नया ताजा
आगामी कार्यक्रम
खासम-खास
Content
'भारत की सभी नदियां गंगा परिवार की नदी हैं इन सारी नदियों के स्वास्थ्य का विचार करना जरूरी है। नदी को समग्रता से समझने की जरूरत है। नदी कोई दो किनारे के बीच बहने वाला जल नहीं है वह अपने संपूर्ण जल ग्रहण के साथ एक इकाई है, जो उसका कैचमेंट एरिया है उस कैचमेंट एरिया और जलग्रहण के साथ एक इकाई है। लोग आजकल नदी को वाटरबॉडी के नाम से पुकारते हैं।
एक बुनियादी बात ध्यान में रखना जरूरी है। शोषणमुक्त समाज में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की क्षमता गैरबराबर समाज से अधिक होती है, क्योंकि गैरबराबरी से ही दिखावे के लिए बेजरूरत तामझाम पर खर्च जरूरी होता है, और बाजार आश्रित पूंजीवादी समाज में तो बेजरूरी वस्तुओं के उत्पादन व उपभोग की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण है कि इसे नियंत्रित करने से पूंजीवादी व्यवस्था ध्वस्त हो सकती है। इससे यह तो जरूर कहा जा सकता है कि प्रकृति से तालमेल बिठा कर चलने वाली कोई भी व्यवस्था समता के मूल्यों पर ही आधारित हो सकती है।
पूंजीवादी तकनीक की मदद से दुनिया को स्वर्ग बनाने की जो कल्पना मार्क्सवाद ने की थी, वह व्यस्त हो गई है। पर्यावरण का संकट बुनियादी संकट है, लेकिन विकसित देशों को धरती गरम होने से बर्फ पिघलने से उत्तरी गोलार्ध में खनिजों के नए भंडारों के दोहन और व्यापार की संभावना दिखने लगी है। भारत जैसे देशों को विकास की एक अलग राह खोजना होगा जो प्रकृति के साथ सामंजस्य, गांव, खेती, छोटी इकाई और समानता व सहयोग पर आधारित हो। इसके लिए राष्ट्र-राज्य, फौज और बड़े उद्योगों के गठजोड़ को तोड़ना होगा। क्यूबा जैसे प्रयोगों से भी हम सीख सकते हैं। वैकल्पिक विकास के मॉडल की बात करना आज उसी तरह अर्थहीन है जैसे कभी यूटोपिया की बात करना समाजवादी आंदोलन के प्रारंभिक काल में था। कोई भी व्यवस्था सामने की हकीक़त के संदर्भ में ही बनती है, बनी-बनाई कल्पना के अनुरूप नहीं। ऐसे किसी भी मनचाहे ब्लूप्रिंट को लागू करने का प्रयास या तो धर्मांधता को जन्म देता है या तानाशाही को। आज चूंकि पर्यावरण का संकट विविध रूपों में हमारे अस्तित्व के लिए सर्वाधिक महत्व का बन गया है, इसलिए हमें समाज निर्माण की वैसी दिशा अपनानी होगी जो पर्यावरण के लिए कम से कम नुक़सानदेह हो।Pagination
प्रयास
नोटिस बोर्ड
Latest
खासम-खास
Content
नदियां कचरा ढोने का साधन नहीं हैं : अनिल माधव दवे
'भारत की सभी नदियां गंगा परिवार की नदी हैं इन सारी नदियों के स्वास्थ्य का विचार करना जरूरी है। नदी को समग्रता से समझने की जरूरत है। नदी कोई दो किनारे के बीच बहने वाला जल नहीं है वह अपने संपूर्ण जल ग्रहण के साथ एक इकाई है, जो उसका कैचमेंट एरिया है उस कैचमेंट एरिया और जलग्रहण के साथ एक इकाई है। लोग आजकल नदी को वाटरबॉडी के नाम से पुकारते हैं।
वसंत लेकर आया है सूखा
सभ्यता का संकट और विकल्प
एक बुनियादी बात ध्यान में रखना जरूरी है। शोषणमुक्त समाज में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की क्षमता गैरबराबर समाज से अधिक होती है, क्योंकि गैरबराबरी से ही दिखावे के लिए बेजरूरत तामझाम पर खर्च जरूरी होता है, और बाजार आश्रित पूंजीवादी समाज में तो बेजरूरी वस्तुओं के उत्पादन व उपभोग की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण है कि इसे नियंत्रित करने से पूंजीवादी व्यवस्था ध्वस्त हो सकती है। इससे यह तो जरूर कहा जा सकता है कि प्रकृति से तालमेल बिठा कर चलने वाली कोई भी व्यवस्था समता के मूल्यों पर ही आधारित हो सकती है।
पूंजीवादी तकनीक की मदद से दुनिया को स्वर्ग बनाने की जो कल्पना मार्क्सवाद ने की थी, वह व्यस्त हो गई है। पर्यावरण का संकट बुनियादी संकट है, लेकिन विकसित देशों को धरती गरम होने से बर्फ पिघलने से उत्तरी गोलार्ध में खनिजों के नए भंडारों के दोहन और व्यापार की संभावना दिखने लगी है। भारत जैसे देशों को विकास की एक अलग राह खोजना होगा जो प्रकृति के साथ सामंजस्य, गांव, खेती, छोटी इकाई और समानता व सहयोग पर आधारित हो। इसके लिए राष्ट्र-राज्य, फौज और बड़े उद्योगों के गठजोड़ को तोड़ना होगा। क्यूबा जैसे प्रयोगों से भी हम सीख सकते हैं। वैकल्पिक विकास के मॉडल की बात करना आज उसी तरह अर्थहीन है जैसे कभी यूटोपिया की बात करना समाजवादी आंदोलन के प्रारंभिक काल में था। कोई भी व्यवस्था सामने की हकीक़त के संदर्भ में ही बनती है, बनी-बनाई कल्पना के अनुरूप नहीं। ऐसे किसी भी मनचाहे ब्लूप्रिंट को लागू करने का प्रयास या तो धर्मांधता को जन्म देता है या तानाशाही को। आज चूंकि पर्यावरण का संकट विविध रूपों में हमारे अस्तित्व के लिए सर्वाधिक महत्व का बन गया है, इसलिए हमें समाज निर्माण की वैसी दिशा अपनानी होगी जो पर्यावरण के लिए कम से कम नुक़सानदेह हो।Pagination
प्रयास
सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
- Read more about सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
- Comments
नोटिस बोर्ड
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
- Read more about 28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
- Comments
पसंदीदा आलेख