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राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के भारी विरोध के बावजूद दिल्ली में विश्व सांस्कृतिक उत्सव सम्पन्न हो चुका है। यमुना के किनारे इतने बड़े आयोजन के बाद पर्यावरण को कितना नुकसान हुआ, इसका लेखा-जोखा न तो पहले हुआ और न ही बाद में किया गया। पर्यावरणविदों का अनुमान है कि कार्यक्रम के लिये जित
स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद -नौवाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है :
गंगाप्रेमी भिक्षु न बोलते हैं, न सही नाम बताते हैं और जन्म स्थान। पैर में भी कुछ गड़बड़ है। 70 की आयु होगी। उन्होंने भी संकल्प लिया था। वह हरिद्वार भी गए। हरिद्वार में उन्होंने भी अन्न छोड़ने की बात कही। फल-सब्जी भी उन्हें जबरदस्ती ही दिये जाते थे। बनारस में भी वह साथ में अस्पताल साथ गए।
सरकार के दूत थे डॉ. राजीव शर्मा
कोई तय नहीं था, लेकिन खुद पहल कर सन्यासी के हिसाब से हमने सोच लिया था कि पहले कौन जाएगा। पहले मैं, फिर भिक्षु, फिर कृष्णप्रियम और फिर बाकी। इस बीच क्या हुआ कि डिवीजनल हॉस्पीटल के डॉ. राजीव शर्मा आये।
इन दिनों अमेरिका के कई राज्यों मे पतझड़ शुरू हो गया है। नियम है कि हर पेड़ से गिरने वाली प्रत्येक पत्ती और यहाँ तक कि सींक को भी उसी पेड़ को समर्पित किया जाता है। समाज के कुछ लोग पुराने पेड़ों के तनों की मर गई छाल को खरोंचते हैं और इसे भी पेड़ की जड़ों में दफना देते हैं। पेड़ों की पत्तियों को ना जलाने
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राजनीति का विश्व सांस्कृतिक उत्सव
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के भारी विरोध के बावजूद दिल्ली में विश्व सांस्कृतिक उत्सव सम्पन्न हो चुका है। यमुना के किनारे इतने बड़े आयोजन के बाद पर्यावरण को कितना नुकसान हुआ, इसका लेखा-जोखा न तो पहले हुआ और न ही बाद में किया गया। पर्यावरणविदों का अनुमान है कि कार्यक्रम के लिये जित
मेरे जीवन का सबसे कमजोर क्षण और सबसे बड़ी गलती : स्वामी सानंद
स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद -नौवाँ कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है :
गंगाप्रेमी भिक्षु न बोलते हैं, न सही नाम बताते हैं और जन्म स्थान। पैर में भी कुछ गड़बड़ है। 70 की आयु होगी। उन्होंने भी संकल्प लिया था। वह हरिद्वार भी गए। हरिद्वार में उन्होंने भी अन्न छोड़ने की बात कही। फल-सब्जी भी उन्हें जबरदस्ती ही दिये जाते थे। बनारस में भी वह साथ में अस्पताल साथ गए।
सरकार के दूत थे डॉ. राजीव शर्मा
कोई तय नहीं था, लेकिन खुद पहल कर सन्यासी के हिसाब से हमने सोच लिया था कि पहले कौन जाएगा। पहले मैं, फिर भिक्षु, फिर कृष्णप्रियम और फिर बाकी। इस बीच क्या हुआ कि डिवीजनल हॉस्पीटल के डॉ. राजीव शर्मा आये।
जरूरत है पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता
इन दिनों अमेरिका के कई राज्यों मे पतझड़ शुरू हो गया है। नियम है कि हर पेड़ से गिरने वाली प्रत्येक पत्ती और यहाँ तक कि सींक को भी उसी पेड़ को समर्पित किया जाता है। समाज के कुछ लोग पुराने पेड़ों के तनों की मर गई छाल को खरोंचते हैं और इसे भी पेड़ की जड़ों में दफना देते हैं। पेड़ों की पत्तियों को ना जलाने
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सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
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नोटिस बोर्ड
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
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