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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Shivendra on Tue, 10/13/2020 - 11:21
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प्रकृति बंदन
हमारी सनातन संस्कृति मुनष्य मात्र को ही नहीं, अखिल ब्रह्मांड को ईश्वर का विराट स्वरुप मानती है। इस विराट स्वरुप में ईश्वर सूक्ष्म रूप से प्रतिष्ठित है। श्रीमद्धशवदगीता के अनुसार सनातन का अर्थ है, जिसे अगि, जल, अख्-शख्र से नष्ट न किया जा सके और जो प्रत्येक जीव-निर्जीव में विद्यमान है। पूरे विश्व में केवल हमारी संस्कृति ही है, जो एक व्यक्ति को परिवार से, परिवार को समाज से और समाज को विश्व से जोड़कर एक परिवार के रूप में देखती है। हिंदुत्व केवल धर्म नहीं, एक वैज्ञानिक जीवन पद्धति है। हमारी संस्कृति की जड़ें इतनी परिष्कृत एवं व्यापक हैं कि हमारे प्रत्येक कार्य का वैज्ञानिक विश्लेषण स्वयं सिद्ध है।
Submitted by Editorial Team on Mon, 10/12/2020 - 12:26
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चरखा फीचर
फ्लोरोसिस युक्त जल से पीड़ित सफल मुर्मू
सिमलढाव पंचायत के अलग अलग गांवों में जल जनित इस बीमारी से अबतक सैकड़ों लोगों की मौतें हो चुकी हैं। सिमलढाब पंचायत के अंतर्गत 13 टोला हैं, उपरोक्त में से फ्लोरोसरिस से सर्वाधिक प्रभावित पंडित टोला, इलाकी व श्रीशटोला है, जहाँ पानी में फ्लोराइड की मात्रा सर्वाधिक है। सिर्फ पंडित टोला व इलाकी में ही सफल मुर्मू नहीं बल्कि 65 साल के पड़रा हेंब्रम, 62 वर्षीय सीताराम पंडित, 60 साल के मति सोरेन, 52 साल के होपनी किस्कू, 50 साल के साँझली मुर्मू और मंझो सोरेन, 35 वर्षीय कांहुँ मुर्मू, 34 साल के बुधिन टुडू, 30 साल के मुंझी हांसदा और 28 साल के नौजवान मंगल किस्कू सहित सैकड़ों लोग फ्लोरोसिस के शिकार हैं। सिमलढाव के कई ग्रामीणों का कहना है कि जब से होश संभाला तब से इस बिमारी की चपेट में खुद को पा रहे हैं। कितनी पुश्तें इस बिमारी का शिकार हो चुकी हैं, कोई नहीं जानता। चौंकाने वाली बात यह है कि इस से अब तक हुई मौतों का कोई आधिकारिक आंकड़ा तक विभाग के पास मौजूद नहीं है।
Submitted by Shivendra on Sat, 10/10/2020 - 16:20
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लीसा विदोहन की नई तकनीक
उत्तराखंड में करीब 26% चीड़ के जंगल हैं यानी कि ऐसे जंगल जहां चीड़ के पेड़ो की मात्रा सबसे अधिक है। इन चीड़ के पेड़ो को यहां अभिशाप माना जाता है क्यूंकि चीड़ के पेड़ से निकलने वाले पत्तों में आग बहुत तेजी से लगती है और उत्तराखंड के जंगलों में हर साल लगने वाली आग के लिए इन्ही चीड़ की पत्तियों को जिम्मेदार माना जाता रहा है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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जैसे एनीमल किंगडम है, वैसे ही प्लांट किंगडम : - डॉ. मोहनराव भागवत

Submitted by Shivendra on Tue, 10/13/2020 - 11:21
प्रकृति बंदन
हमारी सनातन संस्कृति मुनष्य मात्र को ही नहीं, अखिल ब्रह्मांड को ईश्वर का विराट स्वरुप मानती है। इस विराट स्वरुप में ईश्वर सूक्ष्म रूप से प्रतिष्ठित है। श्रीमद्धशवदगीता के अनुसार सनातन का अर्थ है, जिसे अगि, जल, अख्-शख्र से नष्ट न किया जा सके और जो प्रत्येक जीव-निर्जीव में विद्यमान है। पूरे विश्व में केवल हमारी संस्कृति ही है, जो एक व्यक्ति को परिवार से, परिवार को समाज से और समाज को विश्व से जोड़कर एक परिवार के रूप में देखती है। हिंदुत्व केवल धर्म नहीं, एक वैज्ञानिक जीवन पद्धति है। हमारी संस्कृति की जड़ें इतनी परिष्कृत एवं व्यापक हैं कि हमारे प्रत्येक कार्य का वैज्ञानिक विश्लेषण स्वयं सिद्ध है।

साहेबगंज के गांवों में पानी का कहर

Submitted by Editorial Team on Mon, 10/12/2020 - 12:26
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चरखा फीचर
फ्लोरोसिस युक्त जल से पीड़ित सफल मुर्मू
सिमलढाव पंचायत के अलग अलग गांवों में जल जनित इस बीमारी से अबतक सैकड़ों लोगों की मौतें हो चुकी हैं। सिमलढाब पंचायत के अंतर्गत 13 टोला हैं, उपरोक्त में से फ्लोरोसरिस से सर्वाधिक प्रभावित पंडित टोला, इलाकी व श्रीशटोला है, जहाँ पानी में फ्लोराइड की मात्रा सर्वाधिक है। सिर्फ पंडित टोला व इलाकी में ही सफल मुर्मू नहीं बल्कि 65 साल के पड़रा हेंब्रम, 62 वर्षीय सीताराम पंडित, 60 साल के मति सोरेन, 52 साल के होपनी किस्कू, 50 साल के साँझली मुर्मू और मंझो सोरेन, 35 वर्षीय कांहुँ मुर्मू, 34 साल के बुधिन टुडू, 30 साल के मुंझी हांसदा और 28 साल के नौजवान मंगल किस्कू सहित सैकड़ों लोग फ्लोरोसिस के शिकार हैं। सिमलढाव के कई ग्रामीणों का कहना है कि जब से होश संभाला तब से इस बिमारी की चपेट में खुद को पा रहे हैं। कितनी पुश्तें इस बिमारी का शिकार हो चुकी हैं, कोई नहीं जानता। चौंकाने वाली बात यह है कि इस से अब तक हुई मौतों का कोई आधिकारिक आंकड़ा तक विभाग के पास मौजूद नहीं है।

लीसा विदोहन के लिए उत्तराखंड वन विभाग की नई तकनीक

Submitted by Shivendra on Sat, 10/10/2020 - 16:20
लीसा विदोहन की नई तकनीक
उत्तराखंड में करीब 26% चीड़ के जंगल हैं यानी कि ऐसे जंगल जहां चीड़ के पेड़ो की मात्रा सबसे अधिक है। इन चीड़ के पेड़ो को यहां अभिशाप माना जाता है क्यूंकि चीड़ के पेड़ से निकलने वाले पत्तों में आग बहुत तेजी से लगती है और उत्तराखंड के जंगलों में हर साल लगने वाली आग के लिए इन्ही चीड़ की पत्तियों को जिम्मेदार माना जाता रहा है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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