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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by admin on Sat, 04/26/2014 - 12:32
Source:
सर्वोदय प्रेस सर्विस, अप्रैल 2014
प्रत्येक दल ने जलसंवर्धन को लेकर विकेंद्रीयकरण की बात कही है, लेकिन किसी ने भी यह नहीं कहा है कि इसे महाकाय परियोजनाओं की बनिस्बत प्राथमिकता दी जाएगी। सभी घोषणापत्रों में रिन्युवेबल ऊर्जा की बात की गई है। आप के घोषणापत्र में इस तरह स्रोतो को स्थानीय हाथों में सौंपने की बात है। सभी निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं। लेकिन बढ़ते शर्मनाक उपभोक्तावाद, खासकर अमीरों द्वारा एवं अनैतिक विज्ञापन पर सभी मौन हैं। किसी ने भी यह उल्लेख नहीं किया है कि खतरनाक प्लास्टिक और इलेक्ट्रानिक अपशिष्ट से कैसे मुक्ति पाई जाएगी। चुनावी घोषणापत्र इस बात की ओर इशारा करते हैं कि सत्ता में आने पर राजनीतिक दल क्या करना चाहते हैं। यह जरूरी नहीं है कि सत्ता में आने पर वे इस पर अमल करें, लेकिन इससे दल की मनस्थिति का भान होता है कि किस तरह जनता के हितों की रक्षा की जाएगी। इस लिहाज से आम आदमी पार्टी का घोषणापत्र कांग्रेस और भाजपा से कहीं आगे है, वैसे इसके कई बिंदुओं से निराशा भी होती है। इस वक्त भारत के सामने तीन प्रमुख चुनौतियां हैं, जिम्मेदार एवं जवाबदेह राजनीतिक शासन को हासिल करना, आर्थिक और सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करना (विशेषकर ऐसे व्यापक वर्ग हेतु जो कि अभी भी गरीब है) और बिना पारिस्थितिकीय विध्वंस किए जीवन को जीने लायक बनाना। विकास के कई दशक पुराने मॉडल जिसमें कि पिछले दो दशकों का वैश्विक संस्करण भी शामिल है, इसे प्राप्त नहीं कर पाया है और इसने भारत को कमजोर ही किया है।

शासन के स्तर पर भ्रष्टाचार एवं सार्वजनिक क्षेत्र में अकर्मण्यता अभी भी व्याप्त है, लोगों को सशक्त बनाने वाली स्वशासी संस्थाएं
Submitted by admin on Sat, 04/26/2014 - 09:34
Source:
irrigation

अनुशासित सिंचाई के लिए सरकार से अपेक्षा है कि आपादाकाल न हो तो वह मुफ्त बिजली और मुफ्त नहरी सिंचाई की सौगात देने से बचे। किस इलाके में भूजल आधारित खेती को बढ़ावा देना है? किस इलाके में नहरी सिंचाई कारगर होगी? किस इलाके में वर्षा आधारित खेती को बढ़ावा देना अनुकूल होगा?

Submitted by admin on Fri, 04/25/2014 - 15:26
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शुक्रवार पत्रिका, अप्रैल 2014
अपने अस्तित्व के लिए जूझती छोटी-बड़ी नदियां तमाम कोशिशों के बावजूद चुनावी मुद्दा नहीं बन सकी हैं। नदियों की निर्मलता और अविरलता का दावा करने वाले वे लोग भी नदारद हैं, जो समय-समय पर खुद को भगीरथ बताते हुए अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश करते हैं। नदियों की सुरक्षा के लिए उसकी जमीन को चिन्हित करने, रीवर-सीवर को अलग रखने, अविरल प्रवाह सुनिश्चित करने, अवैध उत्खनन और अतिक्रमण को लेकर किसी भी ठोस योजना का उल्लेख न करने पर कोई सवाल नहीं उठ रहे हैं। कुछ ही पार्टियों ने जीवनरेखा कही जाने वाली नदियों को अपने घोषणापत्रों में जिक्र करके कर्तव्य की इतिश्री की और कुछ ने इतना करने की जरूरत भी नहीं समझी है। कांग्रेस और भाजपा जैसे बड़े दलों ने भले ही अपने घोषणापत्रों में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने और नदियों को जोड़ने की बात कही है लेकिन किसी ने भी नदियों के पुनर्जीवन की कारगर रणनीति का विस्तार से उल्लेख करना जरूरी नहीं समझा है।

इन दोनों बड़ी पार्टियों के नेता भी नदियों के प्रदूषण पर चुनावी मंच से बोलना उचित नहीं समझ रहे हैं। राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के सदस्य बी.डी. त्रिपाठी के मुताबिक, नदियों के प्रदूषण का मसला एक वोट बैंक में तब्दील नहीं हो सका है, इसलिए कोई बई राजनीतिक दल इसे प्रमुखता से अपने घोषणापत्र में जगह नहीं देना चाहता है। 1986 में बनारस के राजेंद्र प्रसाद घाट पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गंगा कार्य योजना के प्रथम चरण का उद्घाटन किया था।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

