तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

‘पक्का तालाब’, जम्मू के वार्ड नम्बर तेरह में अब एक मोहल्ला बन गया है। यहाँ जाने पर यह सवाल किसी के मन में कौंध सकता है कि मोहल्ले के अन्दर पक्का तालाब कहाँ है? जिसके नाम पर यह काॅलोनी ‘पक्का तालाब’ कहलाती है।
गौरवशाली अतीत से समृद्ध बुन्देलखण्ड की धरती पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा समय से सूखे की चपेट में है। यह धरती अब अपने अतीत की समृद्धि और शौर्यगाथाओं नहीं, बल्कि गरीबी, भुखमरी, कर्ज, पलायन और हर दूसरे दिन किसानों की आत्महत्याओं की कहानी सुनाती है।
अभी पिछले तीन-चार महीनों में ही लगभग हर दूसरे-तीसरे दिन बुन्देलखण्ड के किसी-न-किसी गाँव से किसान की आत्महत्या की खबर आती रही है और अप्रैल 2003 से मार्च 2015 तक यहाँ के लगभग 3280 किसानों ने आत्महत्या की है।
पिछले साल ओलावृष्टि और फिर सूखा ने हालात और खराब बना दिया। आमतौर पर बुन्देलखण्ड में औसत बारिश 1145.7 मिमी. तक होती है लेकिन पिछले मानसून में यहाँ केवल 643.2 मिमी. बारिश ही दर्ज हुई है और कुछ जिलों में तो केवल 484.1 मिमी. तक।
गौरवशाली अतीत से समृद्ध बुन्देलखण्ड की धरती पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा समय से सूखे की चपेट में है। यह धरती अब अपने अतीत की समृद्धि और शौर्यगाथाओं नहीं, बल्कि गरीबी, भुखमरी, कर्ज, पलायन और हर दूसरे दिन किसानों की आत्महत्याओं की कहानी सुनाती है।
अभी पिछले तीन-चार महीनों में ही लगभग हर दूसरे-तीसरे दिन बुन्देलखण्ड के किसी-न-किसी गाँव से किसान की आत्महत्या की खबर आती रही है और अप्रैल 2003 से मार्च 2015 तक यहाँ के लगभग 3280 किसानों ने आत्महत्या की है।
पिछले साल ओलावृष्टि और फिर सूखा ने हालात और खराब बना दिया। आमतौर पर बुन्देलखण्ड में औसत बारिश 1145.7 मिमी. तक होती है लेकिन पिछले मानसून में यहाँ केवल 643.2 मिमी. बारिश ही दर्ज हुई है और कुछ जिलों में तो केवल 484.1 मिमी. तक।
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