तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

दूसरा कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है...
स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद- दूसरा कथन
तारीख : 30 सितम्बर, 2013। अस्पताल के बाहर खाने-पीने की दुकानों की क्या कमी, किन्तु उस दिन सोमवार था; मेेरे साप्ताहिक व्रत का दिन। एक कोने में जूस की दुकान दिखाई दी। जूस पी लिया; अब क्या करूँ?
स्वामी जी को आराम का पूरा वक्त देना चाहिए। इस विचार से थोड़ी देर देहरादून की सड़क नापी; थोड़ी देर अखबार पढ़ा और फिर उसी अखबार को अस्पताल के गलियारे में बिछाकर अपनी लम्बाई नापी। किसी तरह समय बीता। दरवाज़े में झाँककर देखा, तो स्वामी के हाथ में फिर एक किताब थी।
समय था -दोपहर दो बजकर, 10 मिनट। किताब बन्द की। स्वामी जी ने पूछा कि क्या खाया और फिर बातचीत, वापस शुरू।
यह साफ हो चुका है कि पर्यावरण मन्त्री प्रकाश जावड़ेकर और गंगा संरक्षण मन्त्री उमा भारती के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। इसे यूँ समझिए कि गंगा दशा–दुर्दशा पर कोई भी सवाल उमा भारती की ओर ही उछाला जाता है क्योंकि उनके मन्त्रालय का नाम गंगा संरक्षण मन्त्रालय है।
लेकिन गंगा पर सबसे ललचाई नजर पर्यावरण मन्त्रालय की है। पिछले दिनों जब पर्यावरण मन्त्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में लिखकर दिया कि वह गंगा पर बाँध परियोजनाओं पर आगे बढ़ना चाहता है। (इस कॉलम में काफी पहले ही ये आशंका जताई गई थी) तो उमा भारती का सब्र का बाँध टूट गया, इसका हरगीज ये मतलब नहीं कि गंगा मन्त्रालय बाँध विरोध में है।
दूसरा कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है...
तारीख : 30 सितम्बर, 2013। अस्पताल के बाहर खाने-पीने की दुकानों की क्या कमी, किन्तु उस दिन सोमवार था; मेेरे साप्ताहिक व्रत का दिन। एक कोने में जूस की दुकान दिखाई दी। जूस पी लिया; अब क्या करूँ?
स्वामी जी को आराम का पूरा वक्त देना चाहिए। इस विचार से थोड़ी देर देहरादून की सड़क नापी; थोड़ी देर अखबार पढ़ा और फिर उसी अखबार को अस्पताल के गलियारे में बिछाकर अपनी लम्बाई नापी। किसी तरह समय बीता। दरवाज़े में झाँककर देखा, तो स्वामी के हाथ में फिर एक किताब थी।
समय था -दोपहर दो बजकर, 10 मिनट। किताब बन्द की। स्वामी जी ने पूछा कि क्या खाया और फिर बातचीत, वापस शुरू।
यह साफ हो चुका है कि पर्यावरण मन्त्री प्रकाश जावड़ेकर और गंगा संरक्षण मन्त्री उमा भारती के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। इसे यूँ समझिए कि गंगा दशा–दुर्दशा पर कोई भी सवाल उमा भारती की ओर ही उछाला जाता है क्योंकि उनके मन्त्रालय का नाम गंगा संरक्षण मन्त्रालय है।
लेकिन गंगा पर सबसे ललचाई नजर पर्यावरण मन्त्रालय की है। पिछले दिनों जब पर्यावरण मन्त्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में लिखकर दिया कि वह गंगा पर बाँध परियोजनाओं पर आगे बढ़ना चाहता है। (इस कॉलम में काफी पहले ही ये आशंका जताई गई थी) तो उमा भारती का सब्र का बाँध टूट गया, इसका हरगीज ये मतलब नहीं कि गंगा मन्त्रालय बाँध विरोध में है।
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