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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by RuralWater on Mon, 05/23/2016 - 13:41
Source:

स्वच्छता मिशन से प्रेरित होकर उठाया कदम
घर में शौचालय बनवाकर गाँव की ब्रांड एम्बेसडर बन रहीं महिलाएँ

एनसीआर में शामिल महाभारतकालीन शहर मेरठ में भले ही विकास की अन्धाधुन्ध दौड़ क्यों न चल रही हो। लेकिन तेज रफ्तार भरे इस शहर के कई गाँव ऐसे हैं जो आज भी जिन्दगी की बुनियादी सुविधाओं के अभाव में गुजारने को मजबूर हैं। गंगा यमुना तहजीब की गवाह दोआबा भूमि कहलाने वाले मेरठ में गंगाजल से फसलें लहलहाती थीं।

विकास की दौड़ ने हवाईअड्डे, शॉपिंग मॉल और बहुमंजिला इमारतें तो शहर में खड़ी कर दीं। लेकिन इनके अन्धेरे में खेत-खलिहान खोते चले गए। खेतों में गेहूँ, गन्ने की जगह खड़ी होने वाली इमारतों, मॉल्स, फ्लाईओवर और सड़कों ने महज खाद्यान्न का संकट ही खड़ा नहीं किया, बल्कि उन तमाम ग्रामीण औरतों से शौचालय का वो अधिकार भी छीन लिया जो सवेरे चार बजे उठकर दिशा-मैदान के लिये सीधे इन खेतों की शरण में जाती थीं।
Submitted by RuralWater on Mon, 05/23/2016 - 11:08
Source:
dry river


विशाला नदी के तट पर खड़ा हूँ। इसी नदी के तट पर वैशाली नगर बसा। वैशाली का वैभव जैसे-जैसे मिटता गया, विशाला सिकुड़ती गई और इसका नाम भी बाया हो गया। गंगा आज भी उत्तरवाहिनी होकर इसे अपने आगोश में समेटती है, पर बाया अर्थात विशाला में इस वर्ष कहीं-कहीं और छोटी-छोटी कुंडियों में ही पानी बचा है।

बिहार के तकरीबन हर जिले की छोटी-छोटी नदियाँ सूख गई हैं। इसका असर अपेक्षाकृत बड़ी नदियों पर भी पड़ा है। महानन्दा के बाद बागमती और कमला की धाराएँ जगह-जगह सूख गई हैं। प्राचीन साहित्य में सदानीरा कहलाने वाली गंडक में भी कई स्थलों पर इतना कम पानी बचा था कि लोग पैदल टहलते हुए पार कर जाते थे। बिहार की नदियों की इस दुर्दशा का असर गंगा पर भी दिख रहा है।

Submitted by RuralWater on Sun, 05/22/2016 - 13:28
Source:
Swami Sanand


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद - 19वाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है:

मैं मानता हूँ कि मैं कड़ा हूँ। मतभेद रखने में कतराता नहीं हूँ। स्पष्टवादिता, मेरा स्वभाव है। इसके कारण कई नाराज हुए, तो लम्बे समय तक कई से प्यार भी मिला।

 

दिखावे के विरुद्ध


मैं दिखावे के समर्थन के भी विरुद्ध हूँ। जो ऐसे लोग मेरे सम्पर्क में आते हैं; उन्हें कड़ा कहता हूँ। मेरा उनसे विवाद हो जाता है। मैं कहता हूँ कि नहीं करना हो, तो मत करो; लेकिन दिखावा न करो। ‘मार्च ऑन द स्पॉट’ यानी एक जगह पैर पीटते रहना। यह भी मुझे पसन्द नहीं है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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इज्जत और मर्यादा की खातिर बनवाया शौचालय

Submitted by RuralWater on Mon, 05/23/2016 - 13:41
Author
शालू अग्रवाल

स्वच्छता मिशन से प्रेरित होकर उठाया कदम
घर में शौचालय बनवाकर गाँव की ब्रांड एम्बेसडर बन रहीं महिलाएँ


.एनसीआर में शामिल महाभारतकालीन शहर मेरठ में भले ही विकास की अन्धाधुन्ध दौड़ क्यों न चल रही हो। लेकिन तेज रफ्तार भरे इस शहर के कई गाँव ऐसे हैं जो आज भी जिन्दगी की बुनियादी सुविधाओं के अभाव में गुजारने को मजबूर हैं। गंगा यमुना तहजीब की गवाह दोआबा भूमि कहलाने वाले मेरठ में गंगाजल से फसलें लहलहाती थीं।

विकास की दौड़ ने हवाईअड्डे, शॉपिंग मॉल और बहुमंजिला इमारतें तो शहर में खड़ी कर दीं। लेकिन इनके अन्धेरे में खेत-खलिहान खोते चले गए। खेतों में गेहूँ, गन्ने की जगह खड़ी होने वाली इमारतों, मॉल्स, फ्लाईओवर और सड़कों ने महज खाद्यान्न का संकट ही खड़ा नहीं किया, बल्कि उन तमाम ग्रामीण औरतों से शौचालय का वो अधिकार भी छीन लिया जो सवेरे चार बजे उठकर दिशा-मैदान के लिये सीधे इन खेतों की शरण में जाती थीं।

सूखती नदियों के बीच हलक तर करने की चिन्ता

Submitted by RuralWater on Mon, 05/23/2016 - 11:08
Author
अमरनाथ
dry river


.विशाला नदी के तट पर खड़ा हूँ। इसी नदी के तट पर वैशाली नगर बसा। वैशाली का वैभव जैसे-जैसे मिटता गया, विशाला सिकुड़ती गई और इसका नाम भी बाया हो गया। गंगा आज भी उत्तरवाहिनी होकर इसे अपने आगोश में समेटती है, पर बाया अर्थात विशाला में इस वर्ष कहीं-कहीं और छोटी-छोटी कुंडियों में ही पानी बचा है।

बिहार के तकरीबन हर जिले की छोटी-छोटी नदियाँ सूख गई हैं। इसका असर अपेक्षाकृत बड़ी नदियों पर भी पड़ा है। महानन्दा के बाद बागमती और कमला की धाराएँ जगह-जगह सूख गई हैं। प्राचीन साहित्य में सदानीरा कहलाने वाली गंडक में भी कई स्थलों पर इतना कम पानी बचा था कि लोग पैदल टहलते हुए पार कर जाते थे। बिहार की नदियों की इस दुर्दशा का असर गंगा पर भी दिख रहा है।

साधुओं ने गंगा जी के लिये क्या किया - स्वामी सानंद

Submitted by RuralWater on Sun, 05/22/2016 - 13:28
Author
अरुण तिवारी
Swami Sanand


स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद - 19वाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है:

.मैं मानता हूँ कि मैं कड़ा हूँ। मतभेद रखने में कतराता नहीं हूँ। स्पष्टवादिता, मेरा स्वभाव है। इसके कारण कई नाराज हुए, तो लम्बे समय तक कई से प्यार भी मिला।

 

दिखावे के विरुद्ध


मैं दिखावे के समर्थन के भी विरुद्ध हूँ। जो ऐसे लोग मेरे सम्पर्क में आते हैं; उन्हें कड़ा कहता हूँ। मेरा उनसे विवाद हो जाता है। मैं कहता हूँ कि नहीं करना हो, तो मत करो; लेकिन दिखावा न करो। ‘मार्च ऑन द स्पॉट’ यानी एक जगह पैर पीटते रहना। यह भी मुझे पसन्द नहीं है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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