भास्कर न्यूज/ संदीप केडिया/ झुंझुनूं
चिड़ावा पंचायत समिति का एक गांव ऐसा है जहां हर घर और हर ग्रामीण पानी का मोल समझने लगा है। एक गांव का कमाल ही है कि बाकी पूरा जिला पानी के संकट से दो-चार है मगर इस गांव के लोग चिंतामुक्त हैं। गांव का हर घर जल संरक्षण के लिए काम करता है। घरों से निकलने वाला पानी भी यहां बेकार नहीं जाता।
यह गांव है इस्माइलपुर। जहां बरसाती जल को सहेजने के लिए 101 कुंड बनाए गए हैं। एक कुंड में 25 हजार लीटर पानी इकट्ठा किया जा सकता है। इस लिहाज से 26 लाख 75 हजार लीटर सालाना पानी इकट्ठा होता है। इस्मालपुर में कुल 127 मकान हैं, जिनमें से 101 में खुद के वर्षा जल कुंड हैं और बाकी 26 मकान गांव में बने तालाब से पाइप लाइन से जुड़े हैं, इन घरों का बरसाती पानी तालाब में इकट्ठा हो जाता है।
करीब चार साल पहले ग्रामीणों के इस अनूठे कार्य की प्रेरणा मिली रामकृष्ण जयदयाल डालमिया सेवा संस्थान से। संस्थान ने इस गांव को गोद लिया और जल बचाओ अभियान छेड़ दिया।
नई तकनीक की सोखती कुइयां
इस्माइलपुर के घरों में बने बाथरूम और कीचन से निकलने वाले गंदे पानी को सीधे जमीन में डालने की बजाय नई तकनीक वाली सोखती कुइयां बनाई गई हैं। सोखती कुइयों तक पानी पहुंचने से पहले दो बार फिल्टर होता है। एक फिल्टर में निर्धारित मात्रा में तीन साइज के पत्थर, बजरी और बालू मिट्टी होती है। ऐसे ही दो फिल्टर होने के बाद पानी सोखती कुई तक पहुंचता है, ताकि जमीन में पहुंचने वाला पानी किटाणु और कचरे से मुक्त हो।
गांव और ग्रामीण बने प्रेरणा
गांव के सार्वजनिक कुएं के पास रिचार्ज वेल का निर्माण किया। जिस कुएं को हर साल पांच फुट बोरिंग कराना पड़ता है। पिछले तीन सालों से उसमें बोरिंग नहीं कराना पड़ा। ग्रामीणों के अनुसार इस कुएं का जल स्तर 15 फुट बढ़ा है। इसके अलावा गांव के हर घर से निकलने वाले खराब पानी को रिचार्ज कराने के लिए सोखती कुइयां बनाई हुई है। बारिश के पानी का संचयन करने के लिए 26 घरों को छोड़ हर घर का अपना वर्षा जल कुंड है।
साभार - भास्कर न्यूज
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