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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by Hindi on Mon, 06/20/2011 - 10:54
Source:
इटावा जिले के यमुना नदी में घड़ियालदेश में यह पहला मौका है जब किसी घड़ियाल ने सबसे प्रदूषित समझी जाने वाली यमुना नदी में प्रजनन किया है। निषेचन के उपरांत करीब घड़ियाल के बच्चे नजर आ रहे हैं। पहली बार यमुना नदी में घड़ियाल के बच्चे पाये जाने को लेकर जहां गांव वाले खासे खुश दिख रहे हैं वही पर्यावरणविद भी उत्साहित हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जिस प्रकार घड़ियाल ने यमुना नदी में प्रजनन किया है उससे एक उम्मीद यह भी बंध चली है कि आने वाले दिनों में यमुना नदी भी घड़ियालों के प्रजनन के लिये एक मुफीद प्राकृतिक वास बन सकेगा। घड़ियाल के प्रजनन का यह वाक्या हुआ है उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के हरौली गांव के पास हुआ है जहां इन बच्चों को लेकर गांव वाले खासे उत्साहित दिख रहे है। पहली बार घड़ियाल के प्रजनन को लेकर गांव वालों के साथ-साथ आम इंसान भी गदगद हो गये हैं।
Submitted by Hindi on Sat, 06/18/2011 - 12:59
Source:
स्टार न्यूज, 17 जून 2011


गंगा का पानी पीने क्या डुबकी लगाने लायक भी नहीं बचा है। खेती भी नहीं की जा सकती। पवित्रता की मिसाल कहे जाने वाली गंगा नदी गंदगी, कचरे और मल ढोते-ढोते अपनी पवित्रता खोती जा रही है। शोध के अनुसार गंगा नदी में जीवाणु पनप रहे हैं, ई-कोलाई जैसे घातक बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ रही है और पानी जहरीला हो चुका है। सीवर के पानी को बिना ट्रीटमेंट के बहाए जाने का सिलसिला अब भी जारी है जिससे हमारी गंगा मैया अब खतरे में हैं।
 

Submitted by Hindi on Wed, 06/15/2011 - 12:47
Source:
अमर उजाला, 14 जून 2011

गंगा में अवैध खननएक ओर गंगा को लेकर सरकार और समाज की चिंताएं सातवें आसमान पर हैं, दूसरी तरफ इसी मुद्दे को लेकर 19 फरवरी से अनशन कर रहे एक युवा संन्यासी की ओर सबका ध्यान तब गया, जब उन्होंने इस संसार को छोड़ कर चले गए। हालत बिगड़ने पर प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार कर जिला अस्पताल में ला पटका। उन्हें राज्य के एक बड़े अस्पताल में करीब 10 दिन पहले तब दाखिल किया गया, जब उनके बच पाने की उम्मीद नहीं थी। हरिद्वार के स्वामी निगमानंद भले ही कोई ग्लैमरस बाबा नहीं थे, लेकिन गंगा को लेकर उन्होंने जो मुद्दे उठाए थे, वे बुनियादी और गंभीर थे। हरिद्वार में गंगा अपनी गति और त्वरा को नियंत्रित कर देती है। पहाड़ों में अठखेलियां करती उसकी चंचल छवि यहां पहुंचकर एक शांत, गंभीर और लोकमंगलकारी सरिता में परिवर्तित हो जाती है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

यमुना नदी में हुआ पहली बार घड़ियाल का प्रजनन

Submitted by Hindi on Mon, 06/20/2011 - 10:54
Author
दिनेश शाक्य
इटावा जिले के यमुना नदी में घड़ियालइटावा जिले के यमुना नदी में घड़ियालदेश में यह पहला मौका है जब किसी घड़ियाल ने सबसे प्रदूषित समझी जाने वाली यमुना नदी में प्रजनन किया है। निषेचन के उपरांत करीब घड़ियाल के बच्चे नजर आ रहे हैं। पहली बार यमुना नदी में घड़ियाल के बच्चे पाये जाने को लेकर जहां गांव वाले खासे खुश दिख रहे हैं वही पर्यावरणविद भी उत्साहित हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जिस प्रकार घड़ियाल ने यमुना नदी में प्रजनन किया है उससे एक उम्मीद यह भी बंध चली है कि आने वाले दिनों में यमुना नदी भी घड़ियालों के प्रजनन के लिये एक मुफीद प्राकृतिक वास बन सकेगा। घड़ियाल के प्रजनन का यह वाक्या हुआ है उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के हरौली गांव के पास हुआ है जहां इन बच्चों को लेकर गांव वाले खासे उत्साहित दिख रहे है। पहली बार घड़ियाल के प्रजनन को लेकर गांव वालों के साथ-साथ आम इंसान भी गदगद हो गये हैं।

संकट में गंगा मैया

Submitted by Hindi on Sat, 06/18/2011 - 12:59
Author
स्टार न्यूज
Source
स्टार न्यूज, 17 जून 2011


गंगा का पानी पीने क्या डुबकी लगाने लायक भी नहीं बचा है। खेती भी नहीं की जा सकती। पवित्रता की मिसाल कहे जाने वाली गंगा नदी गंदगी, कचरे और मल ढोते-ढोते अपनी पवित्रता खोती जा रही है। शोध के अनुसार गंगा नदी में जीवाणु पनप रहे हैं, ई-कोलाई जैसे घातक बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ रही है और पानी जहरीला हो चुका है। सीवर के पानी को बिना ट्रीटमेंट के बहाए जाने का सिलसिला अब भी जारी है जिससे हमारी गंगा मैया अब खतरे में हैं।
 

गंगा के लिए एक आहुति

Submitted by Hindi on Wed, 06/15/2011 - 12:47
Author
राजीव नयन बहुगुणा
Source
अमर उजाला, 14 जून 2011

गंगा में अवैध खननगंगा में अवैध खननएक ओर गंगा को लेकर सरकार और समाज की चिंताएं सातवें आसमान पर हैं, दूसरी तरफ इसी मुद्दे को लेकर 19 फरवरी से अनशन कर रहे एक युवा संन्यासी की ओर सबका ध्यान तब गया, जब उन्होंने इस संसार को छोड़ कर चले गए। हालत बिगड़ने पर प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार कर जिला अस्पताल में ला पटका। उन्हें राज्य के एक बड़े अस्पताल में करीब 10 दिन पहले तब दाखिल किया गया, जब उनके बच पाने की उम्मीद नहीं थी। हरिद्वार के स्वामी निगमानंद भले ही कोई ग्लैमरस बाबा नहीं थे, लेकिन गंगा को लेकर उन्होंने जो मुद्दे उठाए थे, वे बुनियादी और गंभीर थे। हरिद्वार में गंगा अपनी गति और त्वरा को नियंत्रित कर देती है। पहाड़ों में अठखेलियां करती उसकी चंचल छवि यहां पहुंचकर एक शांत, गंभीर और लोकमंगलकारी सरिता में परिवर्तित हो जाती है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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