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रीवा जिले की जीवन रेखा कही जाने वाली बिछिया नदी बहुत बुरे दौर से गुजर रही है। आधी नदी के सूख जाने से लोगों ने उसे खेत बना डाला है जबकि बचे खुचे हिस्से पर जलकुम्भी ने कब्जा कर रखा है।
प्यास किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। अपने पानी के इन्तजाम के लिये हमें भी किसी की प्रतीक्षा नहीं करनी है। हमें अपनी जरूरत के पानी का इन्तजाम खुद करना है। देवउठनी ग्यारस का अबूझ सावा आये, तो नए जोहड़, कुण्ड और बावड़ियाँ बनाने का मुहूर्त करना है। आखा तीज का अबूझ सावा आये, तो समस्त पुरानी जल संरचनाओं की गाद निकालनी है; पाल और मेड़बन्दियाँ दुरुस्त करनी हैं, ताकि बारिश आये, तो पानी का कोई कटोरा खाली न रहे।
जल नीति और नेताओं के वादे ने फिलहाल इस एहसास पर धूल चाहे जो डाल दी हो, किन्तु भारत के गाँव-समाज को अपना यह दायित्व हमेशा से स्पष्ट था। जब तक हमारे शहरों में पानी की पाइप लाइन नहीं पहुँची थी, तब तक यह दायित्वपूर्ति शहरी भारतीय समुदाय को भी स्पष्ट थी, किन्तु पानी के अधिकार को लेकर अस्पष्टता हमेशा बनी रही।
हाल ही में केन्द्र सरकार ने आदेश दिया है कि अब सरकारी आयोजनों में टेबल पर बोतलबन्द पानी की बोतलें नहीं सजाई जाएँगी, इसके स्थान पर साफ पानी को पारम्परिक तरीके से गिलास में परोसा जाएगा। सरकार का यह शानदार कदम असल में केवल प्लास्टिक बोतलों के बढ़ते कचरे पर नियंत्रण मात्र नहीं है, बल्कि साफ पीने का पानी
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गायब होती जीवनरेखा
एक बहस-समवर्ती सूची में पानी
प्यास किसी की प्रतीक्षा नहीं करती। अपने पानी के इन्तजाम के लिये हमें भी किसी की प्रतीक्षा नहीं करनी है। हमें अपनी जरूरत के पानी का इन्तजाम खुद करना है। देवउठनी ग्यारस का अबूझ सावा आये, तो नए जोहड़, कुण्ड और बावड़ियाँ बनाने का मुहूर्त करना है। आखा तीज का अबूझ सावा आये, तो समस्त पुरानी जल संरचनाओं की गाद निकालनी है; पाल और मेड़बन्दियाँ दुरुस्त करनी हैं, ताकि बारिश आये, तो पानी का कोई कटोरा खाली न रहे।
जल नीति और नेताओं के वादे ने फिलहाल इस एहसास पर धूल चाहे जो डाल दी हो, किन्तु भारत के गाँव-समाज को अपना यह दायित्व हमेशा से स्पष्ट था। जब तक हमारे शहरों में पानी की पाइप लाइन नहीं पहुँची थी, तब तक यह दायित्वपूर्ति शहरी भारतीय समुदाय को भी स्पष्ट थी, किन्तु पानी के अधिकार को लेकर अस्पष्टता हमेशा बनी रही।
पाबन्दी जरूरी है प्लास्टिक बोतलों पर
हाल ही में केन्द्र सरकार ने आदेश दिया है कि अब सरकारी आयोजनों में टेबल पर बोतलबन्द पानी की बोतलें नहीं सजाई जाएँगी, इसके स्थान पर साफ पानी को पारम्परिक तरीके से गिलास में परोसा जाएगा। सरकार का यह शानदार कदम असल में केवल प्लास्टिक बोतलों के बढ़ते कचरे पर नियंत्रण मात्र नहीं है, बल्कि साफ पीने का पानी
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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नोटिस बोर्ड
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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