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लोग कहते हैं कि बोतल बंद पानी का स्वाद अच्छा होता है और साथ ही यह खूब चलन में भी है। लेकिन इस बात की शायद ही किसी को ही चिंता हो कि प्लास्टिक की बोतलों से कितना प्रदूषण होता है। इससे कार्बन डाइ ऑक्साइड का भी बहुत ज्यादा उत्सर्जन होता है। मारिसा
लेकिन पंद्रह वर्षों की बैठकबाजी और कम से कम आठ बार संधि का प्रारूप बनने और बिगड़ने के बावजूद कोई ऐसा सर्वमान्य दस्तावेज तैयार नहीं हो पाया जिस पर जमा हुए देश अपनी मुहर लगा सके। अमेरिका जहां जलवायु परिवर्तन की ऐतिहासिक जिम्मेदारी लेते हुए वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए जा रहे कार्बन कटौती के लक्ष्यों को स्वीकार करने को तैयार नहीं था वहीं चीन जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के उपायों की स्वतंत्र जांच के लिए तैयार नहीं था। दुनिया का चालीस प्रतिशत से अधिक प्रदूषण फैलाने वाले ये दोनों ही देश क्योटो संधि जैसे बाध्यताकारी लक्ष्यों को मानने को तैयार नहीं थे। अंतत: मेजबान डेनमार्क ने अमेरिका, चीन, यूरोपीय संघ,
क्या मछलियों को दर्द भी होता है? क्या वह भी आम इंसानों की भांति दर्द होने पर कराहती और चिल्लाती है....इन उलझनों को सुलझाने का दावा किया है पेन स्टेट ने। प्रोफेसर और पर्यावरणविद पेन स्टेट की किताब ‘डू फिश फील पेन?’ के मुताबिक मछलियों में खास किस्म का स्नायु फाइबर्स होता है जो उकसाने वाली गतिविधियों, उत्तकों के नुकसान और दर्द का अहसास कराता है। चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसा ही स्नायु फाइबर्स स्तनपायी जीवों और चिड़ियों में भी पाया जाता है।
स्टेट ने बताया कि 2030 तक इंसान मछलियों की अधिकांश जरूरत फिश फार्म से पूरा करेगा। इसलिए मछलियों के देखभाल और स्वास्थ्य के प्रति जानना बेहद जरूरी है। प्रयोगों से पता चला है कि मछलियां किसी भी प्रतिकूल व्यवहार के प्रति सतर्क रहती है। यदि हम उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं तो वह ही प्रतिक्रिया
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ऐसा विज्ञापन, जो कहता है, मत खरीदो
लोग कहते हैं कि बोतल बंद पानी का स्वाद अच्छा होता है और साथ ही यह खूब चलन में भी है। लेकिन इस बात की शायद ही किसी को ही चिंता हो कि प्लास्टिक की बोतलों से कितना प्रदूषण होता है। इससे कार्बन डाइ ऑक्साइड का भी बहुत ज्यादा उत्सर्जन होता है। मारिसा
कोप 16 : कोपेनहेगन की ही राह पर कानकुन
लेकिन पंद्रह वर्षों की बैठकबाजी और कम से कम आठ बार संधि का प्रारूप बनने और बिगड़ने के बावजूद कोई ऐसा सर्वमान्य दस्तावेज तैयार नहीं हो पाया जिस पर जमा हुए देश अपनी मुहर लगा सके। अमेरिका जहां जलवायु परिवर्तन की ऐतिहासिक जिम्मेदारी लेते हुए वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए जा रहे कार्बन कटौती के लक्ष्यों को स्वीकार करने को तैयार नहीं था वहीं चीन जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के उपायों की स्वतंत्र जांच के लिए तैयार नहीं था। दुनिया का चालीस प्रतिशत से अधिक प्रदूषण फैलाने वाले ये दोनों ही देश क्योटो संधि जैसे बाध्यताकारी लक्ष्यों को मानने को तैयार नहीं थे। अंतत: मेजबान डेनमार्क ने अमेरिका, चीन, यूरोपीय संघ,
चौंकिए मत! जल की रानी को भी होता है दर्द
क्या मछलियों को दर्द भी होता है? क्या वह भी आम इंसानों की भांति दर्द होने पर कराहती और चिल्लाती है....इन उलझनों को सुलझाने का दावा किया है पेन स्टेट ने। प्रोफेसर और पर्यावरणविद पेन स्टेट की किताब ‘डू फिश फील पेन?’ के मुताबिक मछलियों में खास किस्म का स्नायु फाइबर्स होता है जो उकसाने वाली गतिविधियों, उत्तकों के नुकसान और दर्द का अहसास कराता है। चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसा ही स्नायु फाइबर्स स्तनपायी जीवों और चिड़ियों में भी पाया जाता है।
स्टेट ने बताया कि 2030 तक इंसान मछलियों की अधिकांश जरूरत फिश फार्म से पूरा करेगा। इसलिए मछलियों के देखभाल और स्वास्थ्य के प्रति जानना बेहद जरूरी है। प्रयोगों से पता चला है कि मछलियां किसी भी प्रतिकूल व्यवहार के प्रति सतर्क रहती है। यदि हम उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं तो वह ही प्रतिक्रिया
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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