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पीपीपी मॉडल के नाम पर इस देश में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में जो खेल चल रहा है, वह सर्वजन हिताय या राष्ट्रीय हित का नहीं, बल्कि सरेआम लूट का खेल है। पीपीपी यानी जन-निजी भागीदरी!
पानी के ‘अतिभोग’ व ‘अतिदोहन’ से चिंतित भारत सरकार ‘कानून’ बनाकर जल संरक्षण का खाका तैयार कर रही है, जबकि दूसरी ओर कार्पोरेट सेक्टर को अतिशय जल उपभोग की इजाजत भी बिना किसी रोक-टोक व उसके स्रोतों की स्थिति जाने बगैर दी जा रही है। इलाहाबाद जनपद में केवल 25 कि0मी0 की परिधि में तीन कोल बेस्ड थर्मल पॉवर प्लान्टों और उन्हें गंगा तथा यमुना नदी से भारी मात्रा में पानी देने का फैसला भी सरकार के जल संरक्षण की दोहरी नीति की तरफ इशारा करता है।
पानी के ‘अतिभोग’ व ‘अतिदोहन’ से चिंतित भारत सरकार ‘कानून’ बनाकर जल संरक्षण का खाका तैयार कर रही है, जबकि दूसरी ओर कार्पोरेट सेक्टर को अतिशय जल उपभोग की इजाजत भी बिना किसी रोक-टोक व उसके स्रोतों की स्थिति जाने बगैर दी जा रही है। हाल में तैयार किये गए ‘राष्ट्रीय जल नीति-2012’ के मसौदे और इसी दरम्यान कुछ फैक्ट्रियों, थर्मल पॉवर प्लांटों को दिये जा रहे पानी के उपभोग की खुली छूट में कोई तालमेल दिखाई नहीं पड़ता। इसी मसौदे की प्रस्तावना (1.3-पैरा 4) में एक तरफ सरकार यह कह रही है कि खाद्य सुरक्षा, जीविका तथा सभी के लिए समान और निरंतर विकास हेतु राज्य द्वारा ‘सार्वजनिक धरोहर के सिद्धान्त’ के तहत जल का प्रबंधन सामुदायिक संसाधन के रूप में किये जाने की आवश्यकता है, वहीं कोल बेस्ड थर्मल पॉवर प्लान्टों और प्रस्तावित दिल्ली से मुम्बई तक इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर (इटली की स्कॉट विलस्न कंपनी द्वारा दिल्ली से मुम्बई तक पानी की उपलब्धता और उपभोग के पैमाने पर एक सर्वे रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपी गई है) को भारी मात्रा में पानी देने पर सरकार स्वयं राजी है। इलाहाबाद जनपद में केवल 25 कि0मी0 की परिधि में तीन कोल बेस्ड थर्मल पॉवर प्लान्टों और उन्हें गंगा तथा यमुना नदी से भारी मात्रा में पानी देने का फैसला भी सरकार के जल संरक्षण की दोहरी नीति की तरफ इशारा करता है।अनीता बाई नेरे को सुलभ स्वच्छता पुरस्कार देते केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री, जयराम रमेशस्थान था दक्षिण कोरिया की राजधानी शहर-सिओल का कोरिया डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (के.डी.आई.)। भारत एवं कोरिया के अधिकारियों से भरे एक सम्मेलन–कक्ष में एक लघु फिल्म दिखाई जा रही थी, इस फिल्म में एक सफलता की कहानी प्रदर्शित की जा रही थी कि किस तरह से एक गांव को खुले में शौच करने से मुक्त (ओ.डी.एफ) कराया गया।
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बुनियादी ढांचे में पीपीपी एक खतरनाक सहमति
पॉवर प्लांटों द्वारा गंगा व यमुना से भारी मात्रा में पानी खींचने से बिगड़ेगी पारिस्थितिकी
इलाहाबाद में तीन पॉवर प्लान्टों की स्थापना से लाखों किसानों, मछुआरों की रोजी-रोटी पर संकट के बादल
पानी के ‘अतिभोग’ व ‘अतिदोहन’ से चिंतित भारत सरकार ‘कानून’ बनाकर जल संरक्षण का खाका तैयार कर रही है, जबकि दूसरी ओर कार्पोरेट सेक्टर को अतिशय जल उपभोग की इजाजत भी बिना किसी रोक-टोक व उसके स्रोतों की स्थिति जाने बगैर दी जा रही है। इलाहाबाद जनपद में केवल 25 कि0मी0 की परिधि में तीन कोल बेस्ड थर्मल पॉवर प्लान्टों और उन्हें गंगा तथा यमुना नदी से भारी मात्रा में पानी देने का फैसला भी सरकार के जल संरक्षण की दोहरी नीति की तरफ इशारा करता है।
पानी के ‘अतिभोग’ व ‘अतिदोहन’ से चिंतित भारत सरकार ‘कानून’ बनाकर जल संरक्षण का खाका तैयार कर रही है, जबकि दूसरी ओर कार्पोरेट सेक्टर को अतिशय जल उपभोग की इजाजत भी बिना किसी रोक-टोक व उसके स्रोतों की स्थिति जाने बगैर दी जा रही है। हाल में तैयार किये गए ‘राष्ट्रीय जल नीति-2012’ के मसौदे और इसी दरम्यान कुछ फैक्ट्रियों, थर्मल पॉवर प्लांटों को दिये जा रहे पानी के उपभोग की खुली छूट में कोई तालमेल दिखाई नहीं पड़ता। इसी मसौदे की प्रस्तावना (1.3-पैरा 4) में एक तरफ सरकार यह कह रही है कि खाद्य सुरक्षा, जीविका तथा सभी के लिए समान और निरंतर विकास हेतु राज्य द्वारा ‘सार्वजनिक धरोहर के सिद्धान्त’ के तहत जल का प्रबंधन सामुदायिक संसाधन के रूप में किये जाने की आवश्यकता है, वहीं कोल बेस्ड थर्मल पॉवर प्लान्टों और प्रस्तावित दिल्ली से मुम्बई तक इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर (इटली की स्कॉट विलस्न कंपनी द्वारा दिल्ली से मुम्बई तक पानी की उपलब्धता और उपभोग के पैमाने पर एक सर्वे रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपी गई है) को भारी मात्रा में पानी देने पर सरकार स्वयं राजी है। इलाहाबाद जनपद में केवल 25 कि0मी0 की परिधि में तीन कोल बेस्ड थर्मल पॉवर प्लान्टों और उन्हें गंगा तथा यमुना नदी से भारी मात्रा में पानी देने का फैसला भी सरकार के जल संरक्षण की दोहरी नीति की तरफ इशारा करता है।सम्पूर्ण स्वच्छता अभियानः कहानी अनीता की
“आधे भारतीय घरों में सेलफोन हैं, किंतु शौचालय नहीं”, घरेलू जनगणना-2011
स्थान था दक्षिण कोरिया की राजधानी शहर-सिओल का कोरिया डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (के.डी.आई.)। भारत एवं कोरिया के अधिकारियों से भरे एक सम्मेलन–कक्ष में एक लघु फिल्म दिखाई जा रही थी, इस फिल्म में एक सफलता की कहानी प्रदर्शित की जा रही थी कि किस तरह से एक गांव को खुले में शौच करने से मुक्त (ओ.डी.एफ) कराया गया।
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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