घर हमारे बड़े-बड़े हो गए हैं, पर दिल इतने छोटे कि उनमें नन्हीं-सी गौरैया भी नहीं आ पा रही. घर-घर की चिड़िया गौरैया आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है. ऐसे समय में लोगों में गौरैया के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उसकी रक्षा करने के लिए उतरप्रदेश के ललित पूर जिले के पर्यावरण प्रेमी और मानव आर्गेनाइजेशन के संस्थापक पुष्पेन्द्र सिंह चौहान आगे आये है ।
पुष्पेंद्र ने वर्ष 2012 में गौरैया बचाओ अभियान शुरू किया. और सबसे पहले उनके लिए घर बनाना प्रारंभ किया क्योंकि जिन छपर और खपरैल के घर में गौरैया अपना घोंसला बना कर रहती है समय बदलने के साथ उन स्थानों में सीमेंट की छतें आलीशान मकान बन चुके है।जिसके कारण गौरैया के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे है। पुष्पेंद्र ने गौरैया के लिये लकड़ी के घोसले बनाये है जिन्हें अपने आँगन और छतों पर लगाया हुआ है जिसके परिणाम भी सामने आ रहे है। गौरैया उन लकड़ी के घोसलों में अपना ठिकाना बना रही है, उनको अब यह नया घर खूब भा रहा है।
इसके साथ ही पुष्पेंद्र हर साल 20 मार्च गौरैया दिवस के अवसर पर अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने के लिए लकड़ी के बने घोसलों को भी वितरित करते है। जिससे लोग भी इस नन्ही सी चिड़िया को अपने घर मे एक छोटी से जगह देकर इसे संरक्षित करने का काम कर सके पुष्पेंद्र गौरैया के संरक्षण को लेकर नई पीढ़ी को भी जागरूक कर रहे है वह बच्चों को गौरैया के लकड़ी के घोसले बनाने के साथ बर्ड वाचिंग के लिये भी ले जाते है। और इस के लिये उन्हें सम्मानित भी करते है।
आज पुष्पेंद्र जैसे सक्रिय उत्साहित व समर्पित पर्यावरण प्रेमी की देश के हर हिस्से में आवश्यकता है जो पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक कर उनकी ऊर्जा को कर्तव्य पथ की एक सार्थक दिशा में मोड़ सकें