नर्मदा नदी में नही बन सकते बाँध 

Submitted by Shivendra on Wed, 09/29/2021 - 15:08

कृषि कानून को लेकर देश के किसान जहाँ पहले से ही आंदोलित है वही दूसरी और मध्यप्रदेश के खाते गांव कन्नौद के किसान सिंचाई की सुविधा नहीं होने से प्रशासन से नाराज हो गए है। इसलिये वह अपने क्षेत्रों में  पर्याप्त सिंचाई की सुविधा की मांग को लेकर पिछले कई महीनों से सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे है। किसान कहते है कि जब इंदिरा सागर बांध बन रहा था तो वह बहुत खुश हो रहे थे उन्हें लग रहा था कि बरसों से  पानी को लेकर जो उनका चिंतन था वो अब दूर हो जाएगा। वह पहले के मुकाबले बेहतर पैदावार कर सकेंगे। लेकिन जब ये बाँध बन गया तो उन्हें एहसास हो गया कि उन्होंने अपनी जमीन जंगल गवांने के अलावा इससे और कुछ हासिल नही कर पाए। 

आज भी यहाँ के किसानों के खेत पानी के लिये  तरस रहे। किसान कई बार प्रशासन से इस मसले पर धरना और रैली निकाल चुके है लेकिन उन्हें सरकार से सिर्फ  आश्वाशन ही मिलता है।  अब किसान समझ चुके है ये सरकारी आश्वाशन कि कोई समय सीमा  नही होती है ऐसे में वह सरकार से केवल यही चाहते कि उनके क्षेत्र में नर्मदा नदी पर एक और बांध बनाया जाए ताकि उनके खेतों को पानी मिल सके।किसानों को पूरा भरोसा है कि इस बार बाँध बनने से उन्हें अपनी फसलों के लिये जरूरी पानी मिल सकेगा।लेकिन अब सवाल उठता है कि सरकार को नर्मदा में एक और बांध बनाने से क्या समस्या है उससे तो उसका फायदा ही होगा । एक  तो बिजली का पैदावार होगा, दूसरा किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी  मिल सकेगा और तीसरा किसानों का समर्थन यानी चुनाव  में भरपूर वोट। दरअसल, इसके पीछे एक कड़वी  सच्चाई छिपी है जो बेहद  चिंतित और किसानों को निराश करने वाली है

गंगा-यमुना की तरह नर्मदा भी  ग्लेशियर से निकलने वाली नदी नहीं है।यह मुख्य रूप से वर्षा और सहायक नदियों के पानी पर निर्भर है।नर्मदा की कुल 41सहायक नदियां है।ये सहायक नदियां ही सतपुडा, विन्ध्य और मेकल पर्वतो से बुंद- बुंद पानी लाकर नर्मदा को पोषित करती है । लेकिन कई सालों से सहायक नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में खनन के चलते जंगलों की बेतहाशा कटाई से ये नदियाँ अब नर्मदा में मिलने की बजाय बीच रास्ते में सुख रही है।केंद्रीय जल आयोग द्वारा गरूडेश्वर स्टेशन से जो वार्षिक जल प्रवाह के आंकड़े मिले है वह नर्मदा में पानी की कमी के संकेत दे रहे है।

वार्षिक जल आंकङे अनुसार 2004- 2005 और 2014- 2015 की तुलना में 37 प्रतिशत नर्मदा नदी के प्रवाह में कमी आयी है।1975 के गणना अनुसार नर्मदा नदी में बहने वाली पानी की उपलब्धता 28 मिलियन एकङ फीट  (एमएएफ) था।नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण ने 1980 - 81 से प्रतिवर्ष नर्मदा कछार में उपलब्ध जल की मात्रा का जो  रिकार्ड किया गया उससे यह  पता चलता है कि नर्मदा कछार में उपलब्ध जल की मात्रा घटती- बढती रहती है। वर्ष 2010 -2011 में नर्मदा कछार में 22.11 एमएएफ जल उपलब्ध था। हिंदुस्तान टाइम्स के अप्रेल 2018  रिपोर्ट अनुसार 2017 में नर्मदा नदी की जल उपलब्धता 14.66 एमएएफ पाई गई।

नर्मदा में पानी की कमी का अनुमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की 3 मार्च 2016 को  विधनसभा में दी गई लिखित  जानकारी से  लगाया जा सकता है । जिसमें यह कहा था कि  वर्ष 1980 में नर्मदा में कुल 29  बड़े बाँध बनाने की योजना थी। जिसमें में से 10 बांध बन चुके हैं जबकि 6 बांधों पर काम चल रहा है वही शेष 13 बांधों में से 7 बांधों को निरस्त कर दिया गया है । इसीलिए किसानों द्वारा बार-बार सरकार से बांध बनाने की मांग पर उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है ।