तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

पिछले पखवाड़े केन्द्रीय गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने एक बार फिर गंगा की सफाई की नई तारीख दे दी। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2018 तक गंगा पूरी तरह निर्मल हो जाएगी। इससे पहले उन्होंने इसी तरह का दावा 2016 के लिये किया था।
जब भारती गंगा की निर्मलता की नई तारीख दे रही थीं करीब–करीब उसी समय सुमेरू पीठ के शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने भारती की कार्यक्षमता पर ऊँगली उठाते हुए प्रधानमंत्री से उन्हें बदलने की माँग कर डाली।
हालांकि नरेंद्रानंद स्वघोषित शंकराचार्य हैं और सुमेरू पीठ का चार मुख्य पीठों में कोई स्थान नहीं है। भारती को उनकी चिन्ता करने की शायद जरूरत भी नहीं है। उनका मंत्रालय लगातार योजनाओं को कार्यरूप देने में जुटा है।
जिसकी फ़िजा में घुली मुहब्बत और केसर की खुशबू है। जिसके जिस्मों पर बर्फ की चादर लपेटे पहाड़ हैं। जिसकी हसीं वादियों में चश्में, नाग और धाराओँ से कल-कल, छल-छल करता पानी सरगम गाता फिरता है। जहाँ चिनार के विशाल पेड़, घने जंगल जन्नत का मंज़र पेश करते हैं। तभी तो इसे पृथ्वी का स्वर्ग कहते हैं। हम कश्मीर की ही बात कर रहे हैं। जिसके खूबसूरत नजारों को देखते ही अनायास जहाँगीर ने फारसी में कह डाला - ‘गर फिरदौस बर रुए ज़मीं अस्त, हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त’ अर्थात अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं पर है और केवल यहीं पर है और निश्चित रूप से यहाँ पर है ही। भारत का कोहिनूर कश्मीर देखने को किसका मन नहीं ललचाता है।
पिछले दिनों एक कार्यक्रम के बहाने हमें भी इस जीते जागते स्वर्ग को देखने का मौका मिला। मन उत्सुक था कश्मीर के बारे में जानने को। श्रीनगर से सोनमर्ग के रास्ते पर जाते हुए कारचालक हमारे सबसे पहले गुरू बने। श्रीनगर से निकले भी नहीं थे कि उनसे हमारा पहला ही सवाल था ‘क्या आप स्प्रिंग के बारे में बता सकते हैं’? ‘उसे उत्तराखण्ड में धारे, मगरे, पंदेरों के नाम से जाना जाता है’ हमने सवाल को आसान करते हुए कहा।
पिछले पखवाड़े केन्द्रीय गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने एक बार फिर गंगा की सफाई की नई तारीख दे दी। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2018 तक गंगा पूरी तरह निर्मल हो जाएगी। इससे पहले उन्होंने इसी तरह का दावा 2016 के लिये किया था।
जब भारती गंगा की निर्मलता की नई तारीख दे रही थीं करीब–करीब उसी समय सुमेरू पीठ के शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने भारती की कार्यक्षमता पर ऊँगली उठाते हुए प्रधानमंत्री से उन्हें बदलने की माँग कर डाली।
हालांकि नरेंद्रानंद स्वघोषित शंकराचार्य हैं और सुमेरू पीठ का चार मुख्य पीठों में कोई स्थान नहीं है। भारती को उनकी चिन्ता करने की शायद जरूरत भी नहीं है। उनका मंत्रालय लगातार योजनाओं को कार्यरूप देने में जुटा है।
जिसकी फ़िजा में घुली मुहब्बत और केसर की खुशबू है। जिसके जिस्मों पर बर्फ की चादर लपेटे पहाड़ हैं। जिसकी हसीं वादियों में चश्में, नाग और धाराओँ से कल-कल, छल-छल करता पानी सरगम गाता फिरता है। जहाँ चिनार के विशाल पेड़, घने जंगल जन्नत का मंज़र पेश करते हैं। तभी तो इसे पृथ्वी का स्वर्ग कहते हैं। हम कश्मीर की ही बात कर रहे हैं। जिसके खूबसूरत नजारों को देखते ही अनायास जहाँगीर ने फारसी में कह डाला - ‘गर फिरदौस बर रुए ज़मीं अस्त, हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त’ अर्थात अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं पर है और केवल यहीं पर है और निश्चित रूप से यहाँ पर है ही। भारत का कोहिनूर कश्मीर देखने को किसका मन नहीं ललचाता है।
पिछले दिनों एक कार्यक्रम के बहाने हमें भी इस जीते जागते स्वर्ग को देखने का मौका मिला। मन उत्सुक था कश्मीर के बारे में जानने को। श्रीनगर से सोनमर्ग के रास्ते पर जाते हुए कारचालक हमारे सबसे पहले गुरू बने। श्रीनगर से निकले भी नहीं थे कि उनसे हमारा पहला ही सवाल था ‘क्या आप स्प्रिंग के बारे में बता सकते हैं’? ‘उसे उत्तराखण्ड में धारे, मगरे, पंदेरों के नाम से जाना जाता है’ हमने सवाल को आसान करते हुए कहा।
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