नया ताजा

पसंदीदा आलेख

आगामी कार्यक्रम

खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by Hindi on Thu, 07/14/2011 - 15:03
Source:
द संडे इंडियन, 12 जुलाई 2011
नर्मदा नदीमां रेवा, जिसे हम नर्मदा नदी के रूप में जानते हैं वह मध्य-भारत की जीवनरेखा है। नर्मदा का निर्मल पानी एवं उसके कल-कल करते बहते पानी को लेकर एक बहुत ही बेहतरीन गीत है,
Submitted by Hindi on Mon, 07/11/2011 - 10:11
Source:
जनसत्ता, 08 जुलाई 2011

अगर गंगा को स्वच्छ करना है तो पहले दृष्टि बदलनी होगी। उसके लिए धन जुटाने की नहीं, मन बनाने की आवश्यकता है। गंगा की अस्वच्छता को पर्यावरण और स्वास्थ्य वाली भौतिकवादी दृष्टि से देखना छोड़ना होगा। उसके दूषण के लिए मूलतः बढ़ती आबादी, उद्योगों और शहरों का विस्तार, दाह-संस्कार की प्रथा आदि को प्राथमिक दोषी ठहराना भी सही नहीं है।

दो सप्ताह पहले आधिकारिक तौर पर घोषणा की गई कि सन् 2020 तक गंगा में शहरी गंदगी और औद्योगिक कचरा गिराना पूरी तरह बंद हो जाएगा। इसके लिए विश्व बैंक से एक अरब डॉलर की सहायता मिलने का करार हुआ है। प्रश्न है कि क्या धन की कमी के चलते गंगा मैली होती गई है? अपने घर के पूजा-घर की गंदगी भी हम अपने श्रम या साधन से दूर न कर सकें तो इससे विचित्र बात क्या हो सकती है। किस तरह की प्रगति या विकास कर रहे हैं हम, यह भी सोचने की बात है। मगर पहले इस पर विचार करें कि पिछले पच्चीस वर्षों में गंगा सफाई अभियान में जितना खर्च हुआ, उससे क्या निकला है। सन् 1985 में शुरू हुई गंगा कार्य योजना प्रायः विफल रही, जबकि उसमें आठ सौ सोलह करोड़ रुपए से अधिक धन खर्च किया जा चुका है। इसकी ईमानदार समीक्षा के बिना यह नई योजना भी वैसी ही साबित होगी। यह तो एक यांत्रिक, भौतिकवादी, नौकरशाही, आलसी समझ है कि किसी कार्य के लिए धन का आबंटन कर देने मात्र से फल प्राप्त हो सकता है।
Submitted by Hindi on Tue, 07/05/2011 - 11:36
Source:
जनसत्ता रविवारी, 03 जुलाई 2011
रोजमर्रा की जिंदगी में प्लास्टिक इस तरह रच-बस गया है कि उससे पूरी तरह छुटकारा पाना कठिन है। यह जितना उपयोगी है उतना ही नुकसानदेह। प्लास्टिक की व्यापकता और इससे मुक्ति के उपायों का जायजा ले रही हैं गायत्री आर्य।

प्लास्टिक का इतने लंबे समय तक न गलना सबसे बड़ी परेशानी का कारण है। इसी कारण इसे न तो जमीन में गाड़ा जा सकता, न ही हवा में उड़ते छोड़ा जा सकता, न ही पानी में तैरते छोड़ा जा सकता, न ही जलाया जा सकता है, क्योंकि इसे जलाने से जहरीले तत्त्व हवा में घुलते हैं। प्लास्टिक का यह लगभग ‘अमर रूप’ न सिर्फ इंसानों का जीवन संकट में डाल रहा है बल्कि जानवरों को भी मौत के घाट उतार रहा है।

बारिश के कारण 2009 में मुंबई में जो तबाही मची थी उसके लिए काफी हद तक पॉलिथीन से अटी पड़ीं नालियां और नाले जिम्मेदार थे। इंसानी सभ्यता की वाहक नदियां अब पॉलिथीन और दूसरे प्लास्टिक के कचरे से अटी पड़ी हैं। इंसानों और जीवों के जीवनदायी नदी, झील, तालाब, समुद्र प्लास्टिक के कचरे को ढोने वाले बनकर ही रह जाएंगे। सस्ता, हल्का, टिकाऊ, मजबूत, कम जगह घेरने वाला, लोचदार, हर तरह के सामान को ले जा सकने वाला, तापरोधी जैसी खासियतों के साथ प्लास्टिक एक बहुउपयोगी और बहुउद्देशीय वस्तु की तरह जहन में आता है। फिर ऐसा क्या है कि पूरी दुनिया में इस बहुउपयोगी चीज के प्रति

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

Latest

खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

मां रेवा थारो पानी निर्मल....

