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पंचायत राज दिवस यानि 24 अप्रैल 2016 को ‘ग्रामोदय से भारत उदय अभियान’ का नारा दिया गया। झारखण्ड के जमशेदपुर के जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गाँव पंचायतों को खुद अपनी योजना बनाने और लागू करने को ललकारा। पीएम ने दिल्ली की संसद से बड़ी गाँव की ग्रामसभा को बताते हुए कहा कि अब गाँवों के लिये अलग बजट आता है इसलिये गाँवों के लिये पैसों की कमी नहीं है।
केन्द्र सरकार की ‘ग्रामोदय से भारत उदय’ अभियान के तहत संकल्पना है कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के साथ ही ‘गाँव सरकार’ का चेहरा सबको दिखने लगे यानि उनके अधिकार को और स्पष्ट किया जाये। जिससे गाँव सरकार अपने निर्णय खुद करने लगें।
स्वामी सांनद गंगा संकल्प संवाद - 11वाँ कथन आपके समक्ष पठन-पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है:
अड्डे पर पहुँचकर हमने लखनऊ की बस पकड़ी। जब वह बस अगले स्टाॅप पर रुकी, तो पत्रकारों की टीम कैमरा लिये सामने थी। पता लगा कि जब मेरी और गुरुजी की बात हो रही थी, तो वहाँ अमर उजाला का कोई पत्रकार मौजूद था। उसी से सभी को सूचना मिली।
अर्जुन के पास फोन था। गुरुजी के पास फोन आया कि लौट आओ; फिर कहा कि अच्छा अब सन्यासी के कपड़े पहन लो।
“नदी कॉलम के लेखक इन दिनों गंगासागर से गोमुख की यात्रा पर हैं। आने वाले अंकों में गंगा पथ पर बसे नगरों, वहाँ की संस्कृति, गंगा पर निर्भर जीविकोपार्जन और गंगा पर आकार ले रही सरकारी परियोजनाओं पर केन्द्रित बातचीत होगी।”
दुनिया की हर नदी अंतत सागर में समाती है लेकिन गंगा ही विश्व की एकमात्र नदी है जिसके नाम से सागर जाना जाता है। हिन्दु तीर्थों का एक प्रसिद्ध उद्घोष है, सारे तीरथ बार-बार गंगासागर एक बार। एक समय था जब गंगासागर की यात्रा दुर्गम मानी जाती थी। सम्भवतः मंधार पर्वत (वर्तमान भागलपुर) के समीप से यह यात्रा शुरु होती थी और बंगाल सहित (उस समय कोलकाता समेत पूरे बंगाल का इलाका समुद्र से घिरा और छोटे-छोटे द्वीपों में बँटा था।) तमाम छोटे-मोटे द्वीपों को पार कर विशाल गंगा नदी में लहराती नौकाएँ कई दिनों में गंगा सागर पहुँचती थी। ना जाने कितने ही यात्रियों के लिये गंगासागर की यात्रा अन्तिम यात्रा साबित होती थी। पुराने गजेटियरों में नौका डूबने और वर्मा (म्यांमार) आदि से समुद्री लूटेरों के आने की घटनाएँ भरी पड़ी हैं। लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है।
पिछले पाँच साल के अन्तराल में तीसरी बार गंगासागर आना हुआ। कचुवेड़िया घाट पर मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी का विशाल बैनर स्वागत करता है, बांग्ला में लिखे उनके सन्देश का अर्थ है, सारे तीरथ एक बार लेकिन गंगासागर बार-बार। द्वीप पर आस्थावानों को दोबारा बुलाने की उनकी अपील साफ संकेत करती है कि गंगासागर आना अब बेहद आसान है और तीर्थयात्रियों के लिये यहाँ बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
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गाँव सरकार, सबसे निकम्मी
पंचायत राज दिवस यानि 24 अप्रैल 2016 को ‘ग्रामोदय से भारत उदय अभियान’ का नारा दिया गया। झारखण्ड के जमशेदपुर के जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गाँव पंचायतों को खुद अपनी योजना बनाने और लागू करने को ललकारा। पीएम ने दिल्ली की संसद से बड़ी गाँव की ग्रामसभा को बताते हुए कहा कि अब गाँवों के लिये अलग बजट आता है इसलिये गाँवों के लिये पैसों की कमी नहीं है।
केन्द्र सरकार की ‘ग्रामोदय से भारत उदय’ अभियान के तहत संकल्पना है कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के साथ ही ‘गाँव सरकार’ का चेहरा सबको दिखने लगे यानि उनके अधिकार को और स्पष्ट किया जाये। जिससे गाँव सरकार अपने निर्णय खुद करने लगें।
मेरी कैलकुलेशन गलत निकली : स्वामी सानंद
स्वामी सांनद गंगा संकल्प संवाद - 11वाँ कथन आपके समक्ष पठन-पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है:
अड्डे पर पहुँचकर हमने लखनऊ की बस पकड़ी। जब वह बस अगले स्टाॅप पर रुकी, तो पत्रकारों की टीम कैमरा लिये सामने थी। पता लगा कि जब मेरी और गुरुजी की बात हो रही थी, तो वहाँ अमर उजाला का कोई पत्रकार मौजूद था। उसी से सभी को सूचना मिली।
अर्जुन के पास फोन था। गुरुजी के पास फोन आया कि लौट आओ; फिर कहा कि अच्छा अब सन्यासी के कपड़े पहन लो।
बदल रही है सूरत ए हाल…
“नदी कॉलम के लेखक इन दिनों गंगासागर से गोमुख की यात्रा पर हैं। आने वाले अंकों में गंगा पथ पर बसे नगरों, वहाँ की संस्कृति, गंगा पर निर्भर जीविकोपार्जन और गंगा पर आकार ले रही सरकारी परियोजनाओं पर केन्द्रित बातचीत होगी।”
दुनिया की हर नदी अंतत सागर में समाती है लेकिन गंगा ही विश्व की एकमात्र नदी है जिसके नाम से सागर जाना जाता है। हिन्दु तीर्थों का एक प्रसिद्ध उद्घोष है, सारे तीरथ बार-बार गंगासागर एक बार। एक समय था जब गंगासागर की यात्रा दुर्गम मानी जाती थी। सम्भवतः मंधार पर्वत (वर्तमान भागलपुर) के समीप से यह यात्रा शुरु होती थी और बंगाल सहित (उस समय कोलकाता समेत पूरे बंगाल का इलाका समुद्र से घिरा और छोटे-छोटे द्वीपों में बँटा था।) तमाम छोटे-मोटे द्वीपों को पार कर विशाल गंगा नदी में लहराती नौकाएँ कई दिनों में गंगा सागर पहुँचती थी। ना जाने कितने ही यात्रियों के लिये गंगासागर की यात्रा अन्तिम यात्रा साबित होती थी। पुराने गजेटियरों में नौका डूबने और वर्मा (म्यांमार) आदि से समुद्री लूटेरों के आने की घटनाएँ भरी पड़ी हैं। लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है।
पिछले पाँच साल के अन्तराल में तीसरी बार गंगासागर आना हुआ। कचुवेड़िया घाट पर मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी का विशाल बैनर स्वागत करता है, बांग्ला में लिखे उनके सन्देश का अर्थ है, सारे तीरथ एक बार लेकिन गंगासागर बार-बार। द्वीप पर आस्थावानों को दोबारा बुलाने की उनकी अपील साफ संकेत करती है कि गंगासागर आना अब बेहद आसान है और तीर्थयात्रियों के लिये यहाँ बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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