तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

जोबनेर में अंग्रेजी राज के समय ही कृषि की आधुनिक पढ़ाई की शुरूआत हो गई थी। वहां की रियासत के राजा ने, ठिकानेदार ने अपने एक महल को कृषि महाविद्यालय खोलने के लिए दान में दिया था। आजादी के बाद यहां आधुनिक कृषि शिक्षा का विस्तार हुआ। आज इस क्षेत्र से न जाने कितनी तरह के शोध होते हैं। पर किसान के इस कौशल की ओर हमारे नए कृषि पंडितों का अधिकारियों का, किसी का भी ध्यान नहीं जा पाया है।
पिछले साल इन्हीं दिनों की बात है। हम लोग राजस्थान के जोबनेर क्षेत्र से निकल रहे थे। सड़क के दोनों तरफ खेतों में गेहूं कट चुका था। अभी पूले खलियान में नहीं पहुंचे थे। सारा दृश्य वही तो था जो बैसाखी के आसपास गेहूं के खेतों से गुजरते हुए दिखता था।जोबनेर में अंग्रेजी राज के समय ही कृषि की आधुनिक पढ़ाई की शुरूआत हो गई थी। वहां की रियासत के राजा ने, ठिकानेदार ने अपने एक महल को कृषि महाविद्यालय खोलने के लिए दान में दिया था। आजादी के बाद यहां आधुनिक कृषि शिक्षा का विस्तार हुआ। आज इस क्षेत्र से न जाने कितनी तरह के शोध होते हैं। पर किसान के इस कौशल की ओर हमारे नए कृषि पंडितों का अधिकारियों का, किसी का भी ध्यान नहीं जा पाया है।
पिछले साल इन्हीं दिनों की बात है। हम लोग राजस्थान के जोबनेर क्षेत्र से निकल रहे थे। सड़क के दोनों तरफ खेतों में गेहूं कट चुका था। अभी पूले खलियान में नहीं पहुंचे थे। सारा दृश्य वही तो था जो बैसाखी के आसपास गेहूं के खेतों से गुजरते हुए दिखता था।
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