नया ताजा
आगामी कार्यक्रम
खासम-खास
Content
इस साल मौसम विभाग का आकलन बिल्कुल सही साबित हुआ है कि अबकी बार सावन पूरी तरह से झूम कर आने वाला है। पंजाब बिजली की कमी से थर्राया हुआ है। सरकार को इस बात की ही बहुत खुशी है कि यदि सचमुच मानसून झमाझम बरसा तो बिजली की कमी वाली कमजोरी को सावन ढंक देगा। पर इसके आगे की भी सोची है सरकार ने कि बरसने वाले पानी का और क्या लाभ लिया जा सकता है?
इंसान की बढ़ती महत्वाकांक्षा समुद्र की गतिविधियों में ऐसा गहरा परिवर्तन ला रही है जिसकी भरपाई शायद कभी न हो पाए। इससे समुद्री खजाने का दोहन करने वाले मनुष्य पर भी इसका गंभीर असर पड़ना तय है। तेल के रिसाव, तेल टैकों के टूटने व उनकी सफाई से समुद्र का पर्यावरणीय पारिस्थितिक तंत्र बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक समुद्र को पृथ्वी का फेफड़ा माना जा सकता है क्योंकि हम सांस के जरिए जितनी ऑक्सीजन लेते हैं उसकी आधी ऑक्सीजन समुद्र हमें देता है। मनुष्य द्वारा छोड़ी कुल कार्बन डाइ ऑक्साइड का 30 फीसद भाग समुद्र अवशोषित करता है लेकिन बदलती समुद्री गतिविधियां और समुद्र में होने वाल
केंद्र सरकार की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ‘मनरेगा’ जैसी महत्वाकांक्षी योजना को दूसरे चरण में शहरों में भी लागू करने के लिए बेताब दिख रही है, लेकिन इसके पहले चरण में जिस तरीके से काम हो रहा है उससे गांवों की दशा में बड़े बदलाव की उम्मीद बेमानी ही लगती है। करोड़ों रुपये के खर्च से सैकड़ों पोखरे एवं तालाब खुदे लेकिन उसमें पानी भरने के लिए महीनों से बरसात का इंतजार हो रहा था। कारण कि पानी भरने का बजट मनरेगा में है ही नहीं। सड़कें बनीं, पर गरीबों के रास्ते अब भी कच्चे हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू के कई जिलों में मनरेगा के कामों की पड़ताल में यही हकीकत सामने आई है। मजदूरों की अहमियत जरूर बढ़ी है, अब दूसरी जगह भी उन्हें डेढ़ सौ रुपये तक मजदूरी मिल जाती है।
Pagination
प्रयास
नोटिस बोर्ड
Latest
खासम-खास
Content
सरकार तो नहीं पर चौकन्ने हैं संत सीचेवाल
इस साल मौसम विभाग का आकलन बिल्कुल सही साबित हुआ है कि अबकी बार सावन पूरी तरह से झूम कर आने वाला है। पंजाब बिजली की कमी से थर्राया हुआ है। सरकार को इस बात की ही बहुत खुशी है कि यदि सचमुच मानसून झमाझम बरसा तो बिजली की कमी वाली कमजोरी को सावन ढंक देगा। पर इसके आगे की भी सोची है सरकार ने कि बरसने वाले पानी का और क्या लाभ लिया जा सकता है?
समुद्र में तेल का जानलेवा खेल
इंसान की बढ़ती महत्वाकांक्षा समुद्र की गतिविधियों में ऐसा गहरा परिवर्तन ला रही है जिसकी भरपाई शायद कभी न हो पाए। इससे समुद्री खजाने का दोहन करने वाले मनुष्य पर भी इसका गंभीर असर पड़ना तय है। तेल के रिसाव, तेल टैकों के टूटने व उनकी सफाई से समुद्र का पर्यावरणीय पारिस्थितिक तंत्र बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक समुद्र को पृथ्वी का फेफड़ा माना जा सकता है क्योंकि हम सांस के जरिए जितनी ऑक्सीजन लेते हैं उसकी आधी ऑक्सीजन समुद्र हमें देता है। मनुष्य द्वारा छोड़ी कुल कार्बन डाइ ऑक्साइड का 30 फीसद भाग समुद्र अवशोषित करता है लेकिन बदलती समुद्री गतिविधियां और समुद्र में होने वाल
करोड़ों के तालाब खुदे, पानी का अता पता नहीं
केंद्र सरकार की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ‘मनरेगा’ जैसी महत्वाकांक्षी योजना को दूसरे चरण में शहरों में भी लागू करने के लिए बेताब दिख रही है, लेकिन इसके पहले चरण में जिस तरीके से काम हो रहा है उससे गांवों की दशा में बड़े बदलाव की उम्मीद बेमानी ही लगती है। करोड़ों रुपये के खर्च से सैकड़ों पोखरे एवं तालाब खुदे लेकिन उसमें पानी भरने के लिए महीनों से बरसात का इंतजार हो रहा था। कारण कि पानी भरने का बजट मनरेगा में है ही नहीं। सड़कें बनीं, पर गरीबों के रास्ते अब भी कच्चे हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू के कई जिलों में मनरेगा के कामों की पड़ताल में यही हकीकत सामने आई है। मजदूरों की अहमियत जरूर बढ़ी है, अब दूसरी जगह भी उन्हें डेढ़ सौ रुपये तक मजदूरी मिल जाती है।
Pagination
प्रयास
सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
- Read more about सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
- Comments
नोटिस बोर्ड
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
- Read more about 28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
- Comments
पसंदीदा आलेख