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कार्टून छत्तीसगढ़ की रमन सरकार भी कांग्रेस के नक्शे कदम पर चलने लगी है। छत्तीसगढ़ जब अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा था तब वर्ष 1998 में पहली बार मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम ने राजनांदगांव के एक व
भोपाल के बड़े तालाब को शहर का लाइफ लाइन माना जाता है। इस तालाब से भोपाल की 40 फीसदी आबादी को जलापूर्ति की जाती है। पर प्राकृतिक छेड़छाड़ और तालाब के प्रति उदासीन रवैया ने तालाब के कैचमेंट क्षेत्र को कम कर दिया और नतीजन बारिश में तालाब का पेट नहीं भर पाता है और साल-दर-साल श
प्राकृतिक स्रोत हमारे अपने हैं। इसलिए इनकी सुरक्षा और संरक्षण का दायित्व भी हमारा ही है। अपने दायित्वों की पूर्ति करके ही हम जल-प्रदूषण के खतरे से बचे रह सकते हैं।
दिनोंदिन द्रुतगति से बढ़ती आबादी का पेट भरने के लिए हमारी कृषि भूमि पर दबाव काफी बढ़ गया है जिस कारण अधिकाधिक उपज लेने के लिए रासायनिक उर्वरकों खरपतवार-नाशकों तथा कीटनाशकों आदि का उपयोग भी तेजी से बढ़ गया है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में खतरनाक जल-प्रदूषण को जन्म देता है। इसके अलावा नगरीय कूड़े-कचरे, मल-मूत्र, प्लास्टिक और पॉलीथीन तथा विभिन्न उद्योगों के अवशिष्ट पदार्थों को नदियों तथा अन्य प्राकृतिक जलस्रोतों में बहा देने से भारी मात्रा में जल प्रदूषण पैदा होता है। जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव न केवल उन जीवों पर पड़ता है जो जल के भीतर ही जीवनायापन करते हैं, अपितु इसका कुप्रभाव ग्रामीण जनस्वास्थ्य पर भी पड़ता है।Pagination
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छत्तीसगढ़ में बिकती नदियां
सूख रहा है भोपाल की 'लाइफ लाइन' बड़ा तालाब
गांवों में जल प्रदूषण
प्राकृतिक स्रोत हमारे अपने हैं। इसलिए इनकी सुरक्षा और संरक्षण का दायित्व भी हमारा ही है। अपने दायित्वों की पूर्ति करके ही हम जल-प्रदूषण के खतरे से बचे रह सकते हैं।
दिनोंदिन द्रुतगति से बढ़ती आबादी का पेट भरने के लिए हमारी कृषि भूमि पर दबाव काफी बढ़ गया है जिस कारण अधिकाधिक उपज लेने के लिए रासायनिक उर्वरकों खरपतवार-नाशकों तथा कीटनाशकों आदि का उपयोग भी तेजी से बढ़ गया है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में खतरनाक जल-प्रदूषण को जन्म देता है। इसके अलावा नगरीय कूड़े-कचरे, मल-मूत्र, प्लास्टिक और पॉलीथीन तथा विभिन्न उद्योगों के अवशिष्ट पदार्थों को नदियों तथा अन्य प्राकृतिक जलस्रोतों में बहा देने से भारी मात्रा में जल प्रदूषण पैदा होता है। जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव न केवल उन जीवों पर पड़ता है जो जल के भीतर ही जीवनायापन करते हैं, अपितु इसका कुप्रभाव ग्रामीण जनस्वास्थ्य पर भी पड़ता है।Pagination
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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