नया ताजा
आगामी कार्यक्रम
खासम-खास
Content
लहरों से पुण्य नहीं, पौंड कमाना है।।
सोना होता होगा नीला तुम्हारे लिए।
हमें तो पानी को रक्त में बदल जाना है।’’
मेरी देह में छिपी बिजलियां हैं,
मेरी देह
मेरे रक्त में खिला हुआ कमल।
- केदारनाथ सिंह
नर्मदा घाटी के निवासियों के धैर्य की दाद देना पड़ेगी। इतने अत्याचार व बेइंसाफी सहने के बावजूद वे आज भी अहिंसात्मक संघर्ष के अपने वादे पर कायम हैं। सरकार और कंपनियों को इस मुगालते में भी नहीं रहना चाहिए कि अमानवीय व्यवहार से आंदोलनकारियों का मनोबल टूटेगा। वास्तविकता तो यह है कि इस जल सत्याग्रह या जल समाधि की गूंज पूरे विश्व में सुनाई देने लगी है और यह देश व प्रदेश की सरकारों को आज नहीं तो कल कटघरे में अवश्य ही खड़ी करेंगी।
नर्मदा घाटी में स्थित ओंकारेश्वर बांध में पानी के स्तर को अवैध रूप से 189 मीटर से 193 मीटर बढ़ाए जाने के विरोध में पिछले करीब एक हफ्ते से 34 बांध प्रभावित घोघलगांव में जल सत्याग्रह कर रहे हैं। उनकी कमर से ऊपर तक पानी चढ़ चुका है और लगातार पानी में डूबे रहने से शरीर गलना प्रारंभ हो गया हैं। फिर भी वे कमल की मानिंद पानी की सतह पर टिके हुए हैं। लेकिन सरकार व एनएचडीसी जो कि बिजली उत्पादन करने वाली सरकारी कंपनी है और पुनर्वास उसकी ही मूलभूत जिम्मेदारी है, टस से मस नहीं हो रहे हैं। गौरतलब है सर्वोच्च न्यायालय ने मई 2011 में दिए अपने निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा था कि जमीन के बदले जमीन ही दी जानी चाहिए और इसके पीछे न्यायालय की सोच भी स्पष्ट है कि पुनर्वास, पुनर्वास नीति के अनुरूप ही हो।Pagination
प्रयास
नोटिस बोर्ड
Latest
खासम-खास
Content
अराजकता फैलाने वाला साबित होगा, भूमालिकों से जलाधिकार छीनना
रायबरेली: पानी का नया डार्क जोन!
बाजू भी बहुत हैं सिर भी बहुत
मेरी देह में छिपी बिजलियां हैं,
मेरी देह
मेरे रक्त में खिला हुआ कमल।
- केदारनाथ सिंह
नर्मदा घाटी के निवासियों के धैर्य की दाद देना पड़ेगी। इतने अत्याचार व बेइंसाफी सहने के बावजूद वे आज भी अहिंसात्मक संघर्ष के अपने वादे पर कायम हैं। सरकार और कंपनियों को इस मुगालते में भी नहीं रहना चाहिए कि अमानवीय व्यवहार से आंदोलनकारियों का मनोबल टूटेगा। वास्तविकता तो यह है कि इस जल सत्याग्रह या जल समाधि की गूंज पूरे विश्व में सुनाई देने लगी है और यह देश व प्रदेश की सरकारों को आज नहीं तो कल कटघरे में अवश्य ही खड़ी करेंगी।
नर्मदा घाटी में स्थित ओंकारेश्वर बांध में पानी के स्तर को अवैध रूप से 189 मीटर से 193 मीटर बढ़ाए जाने के विरोध में पिछले करीब एक हफ्ते से 34 बांध प्रभावित घोघलगांव में जल सत्याग्रह कर रहे हैं। उनकी कमर से ऊपर तक पानी चढ़ चुका है और लगातार पानी में डूबे रहने से शरीर गलना प्रारंभ हो गया हैं। फिर भी वे कमल की मानिंद पानी की सतह पर टिके हुए हैं। लेकिन सरकार व एनएचडीसी जो कि बिजली उत्पादन करने वाली सरकारी कंपनी है और पुनर्वास उसकी ही मूलभूत जिम्मेदारी है, टस से मस नहीं हो रहे हैं। गौरतलब है सर्वोच्च न्यायालय ने मई 2011 में दिए अपने निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा था कि जमीन के बदले जमीन ही दी जानी चाहिए और इसके पीछे न्यायालय की सोच भी स्पष्ट है कि पुनर्वास, पुनर्वास नीति के अनुरूप ही हो।Pagination
प्रयास
सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
- Read more about सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
- Comments
नोटिस बोर्ड
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
- Read more about 28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
- Comments
पसंदीदा आलेख