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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Shivendra on Thu, 07/02/2020 - 12:42
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भारत के नगर निकायों में कचरा प्रबंधन का हाल
भारत के नगर निकायों में हर दिन 1 लाख 47 हजार 613 टन कचरा जनरेट होता है, लेकिन लगभग 50 प्रतिशत कचरा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात और कर्नाटक जैसे पांच राज्य अकेले ही जनरेट करते हैं। रिर्पोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा साॅलिड वेस्ट महाराष्ट्र से निकलता है। महाराष्ट्र के नगर निकायों से हर दिन निकलने वाले 22080 टन कचरे का 42 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश के 15500 टन कचरे का भी 42 प्रतिशत अनुपचारित रहता है।
Submitted by Editorial Team on Thu, 07/02/2020 - 12:16
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चरखा फीच्रर्स
बालिकाएं चर्चा करती हुई
किशोरियों ने माहवारी जैसे महत्वपूर्ण विषय पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। राजस्थान के बरड़ की किशोरियां स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से न केवल महिला स्वास्थ्य और यौन हिंसा पर खुल कर अपनी बात रख रही हैं, बल्कि माहवारी से जुड़े मिथ्यों को भी तोड़ कर आगे बढ़ रही हैं। बरड़ क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर संचालित सामाजिक संस्था शिव शिक्षा समिति रानोली, टोंक द्वारा पीएफआई के सहयोग से फाया परियोजना (फेमिनिस्ट यूथ लीड एक्शन) संचालित की जा रही है।
Submitted by Editorial Team on Thu, 07/02/2020 - 09:41
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जल चेतना, खण्ड 7, अंक 1, जनवरी 2018, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की
पर्यावरण संबंधी नीतियाँ और कानून, फोटो: needpix.com
केन्द्रीय सरकार के अधिकारियों को विश्लेषण करने के लिए किसी भी स्थान से वायु, जल, मिट्टी या कोई अन्य पदार्थ का नमूना लेने का अधिकार है। इस अधिनियम को 23 मार्च, 1986 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा मान्यता प्रदान की गयी। यह अधिनियम पर्यावरण की सुरक्षा उसकी उन्नति और सम्बन्धित मामलों के लिए बनाया गया है। वस्तुतः इसे भाेपाल गैस दुर्घटना के बाद संविधान के आर्टिकल 263 के अंतर्गत सम्मिलित कर दिया गया है। इस अधिनियम के सेक्शन 3(1) में भारत सरकार को अधिकृत किया गया है कि ‘‘पर्यावरणीय गुणवत्ता की सुरक्षा एवं उन्नयन तथा प्रदूषण से रक्षा, नियंत्रण एवं उपशमन के लिए समस्त संभव उपायों को करना है जो इनके लिए आवश्यक या उचित प्रतीत हो। 

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
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चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
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यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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भारत के नगर निकायों में कचरा प्रबंधन का हाल

Submitted by Shivendra on Thu, 07/02/2020 - 12:42
भारत के नगर निकायों में कचरा प्रबंधन का हाल
भारत के नगर निकायों में हर दिन 1 लाख 47 हजार 613 टन कचरा जनरेट होता है, लेकिन लगभग 50 प्रतिशत कचरा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात और कर्नाटक जैसे पांच राज्य अकेले ही जनरेट करते हैं। रिर्पोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा साॅलिड वेस्ट महाराष्ट्र से निकलता है। महाराष्ट्र के नगर निकायों से हर दिन निकलने वाले 22080 टन कचरे का 42 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश के 15500 टन कचरे का भी 42 प्रतिशत अनुपचारित रहता है।

माहवारी पर चुप्पी तोड़ रहीं बरड़ की बालिकाएं

Submitted by Editorial Team on Thu, 07/02/2020 - 12:16
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चरखा फीच्रर्स
बालिकाएं चर्चा करती हुई
किशोरियों ने माहवारी जैसे महत्वपूर्ण विषय पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। राजस्थान के बरड़ की किशोरियां स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से न केवल महिला स्वास्थ्य और यौन हिंसा पर खुल कर अपनी बात रख रही हैं, बल्कि माहवारी से जुड़े मिथ्यों को भी तोड़ कर आगे बढ़ रही हैं। बरड़ क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर संचालित सामाजिक संस्था शिव शिक्षा समिति रानोली, टोंक द्वारा पीएफआई के सहयोग से फाया परियोजना (फेमिनिस्ट यूथ लीड एक्शन) संचालित की जा रही है।

भारत में पानी-पर्यावरण सुरक्षा संबंधी अधिनियम व कानून

Submitted by Editorial Team on Thu, 07/02/2020 - 09:41
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जल चेतना, खण्ड 7, अंक 1, जनवरी 2018, जलविज्ञान संस्थान, रुड़की
पर्यावरण संबंधी नीतियाँ और कानून, फोटो: needpix.com
केन्द्रीय सरकार के अधिकारियों को विश्लेषण करने के लिए किसी भी स्थान से वायु, जल, मिट्टी या कोई अन्य पदार्थ का नमूना लेने का अधिकार है। इस अधिनियम को 23 मार्च, 1986 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा मान्यता प्रदान की गयी। यह अधिनियम पर्यावरण की सुरक्षा उसकी उन्नति और सम्बन्धित मामलों के लिए बनाया गया है। वस्तुतः इसे भाेपाल गैस दुर्घटना के बाद संविधान के आर्टिकल 263 के अंतर्गत सम्मिलित कर दिया गया है। इस अधिनियम के सेक्शन 3(1) में भारत सरकार को अधिकृत किया गया है कि ‘‘पर्यावरणीय गुणवत्ता की सुरक्षा एवं उन्नयन तथा प्रदूषण से रक्षा, नियंत्रण एवं उपशमन के लिए समस्त संभव उपायों को करना है जो इनके लिए आवश्यक या उचित प्रतीत हो। 

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
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चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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