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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by RuralWater on Tue, 05/03/2016 - 14:01
Source:
नौला

A village of 7 Water-Springs
Submitted by Hindi on Mon, 05/02/2016 - 16:08
Source:
डाउन टू अर्थ
toilet

भारत सरकार के स्टेटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लिमेंटेशन मंत्रालय (एमओएसपीआई- Ministry of Statistics and Programme Implementation) की तरफ से जारी की गई स्वच्छता स्टेट्स रिपोर्ट 2016 के मुताबिक भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों का इस्तेमाल का आँकड़ा 95.6 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 98.8 प्रतिशत है।

नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ- National Sample Survey Office) द्वारा भारत में ये सर्वेक्षण मई-जून 2015 के दौरान किया गया जिसमें 73,176 ग्रामीण और 41,538 शहरी घरेलू आबादी को कवर किया गया। भारत के हर राज्य में जाकर लोगों से राय ली गई और आंकड़े जुटाए गए। सिर्फ अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा ही ऐसे राज्य थे जहाँ समय और अन्य सुविधाओं की कमीं के चलते सर्वेक्षण नहीं किया जा सका। यह सर्वे मात्र दो माह में किया गया था हालाँकि विशेषज्ञों के मुताबिक इस प्रकार के किसी भी सर्वेक्षण के लिये यह समय काफी नहीं है क्योंकि इतने कम समय में सही आँकड़े देना सम्भव नहीं है।

सर्वेक्षण में यह भी खुलासा हुआ है कि ग्रामीण घरेलू शौचालयों में 42.5 प्रतिशत और शहरी घरेलू शौचालयों में 87.9 प्रतिशत ही पानी की उपलब्धता है। सर्वेक्षण में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े मुद्दे भी उठाए गए हैं। जिसमें ये पता चला कि 36 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में उचित तरल निपटान प्रणाली का प्रबंध है जबकि 36.7 ग्रामीण क्षेत्रों में पक्की नाली (सीवरेज व्यवस्था) है..19 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ आज भी (कच्ची नाली) उचित तरल निपटान प्रणाली का कोई प्रबंध नहीं है।

सर्वेक्षण में खुले में शौच जाने वाले लोगों से जुड़े आँकड़े भी सामने आए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लगभग 52.1 प्रतिशत लोग खुले में शौच जाते हैं। झारखण्ड इनमें सबसे ऊपर है, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा जैसे राज्यों में खुले में शौच जाने वाले लोगों की संख्या बेहद ज्यादा बताई गई है। जबकि इसके ठीक उलट शहरी क्षेत्रों में खुले में शौच जाने वालों का प्रतिशत मात्र 7.5 है।

रिपोर्ट में सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छता से जुड़े अन्य कार्यक्रमों और योजनाओं पर भी रोशनी डाली गई है जिसमें कुछ अहम इस प्रकार हैं..

-रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 से 2015 के दौरान देश में 58 लाख शौचालय बनाए गए जो तय किए गए ग्रामीण घरेलू शौचालयों के लक्ष्य से कहीं ज्यादा है।

-ग्रामीण घरेलू शौचालयों के निर्माण में राजस्थान पहले स्थान पर है और पश्चिम बंगाल दूसरे स्थान पर। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत 1,109 सामुदायिक प्रसाधन सुविधाओं के अतिरिक्त विद्यालयों में 25,264 शौचालय और 8,377 आँगनवाड़ी शौचालय बनावाए गए।

-स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लागू होने के बाद 49 लाख से ज्यादा घरेलू शौचालयों का निर्माण किया गया। 2 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया था ऐसे में कम समय के अंदर ही लक्ष्य से ज्यादा घरेलू शौचालयों का निर्माण होना एक बड़ी उपलब्धि है।

• ग्राफ 2 और 3 से यह स्पष्ट है कि पिछले कुछ सालों में जहाँ व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है वहीं विद्यालयों और आँगनवाड़ी केंद्रों में शौचालयों की संख्या में कमी आई है।
• शहरी क्षेत्रों में 31 मार्च 2015 तक केवल एक लाख शौचालयों का निर्माण किया गया जो तय किए गए लक्ष्य 4 लाख 50 हजार शौचालय के मुकाबले काफी कम है।
• नए मिशन के तहत निजी और सार्वजनिक कंपनियों की मदद से शौचालयों के निर्माण का जो उद्देश्य तय किया गया था उसे भी कहीं ना कहीं धक्का लगा। 31 मार्च 2015 तक कंपनियों द्वारा स्कूलों में 3466 शौचालयों का निर्माण कराया गया जबकि सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों के द्वारा 1 लाख 41 हजार से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया।

