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मसूरी की पहाड़ियों से निकलनी वाली सभी छोटी-बड़ी नदियाँ देहरादून से होकर गुजरती हैं। यही वजह थी कि देहरादून का मौसम वर्ष भर सुहावना ही रहता था। हालांकि यह अब बीते जमाने की बात हो चुकी है। इसलिये कि देहरादून की सभी छोटी-बड़ी नदियाँ अतिक्रमण और प्रदूषण की भेंट चढ़ गई हैं।
नदी-जोड़ परियोजना को लेकर केंद्रीय मंत्री 'उमा भारती' की हठधर्मिता की कहानी भी बहुत ही अजीब है। 'उमा भारती' किसी भी कीमत पर 'केन-बेतवा नदी-जोड़ परियोजना' को पूरा करना चाहती हैं।
7 जून 2016 को मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार केंद्रीय जल-संसाधन मंत्री 'उमा भारती' ने 'केन-बेतवा नदी-जोड़ परियोजना' में और देर होने पर भूख हड़ताल करने की धमकी दी है। ‘बिजनेस स्टैण्डर्ड’ अखबार के अनुसार उन्होंने पर्यावरणविदों द्वारा परियोजना का विरोध किये जाने को 'राष्ट्रीय अपराध' करार दिया है। यह धमकी उन सभी लोगों के लिये है जो जल-संसाधन मंत्रालय की 'केन-बेतवा नदी-जोड़ परियोजना' पर सवाल उठा रहे हैं।
पानी का प्रबन्ध पंचायत करेगी। पहली नजर में यह खबर सराहनीय लगती है। पंचायतों को पानी का प्रबन्धन करने के लिये बड़ी रकम दी जाएगी। 14वें वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार राज्य को जो रकम मिलने वाली है, उसमें से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के प्रबन्धन के लिये आवंटित रकम पंचायतों को दे दी जाएगी।
पानी का मसला लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के बजाय पंचायती राज विभाग को सौंप दिया जाएगा। पूरा खाका राज्य कैबिनेट को सौंप दिया गया है। लेकिन इस योजना में तालाब और कुओं का कहीं उल्लेख भी नहीं है। नलकूप, मोटरपम्प, पाइपलाइन, जलमीनार, जल-परिशोधन यंत्र इत्यादि के प्रावधान जरूर किये गए हैं। यहीं असली पेंच है जिससे खटका होता है।
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सुसवा नदी के पानी से कैंसर होने की प्रबल सम्भावना
नदी-जोड़ हठधर्मिता : केंद्रीय मंत्री की नियामकों, मीडिया और नागरिकों को धमकी
नदी-जोड़ परियोजना को लेकर केंद्रीय मंत्री 'उमा भारती' की हठधर्मिता की कहानी भी बहुत ही अजीब है। 'उमा भारती' किसी भी कीमत पर 'केन-बेतवा नदी-जोड़ परियोजना' को पूरा करना चाहती हैं।
7 जून 2016 को मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार केंद्रीय जल-संसाधन मंत्री 'उमा भारती' ने 'केन-बेतवा नदी-जोड़ परियोजना' में और देर होने पर भूख हड़ताल करने की धमकी दी है। ‘बिजनेस स्टैण्डर्ड’ अखबार के अनुसार उन्होंने पर्यावरणविदों द्वारा परियोजना का विरोध किये जाने को 'राष्ट्रीय अपराध' करार दिया है। यह धमकी उन सभी लोगों के लिये है जो जल-संसाधन मंत्रालय की 'केन-बेतवा नदी-जोड़ परियोजना' पर सवाल उठा रहे हैं।
बिहार के गाँवों में पानी पर टैक्स लगाने की तैयारी
पानी का प्रबन्ध पंचायत करेगी। पहली नजर में यह खबर सराहनीय लगती है। पंचायतों को पानी का प्रबन्धन करने के लिये बड़ी रकम दी जाएगी। 14वें वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार राज्य को जो रकम मिलने वाली है, उसमें से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के प्रबन्धन के लिये आवंटित रकम पंचायतों को दे दी जाएगी।
पानी का मसला लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के बजाय पंचायती राज विभाग को सौंप दिया जाएगा। पूरा खाका राज्य कैबिनेट को सौंप दिया गया है। लेकिन इस योजना में तालाब और कुओं का कहीं उल्लेख भी नहीं है। नलकूप, मोटरपम्प, पाइपलाइन, जलमीनार, जल-परिशोधन यंत्र इत्यादि के प्रावधान जरूर किये गए हैं। यहीं असली पेंच है जिससे खटका होता है।
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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