तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

आजकल बाढ़ प्राकृतिक होने की बजाय मानव निर्मित ज्यादा दिखाई देने लगी है। बाढ़ से बचने के लिए हमें नदियों के जल-भराव, भंडारण, पानी को रोकने और सहेजने के परंपरागत ढांचों को फिर से खड़ा करना होगा। पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पेड़ों को कटने से बचाना तथा नए पेड़ लगाना होगा। यही पेड़ पानी को स्पंज की
वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो स्पष्ट है कि वृक्ष की पूजा कर वहीं बैठ कर भोजन करना, यह शुद्ध वायु-प्राप्ति का एक तरीका है। गांवों में महिलाएँ चूल्हे-चौके या खेती-बाड़ी के कार्यों में लगी रहती हैं। शुद्ध वायु प्रत्येक के लिये आवश्यक होती है।
भारत के मध्य भाग में स्थित मालवा की अपनी अलग महिमा रही है। कल-कल करती वर्ष भर प्रवाहमान नदियां, हरे-भरे भू-भाग, माटी की सौंधी सुगंध, सर्व शुद्धता- इन सबसे प्रसन्न होकर लोकनायक कबीर ने अपने अनुभूतिजन्य विचार प्रस्तुत करते हुए कहा था-वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो स्पष्ट है कि वृक्ष की पूजा कर वहीं बैठ कर भोजन करना, यह शुद्ध वायु-प्राप्ति का एक तरीका है। गांवों में महिलाएँ चूल्हे-चौके या खेती-बाड़ी के कार्यों में लगी रहती हैं। शुद्ध वायु प्रत्येक के लिये आवश्यक होती है।
भारत के मध्य भाग में स्थित मालवा की अपनी अलग महिमा रही है। कल-कल करती वर्ष भर प्रवाहमान नदियां, हरे-भरे भू-भाग, माटी की सौंधी सुगंध, सर्व शुद्धता- इन सबसे प्रसन्न होकर लोकनायक कबीर ने अपने अनुभूतिजन्य विचार प्रस्तुत करते हुए कहा था-
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