मनरेगा (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme -MGNREGS) के तहत साल 2015-16 में लगभग 81,400 शौचालयों का निर्माण कराया गया जबकि 2014-15 में इसी योजना के तहत 672,000 शौचालयों का निर्माण हुआ था। शायद संख्या में कमीं आने की एक वजह यह भी हो सकती है कि सरकार ने मनरेगा को स्वच्छ भारत मिशन के साथ जोड़कर नहीं रखा। 2015 में कैग (Comptroller and Auditor General of India-CAG) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में भी स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि 2009-2012 और 2012-2014 के दौरान की योजनाओं के बीच कोई जुड़ाव दिखाइ नहीं देता। स्वच्छता मिशन, मनरेगा और इंदिरा आवास योजना (ग्रामीण गरीबों के लिये आवास योजना) के बीच मात्र 6 फीसदी जुड़ाव देखा गया है।

अंग्रेजी में पढ़ने के लिये इस लिंक को खोलें



Submitted by RuralWater on Sat, 04/30/2016 - 12:56
Source:

झील-झरनों का जिक्र ही मन में ठंडक भर देता है। अगर आपने झील-झरनों के सानिध्य में कुछ पल बिताए हैं तो आनन्द के चरम को महसूस भी किया होगा। करीब 5 साल पहले मैंने भी ऐसे ही चरम को महसूस किया। मन काफी समृद्ध महसूस करता था कि झाँसी से सिर्फ 20 किलोमीटर दूर बरुआसागर कस्बे में एक झील (इसे स्वर्गाश्रम झरना भी कहते हैं) है, जहाँ प्राकृतिक सौन्दर्य, मनोहारी दृश्य का लुत्फ उठा सकते थे। मन होने पर कल-कल बहते झरने में नहा भी सकते थे। 10 से 15 फीट तक इसमें पानी रहता था।

दरअसल, आज जिस मैदान के बीचों-बीच मैं खड़ा हूँ, ये वही झील है, जो बुन्देलखण्ड के सबसे समृद्ध शहर झाँसी के बरुआसागर में है। 237 हेक्टेयर में फैली झील के मैदान में किसान खेती कर रहे हैं। खुरपी, फावड़े से फसल ठीक कर रहे हैं। एक युवक इसमें बने आशियाने में सो रहा है तो कोई इसमें बनाए गए कुओं से गन्दा पानी भर रहा है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

Latest

खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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डीएनए टेस्टः स्वच्छ भारत मिशन स्वच्छता स्टेटस रिपोर्ट 2016

Submitted by Hindi on Mon, 05/02/2016 - 16:08
Author
सुष्मिता सेनगुफ्ता
Source
डाउन टू अर्थ
toilet

.भारत सरकार के स्टेटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लिमेंटेशन मंत्रालय (एमओएसपीआई- Ministry of Statistics and Programme Implementation) की तरफ से जारी की गई स्वच्छता स्टेट्स रिपोर्ट 2016 के मुताबिक भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों का इस्तेमाल का आँकड़ा 95.6 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 98.8 प्रतिशत है।

नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ- National Sample Survey Office) द्वारा भारत में ये सर्वेक्षण मई-जून 2015 के दौरान किया गया जिसमें 73,176 ग्रामीण और 41,538 शहरी घरेलू आबादी को कवर किया गया। भारत के हर राज्य में जाकर लोगों से राय ली गई और आंकड़े जुटाए गए। सिर्फ अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा ही ऐसे राज्य थे जहाँ समय और अन्य सुविधाओं की कमीं के चलते सर्वेक्षण नहीं किया जा सका। यह सर्वे मात्र दो माह में किया गया था हालाँकि विशेषज्ञों के मुताबिक इस प्रकार के किसी भी सर्वेक्षण के लिये यह समय काफी नहीं है क्योंकि इतने कम समय में सही आँकड़े देना सम्भव नहीं है।

सर्वेक्षण में यह भी खुलासा हुआ है कि ग्रामीण घरेलू शौचालयों में 42.5 प्रतिशत और शहरी घरेलू शौचालयों में 87.9 प्रतिशत ही पानी की उपलब्धता है। सर्वेक्षण में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े मुद्दे भी उठाए गए हैं। जिसमें ये पता चला कि 36 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में उचित तरल निपटान प्रणाली का प्रबंध है जबकि 36.7 ग्रामीण क्षेत्रों में पक्की नाली (सीवरेज व्यवस्था) है..19 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ आज भी (कच्ची नाली) उचित तरल निपटान प्रणाली का कोई प्रबंध नहीं है।

सर्वेक्षण में खुले में शौच जाने वाले लोगों से जुड़े आँकड़े भी सामने आए हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लगभग 52.1 प्रतिशत लोग खुले में शौच जाते हैं। झारखण्ड इनमें सबसे ऊपर है, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा जैसे राज्यों में खुले में शौच जाने वाले लोगों की संख्या बेहद ज्यादा बताई गई है। जबकि इसके ठीक उलट शहरी क्षेत्रों में खुले में शौच जाने वालों का प्रतिशत मात्र 7.5 है।

Percentage of population practicing open defecation in rural areasरिपोर्ट में सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छता से जुड़े अन्य कार्यक्रमों और योजनाओं पर भी रोशनी डाली गई है जिसमें कुछ अहम इस प्रकार हैं..

-रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 से 2015 के दौरान देश में 58 लाख शौचालय बनाए गए जो तय किए गए ग्रामीण घरेलू शौचालयों के लक्ष्य से कहीं ज्यादा है।

Individual rural household toilets constructed over the years-ग्रामीण घरेलू शौचालयों के निर्माण में राजस्थान पहले स्थान पर है और पश्चिम बंगाल दूसरे स्थान पर। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत 1,109 सामुदायिक प्रसाधन सुविधाओं के अतिरिक्त विद्यालयों में 25,264 शौचालय और 8,377 आँगनवाड़ी शौचालय बनावाए गए।

School and anganwadi toilets constructed over the years under SBM-स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लागू होने के बाद 49 लाख से ज्यादा घरेलू शौचालयों का निर्माण किया गया। 2 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया था ऐसे में कम समय के अंदर ही लक्ष्य से ज्यादा घरेलू शौचालयों का निर्माण होना एक बड़ी उपलब्धि है।

• ग्राफ 2 और 3 से यह स्पष्ट है कि पिछले कुछ सालों में जहाँ व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है वहीं विद्यालयों और आँगनवाड़ी केंद्रों में शौचालयों की संख्या में कमी आई है।
• शहरी क्षेत्रों में 31 मार्च 2015 तक केवल एक लाख शौचालयों का निर्माण किया गया जो तय किए गए लक्ष्य 4 लाख 50 हजार शौचालय के मुकाबले काफी कम है।
• नए मिशन के तहत निजी और सार्वजनिक कंपनियों की मदद से शौचालयों के निर्माण का जो उद्देश्य तय किया गया था उसे भी कहीं ना कहीं धक्का लगा। 31 मार्च 2015 तक कंपनियों द्वारा स्कूलों में 3466 शौचालयों का निर्माण कराया गया जबकि सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों के द्वारा 1 लाख 41 हजार से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया।

मनरेगा (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme -MGNREGS) के तहत साल 2015-16 में लगभग 81,400 शौचालयों का निर्माण कराया गया जबकि 2014-15 में इसी योजना के तहत 672,000 शौचालयों का निर्माण हुआ था। शायद संख्या में कमीं आने की एक वजह यह भी हो सकती है कि सरकार ने मनरेगा को स्वच्छ भारत मिशन के साथ जोड़कर नहीं रखा। 2015 में कैग (Comptroller and Auditor General of India-CAG) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में भी स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि 2009-2012 और 2012-2014 के दौरान की योजनाओं के बीच कोई जुड़ाव दिखाइ नहीं देता। स्वच्छता मिशन, मनरेगा और इंदिरा आवास योजना (ग्रामीण गरीबों के लिये आवास योजना) के बीच मात्र 6 फीसदी जुड़ाव देखा गया है।

अंग्रेजी में पढ़ने के लिये इस लिंक को खोलें



इस मैदान में एक झील दफन है, उसे हमने मारा है

Submitted by RuralWater on Sat, 04/30/2016 - 12:56
Author
जीशान अख्तर

.झील-झरनों का जिक्र ही मन में ठंडक भर देता है। अगर आपने झील-झरनों के सानिध्य में कुछ पल बिताए हैं तो आनन्द के चरम को महसूस भी किया होगा। करीब 5 साल पहले मैंने भी ऐसे ही चरम को महसूस किया। मन काफी समृद्ध महसूस करता था कि झाँसी से सिर्फ 20 किलोमीटर दूर बरुआसागर कस्बे में एक झील (इसे स्वर्गाश्रम झरना भी कहते हैं) है, जहाँ प्राकृतिक सौन्दर्य, मनोहारी दृश्य का लुत्फ उठा सकते थे। मन होने पर कल-कल बहते झरने में नहा भी सकते थे। 10 से 15 फीट तक इसमें पानी रहता था।

दरअसल, आज जिस मैदान के बीचों-बीच मैं खड़ा हूँ, ये वही झील है, जो बुन्देलखण्ड के सबसे समृद्ध शहर झाँसी के बरुआसागर में है। 237 हेक्टेयर में फैली झील के मैदान में किसान खेती कर रहे हैं। खुरपी, फावड़े से फसल ठीक कर रहे हैं। एक युवक इसमें बने आशियाने में सो रहा है तो कोई इसमें बनाए गए कुओं से गन्दा पानी भर रहा है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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