घोषणापत्रों का अन्वेषण

Submitted by admin on Sat, 04/26/2014 - 12:32
Author
आशीष कोठारी
Source
सर्वोदय प्रेस सर्विस, अप्रैल 2014
प्रत्येक दल ने जलसंवर्धन को लेकर विकेंद्रीयकरण की बात कही है, लेकिन किसी ने भी यह नहीं कहा है कि इसे महाकाय परियोजनाओं की बनिस्बत प्राथमिकता दी जाएगी। सभी घोषणापत्रों में रिन्युवेबल ऊर्जा की बात की गई है। आप के घोषणापत्र में इस तरह स्रोतो को स्थानीय हाथों में सौंपने की बात है। सभी निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं। लेकिन बढ़ते शर्मनाक उपभोक्तावाद, खासकर अमीरों द्वारा एवं अनैतिक विज्ञापन पर सभी मौन हैं। किसी ने भी यह उल्लेख नहीं किया है कि खतरनाक प्लास्टिक और इलेक्ट्रानिक अपशिष्ट से कैसे मुक्ति पाई जाएगी। चुनावी घोषणापत्र इस बात की ओर इशारा करते हैं कि सत्ता में आने पर राजनीतिक दल क्या करना चाहते हैं। यह जरूरी नहीं है कि सत्ता में आने पर वे इस पर अमल करें, लेकिन इससे दल की मनस्थिति का भान होता है कि किस तरह जनता के हितों की रक्षा की जाएगी। इस लिहाज से आम आदमी पार्टी का घोषणापत्र कांग्रेस और भाजपा से कहीं आगे है, वैसे इसके कई बिंदुओं से निराशा भी होती है। इस वक्त भारत के सामने तीन प्रमुख चुनौतियां हैं, जिम्मेदार एवं जवाबदेह राजनीतिक शासन को हासिल करना, आर्थिक और सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करना (विशेषकर ऐसे व्यापक वर्ग हेतु जो कि अभी भी गरीब है) और बिना पारिस्थितिकीय विध्वंस किए जीवन को जीने लायक बनाना। विकास के कई दशक पुराने मॉडल जिसमें कि पिछले दो दशकों का वैश्विक संस्करण भी शामिल है, इसे प्राप्त नहीं कर पाया है और इसने भारत को कमजोर ही किया है।

शासन के स्तर पर भ्रष्टाचार एवं सार्वजनिक क्षेत्र में अकर्मण्यता अभी भी व्याप्त है, लोगों को सशक्त बनाने वाली स्वशासी संस्थाएं

सिंचाई अनुशासित, खेती वैज्ञानिक तो मुनाफा गारंटीड

Submitted by admin on Sat, 04/26/2014 - 09:34
Author
अरुण तिवारी
irrigation

अनुशासित सिंचाई के लिए सरकार से अपेक्षा है कि आपादाकाल न हो तो वह मुफ्त बिजली और मुफ्त नहरी सिंचाई की सौगात देने से बचे। किस इलाके में भूजल आधारित खेती को बढ़ावा देना है? किस इलाके में नहरी सिंचाई कारगर होगी? किस इलाके में वर्षा आधारित खेती को बढ़ावा देना अनुकूल होगा?

चुनावों में नदियों का मुद्दा नदारद है

Submitted by admin on Fri, 04/25/2014 - 15:26
Author
मधुकर मिश्र
Source
शुक्रवार पत्रिका, अप्रैल 2014
अपने अस्तित्व के लिए जूझती छोटी-बड़ी नदियां तमाम कोशिशों के बावजूद चुनावी मुद्दा नहीं बन सकी हैं। नदियों की निर्मलता और अविरलता का दावा करने वाले वे लोग भी नदारद हैं, जो समय-समय पर खुद को भगीरथ बताते हुए अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश करते हैं। नदियों की सुरक्षा के लिए उसकी जमीन को चिन्हित करने, रीवर-सीवर को अलग रखने, अविरल प्रवाह सुनिश्चित करने, अवैध उत्खनन और अतिक्रमण को लेकर किसी भी ठोस योजना का उल्लेख न करने पर कोई सवाल नहीं उठ रहे हैं। कुछ ही पार्टियों ने जीवनरेखा कही जाने वाली नदियों को अपने घोषणापत्रों में जिक्र करके कर्तव्य की इतिश्री की और कुछ ने इतना करने की जरूरत भी नहीं समझी है। कांग्रेस और भाजपा जैसे बड़े दलों ने भले ही अपने घोषणापत्रों में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने और नदियों को जोड़ने की बात कही है लेकिन किसी ने भी नदियों के पुनर्जीवन की कारगर रणनीति का विस्तार से उल्लेख करना जरूरी नहीं समझा है।

इन दोनों बड़ी पार्टियों के नेता भी नदियों के प्रदूषण पर चुनावी मंच से बोलना उचित नहीं समझ रहे हैं। राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के सदस्य बी.डी. त्रिपाठी के मुताबिक, नदियों के प्रदूषण का मसला एक वोट बैंक में तब्दील नहीं हो सका है, इसलिए कोई बई राजनीतिक दल इसे प्रमुखता से अपने घोषणापत्र में जगह नहीं देना चाहता है। 1986 में बनारस के राजेंद्र प्रसाद घाट पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गंगा कार्य योजना के प्रथम चरण का उद्घाटन किया था।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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