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गर्मी बढ़ गई, पारा आसमान छूने को है, चारों ओर पानी के लिये त्राही-त्राही मची है। लेकिन छत्तीसगढ़ में दो तरफ से लोगों की मौत हो रही है वे बर्बाद हो रहे हैं। पहले तो वे हैं जिनके पास पीने, आजीविका चलाने, सिंचाई करने का पानी नहीं है जैसे की किसान।
धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में 40 से ज्यादा किसानों ने मौत को गले सिर्फ इसलिये लगा लिया क्योंकि उनके पास अपने खेतों को सिंचने के लिये पानी नहीं था। दूसरे ओर वे लोग हैं जिनके पास पानी तो है लेकिन उनके पानी में धीमा जहर है और सेवन के साथ धीरे-धीरे मौत हो जाती है।
बुन्देलखण्ड का सूखा, एक नजीर बन चुका है। सो, स्थानीय संगठनों की पहल पर उत्तर प्रदेश का शासन कुछ नजीर पेश करने के मूड में दिखाई दे रहा है। उसने वहाँ 100 परम्परागत तालाबों के पुनर्जीवन की घोषणा की है; 50 तालाब महोबा में और 50 उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले शेष बुन्देलखण्ड में। खेत-तालाबों को लेकर एक घोषणा वह पहले कर ही चुका है।
मनरेगा के तहत बुन्देलखण्ड में 4,000 हजार अन्य तालाबों के पुनर्जीवन की भी घोषणा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कर आये हैं। कहा जा रहा है कि मानसून आने से पूर्व यह काम पूरा कर लिया जाएगा। इन घोषणाओं को लेकर स्थानीय स्वयंसेवी संगठन भी अपनी पीठ ठोक रहे हैं और उत्तर प्रदेश शासन भी। घोषणा यदि बिना भ्रष्टाचार और समय पर जमीन पर उतरती है, तो यह पीठ ठोकने का काम है भी।
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आर्सेनिक - मौत बाँटता पानी
गर्मी बढ़ गई, पारा आसमान छूने को है, चारों ओर पानी के लिये त्राही-त्राही मची है। लेकिन छत्तीसगढ़ में दो तरफ से लोगों की मौत हो रही है वे बर्बाद हो रहे हैं। पहले तो वे हैं जिनके पास पीने, आजीविका चलाने, सिंचाई करने का पानी नहीं है जैसे की किसान।
धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में 40 से ज्यादा किसानों ने मौत को गले सिर्फ इसलिये लगा लिया क्योंकि उनके पास अपने खेतों को सिंचने के लिये पानी नहीं था। दूसरे ओर वे लोग हैं जिनके पास पानी तो है लेकिन उनके पानी में धीमा जहर है और सेवन के साथ धीरे-धीरे मौत हो जाती है।
नदी-तालाबों की अहमियत कब समझेगा प्रतापगढ़ प्रशासन
बुन्देलखण्ड का सूखा, एक नजीर बन चुका है। सो, स्थानीय संगठनों की पहल पर उत्तर प्रदेश का शासन कुछ नजीर पेश करने के मूड में दिखाई दे रहा है। उसने वहाँ 100 परम्परागत तालाबों के पुनर्जीवन की घोषणा की है; 50 तालाब महोबा में और 50 उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले शेष बुन्देलखण्ड में। खेत-तालाबों को लेकर एक घोषणा वह पहले कर ही चुका है।
मनरेगा के तहत बुन्देलखण्ड में 4,000 हजार अन्य तालाबों के पुनर्जीवन की भी घोषणा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कर आये हैं। कहा जा रहा है कि मानसून आने से पूर्व यह काम पूरा कर लिया जाएगा। इन घोषणाओं को लेकर स्थानीय स्वयंसेवी संगठन भी अपनी पीठ ठोक रहे हैं और उत्तर प्रदेश शासन भी। घोषणा यदि बिना भ्रष्टाचार और समय पर जमीन पर उतरती है, तो यह पीठ ठोकने का काम है भी।
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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