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मध्य प्रदेश का मंडला जिला वर्षों तक एक रहस्यमय बीमारी का शिकार रहा। स्थानीय मीडिया की अनभिज्ञता और सरकारी जागरुकता की कमी ही थी जिसके चलते एक चिकित्सकीय परेशानी या बीमारी को देवी-देवता, अन्धविश्वास और ऊपरी प्रकोप से जोड़कर देखा जाता रहा। हुआ यह कि 80 के दशक और उसके बाद अचानक मंडला जिले के कुछ खास इलाकों में लोगों के हाथ-पैर अचानक टेढ़े होने लगे, उनकी गर्दन नीचे को झुककर सख्त हो गई और लगभग गाँव-के-गाँव दाँतों के पीलेपन की बीमारी से पीड़ित हो गए।
यह समस्या दरअसल पेयजल में फ्लोराइड की अधिकता की वजह से उत्पन्न हुई थी। दिक्कत यह थी कि उस वक्त तक मंडला जिला देश के फ्लोराइड मानचित्र पर मौजूद तक नहीं था।
बहराइच…यूपी का वो जिला जो अपने खूबसूरत जंगलों और वाइल्ड लाइफ रिजर्व के लिये पूरे देश में जाना जाता है। यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता और कल-कल करती बहती सरयू नदी लोगों को अपनी ओर खींच लेती है। लेकिन ऐसी सुन्दरता के बीच एक अभिशाप भी इस जिले को है। वो है यहाँ के पानी में आर्सेनिक की मात्रा। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक जिले की 194 ग्राम पंचायत के 523 मजरों के पानी की 2013 में जाँच की गई थी। जाँच में जो तथ्य सामने आये वो हैरान करने वाले थे। जाँच में पाया गया कि 50 फीसदी से अधिक पानी में आर्सेनिक तत्व थे। जो अपनी तय मात्रा से काफी ज्यादा था।
जापान की यूनिवर्सिटी ऑफ मियाजॉकी और ईको फ्रेंड्स संस्था ने भी इस जिले के गाँवों में पानी में आर्सेनिक की जाँच की जो कि खतरनाक लेवल से ऊपर था।
भारतीय कालगणना दुनिया में सबसे पुरानी है। इसके अनुसार, भारतीय नववर्ष का पहला दिन, सृष्टि रचना की शुरुआत का दिन है। आईआईटी, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. बिशन किशोर कहते हैं कि “यह एक तरह से पृथ्वी की जन्मदिन की तिथि है। तद्नुसार इस भारतीय नववर्ष पर अपनी पृथ्वी एक अरब, 97 करोड़, 29 लाख, 49 हजार, 104 वर्ष की हो गई।
वैदिक मानव सृष्टि सम्वत् के अनुसार, मानव उत्पत्ति इसके कुछ काल बाद यानी अब से एक अरब, 96 करोड़, आठ लाख, 53 हजार, 115 वर्ष पूर्व हुई। जाहिर है कि 22 अप्रैल, पृथ्वी का जन्म दिवस नहीं है। चार युग जब हजार बार बीत जाते हैं, तब ब्रह्मा जी का एक दिन होता है। इस एक दिन के शुरू में सृष्टि की रचना प्रारम्भ होती है और संध्या होते-होते प्रलय।
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फ्लोरोसिस से उबर कर आगे बढ़ा मंडला
मध्य प्रदेश का मंडला जिला वर्षों तक एक रहस्यमय बीमारी का शिकार रहा। स्थानीय मीडिया की अनभिज्ञता और सरकारी जागरुकता की कमी ही थी जिसके चलते एक चिकित्सकीय परेशानी या बीमारी को देवी-देवता, अन्धविश्वास और ऊपरी प्रकोप से जोड़कर देखा जाता रहा। हुआ यह कि 80 के दशक और उसके बाद अचानक मंडला जिले के कुछ खास इलाकों में लोगों के हाथ-पैर अचानक टेढ़े होने लगे, उनकी गर्दन नीचे को झुककर सख्त हो गई और लगभग गाँव-के-गाँव दाँतों के पीलेपन की बीमारी से पीड़ित हो गए।
यह समस्या दरअसल पेयजल में फ्लोराइड की अधिकता की वजह से उत्पन्न हुई थी। दिक्कत यह थी कि उस वक्त तक मंडला जिला देश के फ्लोराइड मानचित्र पर मौजूद तक नहीं था।
सरकारी नलों से बह रहा है आर्सेनिक ‘स्लो प्वॉइजन’ (Partial success story: Arsenicosis continues in Bahraich)
बहराइच…यूपी का वो जिला जो अपने खूबसूरत जंगलों और वाइल्ड लाइफ रिजर्व के लिये पूरे देश में जाना जाता है। यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता और कल-कल करती बहती सरयू नदी लोगों को अपनी ओर खींच लेती है। लेकिन ऐसी सुन्दरता के बीच एक अभिशाप भी इस जिले को है। वो है यहाँ के पानी में आर्सेनिक की मात्रा। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक जिले की 194 ग्राम पंचायत के 523 मजरों के पानी की 2013 में जाँच की गई थी। जाँच में जो तथ्य सामने आये वो हैरान करने वाले थे। जाँच में पाया गया कि 50 फीसदी से अधिक पानी में आर्सेनिक तत्व थे। जो अपनी तय मात्रा से काफी ज्यादा था।
जापान की यूनिवर्सिटी ऑफ मियाजॉकी और ईको फ्रेंड्स संस्था ने भी इस जिले के गाँवों में पानी में आर्सेनिक की जाँच की जो कि खतरनाक लेवल से ऊपर था।
22 अप्रैल कैसे बना पृथ्वी दिवस
22 अप्रैल 2016, पृथ्वी दिवस पर विशेष
भारतीय कालगणना दुनिया में सबसे पुरानी है। इसके अनुसार, भारतीय नववर्ष का पहला दिन, सृष्टि रचना की शुरुआत का दिन है। आईआईटी, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. बिशन किशोर कहते हैं कि “यह एक तरह से पृथ्वी की जन्मदिन की तिथि है। तद्नुसार इस भारतीय नववर्ष पर अपनी पृथ्वी एक अरब, 97 करोड़, 29 लाख, 49 हजार, 104 वर्ष की हो गई।
वैदिक मानव सृष्टि सम्वत् के अनुसार, मानव उत्पत्ति इसके कुछ काल बाद यानी अब से एक अरब, 96 करोड़, आठ लाख, 53 हजार, 115 वर्ष पूर्व हुई। जाहिर है कि 22 अप्रैल, पृथ्वी का जन्म दिवस नहीं है। चार युग जब हजार बार बीत जाते हैं, तब ब्रह्मा जी का एक दिन होता है। इस एक दिन के शुरू में सृष्टि की रचना प्रारम्भ होती है और संध्या होते-होते प्रलय।
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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