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यमुना की कुल लंबाई 1375 किलोमीटर है। दिल्ली के क्षेत्र में यमुना मात्र 48 किलोमीटर बहती है। पर यमुना की कुल गंदगी में लगभग 90 फीसद दिल्ली का योगदान है। दिल्ली के मल-मूत्र को साफ करने में करोड़ों रुपया बहाया जा चुका है पर यमुना अभी तक साफ नहीं हो पाई है।
यमुना रक्षक दल की मांगों और बदले में सरकार के जवाबों से कई सवाल खड़े होते हैं। पर एक बात साफ है कि दिल्ली के नालों के संदर्भ में सरकार का जवाब यमुना रक्षक दल की जीत नहीं है। इससे भी यमुना का ही नुकसान होगा, महानाले के लिए जो ज़मीन लगेगी, आशंका है कि वह भी यमुना के हिस्से में से ही निकाली जाएगी। महानाले के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायलय को कई बार सरकार ने यह वादा किया है। यमुना रक्षक दल के सामने अपने उसी पुराने वादे को नई बोतल में भरकर पेश कर दिया और वाहवाही लूटी।
गंगा की तरह ही यमुना भी हिमालय की गोद से निकलती है। हिमाच्छादित पर्वत बंदरपुच्छ से 8 मील उत्तर-पश्चिम में कलिंद पर्वत है। इसी पर्वत की कोख से जन्मने के कारण यमुना कालिंदी भी कहलाती है। यमुना को प्यार की नदी भी कहा जाता है। भगवान कृष्ण और राधा की प्रेम लीलाओं का क्षेत्र ब्रज यमुना के किनारे ही स्थित है। मुमताज महल की याद में शाहजहां द्वारा बनवाया गया प्यार का प्रतीक ताजमहल भी यमुना के किनारे ही है। ब्रज क्षेत्र और आगरा दोनों ही यहां की संस्कृति गढ़ते हैं। यहां के सामाजिक संगठनों में भी यह प्रभाव दिखता है। यहां जन्मे आंदोलन भी गाते-बजाते, नाचते-कूदते हुए ही मांगों के लिए प्रदर्शन, पदयात्रा करते हैं। यमुना रक्षक दल, मान मंदिर, बरसाना के संतों और भक्तों का संगम ही है। बरसाना राधा जी की जन्मस्थली है। संत रमेश बाबा मान-मंदिर के मुखिया हैं। ब्रज क्षेत्र को वे कृष्ण की लीला स्थली मानते हैं। ब्रज के जंगल, पहाड़, नदियां और कुंड; सब को वे कृष्ण की विरासत मानते हैं।
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नीयत साफ हो, तब नदी
मुक्ति पदयात्रा
यमुना की कुल लंबाई 1375 किलोमीटर है। दिल्ली के क्षेत्र में यमुना मात्र 48 किलोमीटर बहती है। पर यमुना की कुल गंदगी में लगभग 90 फीसद दिल्ली का योगदान है। दिल्ली के मल-मूत्र को साफ करने में करोड़ों रुपया बहाया जा चुका है पर यमुना अभी तक साफ नहीं हो पाई है।
यमुना रक्षक दल की मांगों और बदले में सरकार के जवाबों से कई सवाल खड़े होते हैं। पर एक बात साफ है कि दिल्ली के नालों के संदर्भ में सरकार का जवाब यमुना रक्षक दल की जीत नहीं है। इससे भी यमुना का ही नुकसान होगा, महानाले के लिए जो ज़मीन लगेगी, आशंका है कि वह भी यमुना के हिस्से में से ही निकाली जाएगी। महानाले के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायलय को कई बार सरकार ने यह वादा किया है। यमुना रक्षक दल के सामने अपने उसी पुराने वादे को नई बोतल में भरकर पेश कर दिया और वाहवाही लूटी।
गंगा की तरह ही यमुना भी हिमालय की गोद से निकलती है। हिमाच्छादित पर्वत बंदरपुच्छ से 8 मील उत्तर-पश्चिम में कलिंद पर्वत है। इसी पर्वत की कोख से जन्मने के कारण यमुना कालिंदी भी कहलाती है। यमुना को प्यार की नदी भी कहा जाता है। भगवान कृष्ण और राधा की प्रेम लीलाओं का क्षेत्र ब्रज यमुना के किनारे ही स्थित है। मुमताज महल की याद में शाहजहां द्वारा बनवाया गया प्यार का प्रतीक ताजमहल भी यमुना के किनारे ही है। ब्रज क्षेत्र और आगरा दोनों ही यहां की संस्कृति गढ़ते हैं। यहां के सामाजिक संगठनों में भी यह प्रभाव दिखता है। यहां जन्मे आंदोलन भी गाते-बजाते, नाचते-कूदते हुए ही मांगों के लिए प्रदर्शन, पदयात्रा करते हैं। यमुना रक्षक दल, मान मंदिर, बरसाना के संतों और भक्तों का संगम ही है। बरसाना राधा जी की जन्मस्थली है। संत रमेश बाबा मान-मंदिर के मुखिया हैं। ब्रज क्षेत्र को वे कृष्ण की लीला स्थली मानते हैं। ब्रज के जंगल, पहाड़, नदियां और कुंड; सब को वे कृष्ण की विरासत मानते हैं।
यमुना की बीमारी क्या है
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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