तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

अधिसूचना में जहां बड़े बांधों पर पूरी तरह से रोक की बात है वहीं 25 मेगावाट से छोटे बांधों को पूरी तरह से हरी झंडी देने का प्रयास है। अस्सीगंगा में 4 जविप निर्माणाधीन हैं जो 10 मेगावाट से छोटी हैं। जिनमें एशियाई विकास बैंक द्वारा पोषित निमार्णाधीन कल्दीगाड व नाबार्ड द्वारा पोषित अस्सी गंगा चरण एक व दो जविप भी है। उत्तरकाशी में भागीरथीगंगा को मिलने वाली अस्सीगंगा की घाटी पर्यटन की दृष्टि से ना केवल सुंदर है वरन् घाटी के लोगो को स्थायी रोज़गार दिलाने में भी सक्षम है।
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ताजी अधिसूचना के अनुसार गौमुख से उत्तरकाशी तक भागीरथीगंगा के लगभग 100 किलोमीटर लम्बे 4179.59 वर्ग किलोमीटर के संपूर्ण जल संरक्षण क्षेत्र को भागीरथीगंगा के पर्यावरणीय प्रवाह और परिस्थितिकी को बनाए रखने के लिए पारिस्थितिकीय और पर्यावरणीय दृष्टि से पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है। इसके साथ ही उत्तराखंड में खासकर उत्तरकाशी के इस क्षेत्र में फिर से धरने प्रर्दशन चालू हो गए।अधिसूचना में जहां बड़े बांधों पर पूरी तरह से रोक की बात है वहीं 25 मेगावाट से छोटे बांधों को पूरी तरह से हरी झंडी देने का प्रयास है। अस्सीगंगा में 4 जविप निर्माणाधीन हैं जो 10 मेगावाट से छोटी हैं। जिनमें एशियाई विकास बैंक द्वारा पोषित निमार्णाधीन कल्दीगाड व नाबार्ड द्वारा पोषित अस्सी गंगा चरण एक व दो जविप भी है। उत्तरकाशी में भागीरथीगंगा को मिलने वाली अस्सीगंगा की घाटी पर्यटन की दृष्टि से ना केवल सुंदर है वरन् घाटी के लोगो को स्थायी रोज़गार दिलाने में भी सक्षम है।
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ताजी अधिसूचना के अनुसार गौमुख से उत्तरकाशी तक भागीरथीगंगा के लगभग 100 किलोमीटर लम्बे 4179.59 वर्ग किलोमीटर के संपूर्ण जल संरक्षण क्षेत्र को भागीरथीगंगा के पर्यावरणीय प्रवाह और परिस्थितिकी को बनाए रखने के लिए पारिस्थितिकीय और पर्यावरणीय दृष्टि से पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है। इसके साथ ही उत्तराखंड में खासकर उत्तरकाशी के इस क्षेत्र में फिर से धरने प्रर्दशन चालू हो गए।
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