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सर्वोदय प्रेस सर्विस, अप्रैल 2014
प्रत्येक दल ने जलसंवर्धन को लेकर विकेंद्रीयकरण की बात कही है, लेकिन किसी ने भी यह नहीं कहा है कि इसे महाकाय परियोजनाओं की बनिस्बत प्राथमिकता दी जाएगी। सभी घोषणापत्रों में रिन्युवेबल ऊर्जा की बात की गई है। आप के घोषणापत्र में इस तरह स्रोतो को स्थानीय हाथों में सौंपने की बात है। सभी निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने की बात कर रहे हैं। लेकिन बढ़ते शर्मनाक उपभोक्तावाद, खासकर अमीरों द्वारा एवं अनैतिक विज्ञापन पर सभी मौन हैं। किसी ने भी यह उल्लेख नहीं किया है कि खतरनाक प्लास्टिक और इलेक्ट्रानिक अपशिष्ट से कैसे मुक्ति पाई जाएगी। चुनावी घोषणापत्र इस बात की ओर इशारा करते हैं कि सत्ता में आने पर राजनीतिक दल क्या करना चाहते हैं। यह जरूरी नहीं है कि सत्ता में आने पर वे इस पर अमल करें, लेकिन इससे दल की मनस्थिति का भान होता है कि किस तरह जनता के हितों की रक्षा की जाएगी। इस लिहाज से आम आदमी पार्टी का घोषणापत्र कांग्रेस और भाजपा से कहीं आगे है, वैसे इसके कई बिंदुओं से निराशा भी होती है। इस वक्त भारत के सामने तीन प्रमुख चुनौतियां हैं, जिम्मेदार एवं जवाबदेह राजनीतिक शासन को हासिल करना, आर्थिक और सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करना (विशेषकर ऐसे व्यापक वर्ग हेतु जो कि अभी भी गरीब है) और बिना पारिस्थितिकीय विध्वंस किए जीवन को जीने लायक बनाना। विकास के कई दशक पुराने मॉडल जिसमें कि पिछले दो दशकों का वैश्विक संस्करण भी शामिल है, इसे प्राप्त नहीं कर पाया है और इसने भारत को कमजोर ही किया है।
शासन के स्तर पर भ्रष्टाचार एवं सार्वजनिक क्षेत्र में अकर्मण्यता अभी भी व्याप्त है, लोगों को सशक्त बनाने वाली स्वशासी संस्थाएं
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