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Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by admin on Tue, 06/15/2010 - 11:14
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विश्व के प्रति नया दृष्टिकोण विश्व-स्तर पर मानव के ‘अधिकार’ को भी प्रभावित करेगा। मानव जाति की संपत्ति होने के कारण ‘ पृथ्वी’ पर किसी का भी अधिकार नहीं होना चाहिए, यहां तक कि राज्य का भी नहीं। ‘पृथ्वी’ को हमें एकदम नए दृष्टिकोण से देखना होगा। पृथ्वी ‘अपनी संपत्ति’ नहीं है अपितु मानव जाति की संपत्ति है। इसी तरह प्रकृति भी किसी की संपत्ति नहीं है, वरन् समूची मानव जाति की संपत्ति है। जब तक हम प्रकृति को ‘अपनी संपत्ति’ मानते रहेंगे, प्रकृति को लूटते रहेंगे, उसका ध्वंस करते रहेंगे।आज समय की मांग है कि विश्व के प्रति ऐसा दृष्टिकोण अपनाया जाए, जो मानव जाति की एकता, समाज और प्रकृति में समन्वय के सिध्दान्त पर आधारित हो। विश्व के प्रति नया दृष्टिकोण विश्व-स्तर पर मानव के ‘अधिकार’ को भी प्रभावित करेगा। मानव जाति की संपत्ति होने के कारण ‘ पृथ्वी’ पर किसी का भी अधिकार नहीं होना चाहिए, यहां तक कि राज्य का भी नहीं।

‘पृथ्वी’ को हमें एकदम नए दृष्टिकोण से देखना होगा। पृथ्वी ‘अपनी संपत्ति’ नहीं है अपितु मानव जाति की संपत्ति है। इसी तरह प्रकृति भी किसी की संपत्ति नहीं है, वरन् समूची मानव जाति की संपत्ति है। जब तक हम प्रकृति को ‘अपनी संपत्ति’ मानते रहेंगे, प्रकृति को लूटते रहेंगे, उसका ध्वंस करते रहेंगे।

Submitted by bipincc on Mon, 06/14/2010 - 22:17
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भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 1410 लाख हेक्टेअर शुद्ध कृषि योग्य क्षेत्र में से मोटे तौर पर 810 लाख हेक्टेअर क्षेत्र वर्षा आधारित है। इसके अलावा 600 लाख हेक्टेअर शुद्ध कृषि योग्य सिंचित इलाकों में से करीब 370-380 लाख हेक्टेअर भूजल द्वारा सिंचित है। अन्य करीब 50-90 लाख हेक्टेअर इलाका लघु सतही जल योजनाओं से सिंचित होता है, जो कि अनिवार्य तौर पर जल संरक्षण योजनाएं हैं। सिंचित इलाकों की ये श्रेणियां मूलतः किसी तरीके से वर्षा पर ही निर्भर हैं। भूजल रिचार्ज का प्राथमिक स्रोत वर्षाजल है और लघु सतही जल योजनाएं भी तभी भरती हैं जब बारिश होती है। इसका मतलब यह हुआ कि 1410 लाख शुद्ध कृषि योग्य इलाकों में से 1240-1260 लाख हेक्टेअर को अनिवार्य रूप से वर्षा आधारित क्षेत्र कहा जा सकता है, जो कि कुल शुद्ध कृषि योग्य इलाकों का 89 फीसदी होता है।

 

अब यदि हम केन्द्र एवं राज्य सरकार की जल

Submitted by admin on Mon, 06/14/2010 - 16:10
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“पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर पहेली है एवं इसके साथ हमारे जीवन-मरण का प्रश्न जुड़ा हुआ है, वैज्ञानिकों ने यदि समय रहते इसके परिहार के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए तो आने वाले समय में मनु-पुत्र सदा के लिए काले के गाल में समा जाएंगे।” प्रसिद्ध प्रकृतिविद् श्री सुन्दर लाल बहुगुणा का यह कथन आज की गंभीर रूप धारण करती हुई पर्यावरण प्रदूषण रूपी समस्या के सम्बन्ध में नितांत सत्य है।“पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर पहेली है एवं इसके साथ हमारे जीवन-मरण का प्रश्न जुड़ा हुआ है, वैज्ञानिकों ने यदि समय रहते इसके परिहार के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए तो आने वाले समय में मनु-पुत्र सदा के लिए काले के गाल में समा जाएंगे।” प्रसिद्ध प्रकृतिविद् श्री सुन्दर लाल बहुगुणा का यह कथन आज की गंभीर रूप धारण करती हुई पर्यावरण प्रदूषण रूपी समस्या के सम्बन्ध में नितांत सत्य है।

आज सम्पूर्ण विश्व पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से चिन्तित है एवं आज ऐसा कोई भी दिन नहीं बीतता जब पर्यावरण-प्रदूषण की समस्या पर चर्चा नहीं होती है। अमेरिका की राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अनुसार, “प्रदूषण, जल,

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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जनाधिकार है पर्यावरण