Submitted by Hindi on Thu, 07/14/2011 - 15:03
Author
राजु कुमार
Source
द संडे इंडियन, 12 जुलाई 2011
नर्मदा नदीनर्मदा नदीमां रेवा, जिसे हम नर्मदा नदी के रूप में जानते हैं वह मध्य-भारत की जीवनरेखा है। नर्मदा का निर्मल पानी एवं उसके कल-कल करते बहते पानी को लेकर एक बहुत ही बेहतरीन गीत है,

मन की मैल से गंगा मैली

Submitted by Hindi on Mon, 07/11/2011 - 10:11
Author
शंकर शरण
Source
जनसत्ता, 08 जुलाई 2011

अगर गंगा को स्वच्छ करना है तो पहले दृष्टि बदलनी होगी। उसके लिए धन जुटाने की नहीं, मन बनाने की आवश्यकता है। गंगा की अस्वच्छता को पर्यावरण और स्वास्थ्य वाली भौतिकवादी दृष्टि से देखना छोड़ना होगा। उसके दूषण के लिए मूलतः बढ़ती आबादी, उद्योगों और शहरों का विस्तार, दाह-संस्कार की प्रथा आदि को प्राथमिक दोषी ठहराना भी सही नहीं है।

दो सप्ताह पहले आधिकारिक तौर पर घोषणा की गई कि सन् 2020 तक गंगा में शहरी गंदगी और औद्योगिक कचरा गिराना पूरी तरह बंद हो जाएगा। इसके लिए विश्व बैंक से एक अरब डॉलर की सहायता मिलने का करार हुआ है। प्रश्न है कि क्या धन की कमी के चलते गंगा मैली होती गई है? अपने घर के पूजा-घर की गंदगी भी हम अपने श्रम या साधन से दूर न कर सकें तो इससे विचित्र बात क्या हो सकती है। किस तरह की प्रगति या विकास कर रहे हैं हम, यह भी सोचने की बात है। मगर पहले इस पर विचार करें कि पिछले पच्चीस वर्षों में गंगा सफाई अभियान में जितना खर्च हुआ, उससे क्या निकला है। सन् 1985 में शुरू हुई गंगा कार्य योजना प्रायः विफल रही, जबकि उसमें आठ सौ सोलह करोड़ रुपए से अधिक धन खर्च किया जा चुका है। इसकी ईमानदार समीक्षा के बिना यह नई योजना भी वैसी ही साबित होगी। यह तो एक यांत्रिक, भौतिकवादी, नौकरशाही, आलसी समझ है कि किसी कार्य के लिए धन का आबंटन कर देने मात्र से फल प्राप्त हो सकता है।

जरूरत जो बन गई मुसीबत

Submitted by Hindi on Tue, 07/05/2011 - 11:36
Author
गायत्री आर्य
Source
जनसत्ता रविवारी, 03 जुलाई 2011
रोजमर्रा की जिंदगी में प्लास्टिक इस तरह रच-बस गया है कि उससे पूरी तरह छुटकारा पाना कठिन है। यह जितना उपयोगी है उतना ही नुकसानदेह। प्लास्टिक की व्यापकता और इससे मुक्ति के उपायों का जायजा ले रही हैं गायत्री आर्य।

प्लास्टिक का इतने लंबे समय तक न गलना सबसे बड़ी परेशानी का कारण है। इसी कारण इसे न तो जमीन में गाड़ा जा सकता, न ही हवा में उड़ते छोड़ा जा सकता, न ही पानी में तैरते छोड़ा जा सकता, न ही जलाया जा सकता है, क्योंकि इसे जलाने से जहरीले तत्त्व हवा में घुलते हैं। प्लास्टिक का यह लगभग ‘अमर रूप’ न सिर्फ इंसानों का जीवन संकट में डाल रहा है बल्कि जानवरों को भी मौत के घाट उतार रहा है।

बारिश के कारण 2009 में मुंबई में जो तबाही मची थी उसके लिए काफी हद तक पॉलिथीन से अटी पड़ीं नालियां और नाले जिम्मेदार थे। इंसानी सभ्यता की वाहक नदियां अब पॉलिथीन और दूसरे प्लास्टिक के कचरे से अटी पड़ी हैं। इंसानों और जीवों के जीवनदायी नदी, झील, तालाब, समुद्र प्लास्टिक के कचरे को ढोने वाले बनकर ही रह जाएंगे। सस्ता, हल्का, टिकाऊ, मजबूत, कम जगह घेरने वाला, लोचदार, हर तरह के सामान को ले जा सकने वाला, तापरोधी जैसी खासियतों के साथ प्लास्टिक एक बहुउपयोगी और बहुउद्देशीय वस्तु की तरह जहन में आता है। फिर ऐसा क्या है कि पूरी दुनिया में इस बहुउपयोगी चीज के प्रति

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

Upcoming Event

Popular Articles