आत्मविश्लेषण करने का आखिरी मौका होगा कि वे समझदारी से चुन सकें कि वे सन् 2015 के बाद कैसी दुनिया चुनना चाहते हैं।” यह महत्वपूर्ण वाक्य भारत सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण 2013-14 में लिखे गए हैं। इसका संदर्भ वर्तमान सहस्त्राब्दी लक्ष्यों जिनकी अवधि सन् 2015 तक की है, को बदलकर सुस्थिर विकास लक्ष्यों को नए सिरे से तैयार करना है।

सवाल उठता है बकाया सर्वेक्षण और बजट में आत्मविश्लेषण दिखाई देता है? नई दिल्ली में बैठे शक्ति के नए केन्द्र क्या वर्तमान की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए भविष्य की पीढ़ियों के हितों की रक्षा हेतु समझदारी दिखाएंगे? वर्तमान पीढ़ी के करोड़ों लोग जो कि सीधे-सीधे प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है, उनकी आजीविका अधिक सुरक्षित कैसे होगी?
Submitted by Shivendra on Mon, 08/04/2014 - 10:57
Source:
Arun tiwari
सामाजिक कार्य में धन की कमी रोड़ा बनकर खड़ी हो जाए, तो धन उस लक्ष्य समूह के साझे से ही जुटाया जाना चाहिए, जिसके हित के लिए वह कार्य किया जा रहा हो। किंतु विदेश से धन प्राप्त करना किसी को राष्ट्रविरोधी ठहराने का आधार नहीं हो सकता। भारत के कितने ही धर्मगुरुओं के धर्मम

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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बूंदें रचतीं जलकथा

Submitted by Shivendra on Tue, 08/05/2014 - 11:41
Author
अजयेंद्रनाथ त्रिवेदी
Source
डेली न्यूज ऐक्टिविस्ट, 28 जुलाई 2013
पूरब दिसि से उठी बदरिया
रिमझिम बरसत पानी


मॉनसून ऊंचे आकाश पर बसे बादल, हवा के पंखों पर सवार बादल, अपने अंक में चपल बिजली को समेटे बादल, देखने में श्याम बादल, गर्जन में घोर बादल द्रवित हुए जा रहे थे.. कालिदास ने बादलों की स्तुति उन्हें उच्च कुलोत्पन्न कह कर की है। ये उच्च कुलोत्पन्न बादल आज जलबूंदों का रूप लेकर मिटते जा रहे हैं।

केंद्रीय बजट: पर्यावरण की घोर अनदेखी

Submitted by Shivendra on Mon, 08/04/2014 - 15:22
Author
आशीष कोठारी
Source
सर्वोदय प्रेस सर्विस, अगस्त 2014
बजट में औद्योगिक कॉरिडोर पर जबरदस्त जोर दिया गया है। यदि गुजरात मॉडल के हिसाब से चले तो बड़े पैमाने पर जबरन एवं फुसलाकर विस्थापन एवं प्रदूषण होगा। यह संघर्ष और सामाजिक टकराव को भी हवा देगा। जुलाई की शुरुआत में ही महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में मुंबई-दिल्ली औद्योगिक कारिडोर हेतु प्रस्तावित 65000 एकड़ भूमि अधिग्रहण के खिलाफ विशाल प्रदर्शन हुए थे। बजट में कई वर्षों से चर्चा में रही नदी जोड़ परियोजना हेतु भी पहल की गई है। जेटली के भाषण में इस बात पर विलाप किया गया है कि भारत को “सभी तरफ सदानीरा नदियों का वरदान नहीं मिला है।” “चूंकि वर्ष 2015 सुस्थिर विकास एवं जलवायु परिवर्तन नीति के हिसाब से ऐतिहासिक वर्ष होगा अतः सन् 2014 सभी भागीदारों के लिए आत्मविश्लेषण करने का आखिरी मौका होगा कि वे समझदारी से चुन सकें कि वे सन् 2015 के बाद कैसी दुनिया चुनना चाहते हैं।” यह महत्वपूर्ण वाक्य भारत सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण 2013-14 में लिखे गए हैं। इसका संदर्भ वर्तमान सहस्त्राब्दी लक्ष्यों जिनकी अवधि सन् 2015 तक की है, को बदलकर सुस्थिर विकास लक्ष्यों को नए सिरे से तैयार करना है।

सवाल उठता है बकाया सर्वेक्षण और बजट में आत्मविश्लेषण दिखाई देता है? नई दिल्ली में बैठे शक्ति के नए केन्द्र क्या वर्तमान की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए भविष्य की पीढ़ियों के हितों की रक्षा हेतु समझदारी दिखाएंगे? वर्तमान पीढ़ी के करोड़ों लोग जो कि सीधे-सीधे प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है, उनकी आजीविका अधिक सुरक्षित कैसे होगी?

आई बी रिपोर्ट से असहमति जरूरी क्यों

Submitted by Shivendra on Mon, 08/04/2014 - 10:57
Author
अरुण तिवारी
Arun tiwari
सामाजिक कार्य में धन की कमी रोड़ा बनकर खड़ी हो जाए, तो धन उस लक्ष्य समूह के साझे से ही जुटाया जाना चाहिए, जिसके हित के लिए वह कार्य किया जा रहा हो। किंतु विदेश से धन प्राप्त करना किसी को राष्ट्रविरोधी ठहराने का आधार नहीं हो सकता। भारत के कितने ही धर्मगुरुओं के धर्मम

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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