Submitted by admin on Tue, 06/15/2010 - 11:14
Author
जगदीश्‍वर चतुर्वेदी
विश्व के प्रति नया दृष्टिकोण विश्व-स्तर पर मानव के ‘अधिकार’ को भी प्रभावित करेगा। मानव जाति की संपत्ति होने के कारण ‘ पृथ्वी’ पर किसी का भी अधिकार नहीं होना चाहिए, यहां तक कि राज्य का भी नहीं। ‘पृथ्वी’ को हमें एकदम नए दृष्टिकोण से देखना होगा। पृथ्वी ‘अपनी संपत्ति’ नहीं है अपितु मानव जाति की संपत्ति है। इसी तरह प्रकृति भी किसी की संपत्ति नहीं है, वरन् समूची मानव जाति की संपत्ति है। जब तक हम प्रकृति को ‘अपनी संपत्ति’ मानते रहेंगे, प्रकृति को लूटते रहेंगे, उसका ध्वंस करते रहेंगे।आज समय की मांग है कि विश्व के प्रति ऐसा दृष्टिकोण अपनाया जाए, जो मानव जाति की एकता, समाज और प्रकृति में समन्वय के सिध्दान्त पर आधारित हो। विश्व के प्रति नया दृष्टिकोण विश्व-स्तर पर मानव के ‘अधिकार’ को भी प्रभावित करेगा। मानव जाति की संपत्ति होने के कारण ‘ पृथ्वी’ पर किसी का भी अधिकार नहीं होना चाहिए, यहां तक कि राज्य का भी नहीं।

‘पृथ्वी’ को हमें एकदम नए दृष्टिकोण से देखना होगा। पृथ्वी ‘अपनी संपत्ति’ नहीं है अपितु मानव जाति की संपत्ति है। इसी तरह प्रकृति भी किसी की संपत्ति नहीं है, वरन् समूची मानव जाति की संपत्ति है। जब तक हम प्रकृति को ‘अपनी संपत्ति’ मानते रहेंगे, प्रकृति को लूटते रहेंगे, उसका ध्वंस करते रहेंगे।

वर्षा आधारित क्षेत्रों को भगवान भरोसे छोड़ते हुए, बारिश के उपहार की उपेक्षा

Submitted by bipincc on Mon, 06/14/2010 - 22:17
Author
हिमांशु ठक्कर

भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 1410 लाख हेक्टेअर शुद्ध कृषि योग्य क्षेत्र में से मोटे तौर पर 810 लाख हेक्टेअर क्षेत्र वर्षा आधारित है। इसके अलावा 600 लाख हेक्टेअर शुद्ध कृषि योग्य सिंचित इलाकों में से करीब 370-380 लाख हेक्टेअर भूजल द्वारा सिंचित है। अन्य करीब 50-90 लाख हेक्टेअर इलाका लघु सतही जल योजनाओं से सिंचित होता है, जो कि अनिवार्य तौर पर जल संरक्षण योजनाएं हैं। सिंचित इलाकों की ये श्रेणियां मूलतः किसी तरीके से वर्षा पर ही निर्भर हैं। भूजल रिचार्ज का प्राथमिक स्रोत वर्षाजल है और लघु सतही जल योजनाएं भी तभी भरती हैं जब बारिश होती है। इसका मतलब यह हुआ कि 1410 लाख शुद्ध कृषि योग्य इलाकों में से 1240-1260 लाख हेक्टेअर को अनिवार्य रूप से वर्षा आधारित क्षेत्र कहा जा सकता है, जो कि कुल शुद्ध कृषि योग्य इलाकों का 89 फीसदी होता है।

 

अब यदि हम केन्द्र एवं राज्य सरकार की जल

पर्यावरण एवं जल प्रदूषण

Submitted by admin on Mon, 06/14/2010 - 16:10
Author
अनीता अग्रवाल
“पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर पहेली है एवं इसके साथ हमारे जीवन-मरण का प्रश्न जुड़ा हुआ है, वैज्ञानिकों ने यदि समय रहते इसके परिहार के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए तो आने वाले समय में मनु-पुत्र सदा के लिए काले के गाल में समा जाएंगे।” प्रसिद्ध प्रकृतिविद् श्री सुन्दर लाल बहुगुणा का यह कथन आज की गंभीर रूप धारण करती हुई पर्यावरण प्रदूषण रूपी समस्या के सम्बन्ध में नितांत सत्य है।“पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर पहेली है एवं इसके साथ हमारे जीवन-मरण का प्रश्न जुड़ा हुआ है, वैज्ञानिकों ने यदि समय रहते इसके परिहार के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए तो आने वाले समय में मनु-पुत्र सदा के लिए काले के गाल में समा जाएंगे।” प्रसिद्ध प्रकृतिविद् श्री सुन्दर लाल बहुगुणा का यह कथन आज की गंभीर रूप धारण करती हुई पर्यावरण प्रदूषण रूपी समस्या के सम्बन्ध में नितांत सत्य है।

आज सम्पूर्ण विश्व पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से चिन्तित है एवं आज ऐसा कोई भी दिन नहीं बीतता जब पर्यावरण-प्रदूषण की समस्या पर चर्चा नहीं होती है। अमेरिका की राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अनुसार, “प्रदूषण, जल,

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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