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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Shivendra on Wed, 01/05/2022 - 17:04
Source:
चरखा फीचर
माहवारी में सामाजिक कुरीतियों का दर्द सहती किशोरियां
देश के दूर दराज़ ग्रामीण क्षेत्रों की तरह उत्तराखंड के बागेश्वर जिला स्थित कपकोट ब्लॉक के कई गांव इसी प्रकार की मान्यताओं और अवधारणाओं से ग्रसित हैं. जहां आज भी माहवारी को अभिशाप समझा जाता है और इस दौरान किशोरियों से लेकर महिलाओं तक को शारीरिक और मानसिक यातनाओं से गुज़रना होता है. उन्हें माहवारी के दौरान घर से बाहर गौशाला में रहना पड़ता है. जहां किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं होती है. इस संबंध में जगन्नाथ गांव की रहने वाली किशोरी रेनू अपना अनुभव साझा करते हुए कहती है कि "गौशाला पास हो या दूर, वहां लाईट हो या ना हो, गाय मारती हो या ना मारती हो, लेकिन हमें माहवारी के दौरान पूरा समय वहीं गुज़ारना होता है. इसके साथ ही सुबह 4 बजे उठकर नदी पर स्नान करने जाना पड़ता है, फिर मौसम चाहे गर्मी की हो या ठंड की, बालिका छोटी हो या बड़ी, वह नदी घर से दूर ही क्यों न हो. हमें वहीं जाकर स्नान करना पड़ता है" 
Submitted by Shivendra on Tue, 01/04/2022 - 10:55
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गंगा नदी,फोटो साभार: इंडिया वाटर पोर्टल फ्लिकर
नदी जैसे मानव शरीर विभिन्न अंगों से मिलकर बना उसी प्रकार से नदी विभिन्न छोटी छोटी नालियों के आपस में जुड़ने से बनी प्राकृतिक संरचनाओं में से एक है। बहुत सी छोटी नदियां मिल कर एक बड़ी महानदी का निर्माण करतीं,भारत में लगभग दो सौ नदियों है जिनमें गंगा प्रवाह सबसे बड़ा व सिंधु नदी लम्बाई में सबसे बड़ी है वहीं लगभग ग्यारह सो ऐसी नदी है जो दस से पच्चास किलोमीटर दूर तक जाकर लुप्त हो जाती हैं या अपनी सहायक नदी का हिस्सा बन जाती, इनमें अनेकों नदीया अपना नाम भी नहीं रख पाती। लेकिन नदी का बड़ा या छोटा होना महत्व नहीं रखता, नदी का मानव जीवन में योगदान, उपयोगिता, जैवविविधता, पर्यावरण संरक्षण में सहयोग उससे ज्यादा महत्व रखता । नदी की अपनी महत्त्वाकांक्षाओं से क्षेत्र विशेष के लोगों, वन्यजीव, जलीय जीव, के विकास में योगदान से लगाया जा सकता है।
Submitted by Shivendra on Mon, 01/03/2022 - 12:24
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गंगा चिंतन-मंथन शिविर
 2017 में गंगा के डीएनए विश्लेषण से  पता चला है की गंगा गाद में बीसों रोगों के रोगाणुओ को नष्ट करने की सक्षम शक्ति है। इसमें 18 रोगाणु की प्रजातियां जिनमे टीबी, हैजा,पेट की बहुत सी बीमारियां और टाइफाइड शामिल है। लेकिन आज मां गंगा जी को बांधो से बांध दिया गया। गंगा जी पर अतिक्रमण, शोषण, प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है ,सभी गंगा प्रेमियों ने  गंगा धर्म संसद का गठन किया गया। जिसमें जलपुरुष जी ने 2 सदस्यीय चुनाव कमेटी का गठन किया। जिसमें हरियाणा से श्री विर्क जी और उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से संजय राणा जी को चुनाव कमेटी के मेंबर नियुक्त किया ,और सर्वसम्मति से स्वामी श्री शिवानंद सरस्वती जी को धर्म संसद का अध्यक्ष बनाया गया। जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि, नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए केवल एक संसद नहीं बल्कि सब नदियों की अलग-अलग संसद बनाने की जरूरत है|

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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माहवारी में सामाजिक कुरीतियों का दर्द सहती किशोरियां

Submitted by Shivendra on Wed, 01/05/2022 - 17:04
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चरखा फीचर
माहवारी में सामाजिक कुरीतियों का दर्द सहती किशोरियां
देश के दूर दराज़ ग्रामीण क्षेत्रों की तरह उत्तराखंड के बागेश्वर जिला स्थित कपकोट ब्लॉक के कई गांव इसी प्रकार की मान्यताओं और अवधारणाओं से ग्रसित हैं. जहां आज भी माहवारी को अभिशाप समझा जाता है और इस दौरान किशोरियों से लेकर महिलाओं तक को शारीरिक और मानसिक यातनाओं से गुज़रना होता है. उन्हें माहवारी के दौरान घर से बाहर गौशाला में रहना पड़ता है. जहां किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं होती है. इस संबंध में जगन्नाथ गांव की रहने वाली किशोरी रेनू अपना अनुभव साझा करते हुए कहती है कि "गौशाला पास हो या दूर, वहां लाईट हो या ना हो, गाय मारती हो या ना मारती हो, लेकिन हमें माहवारी के दौरान पूरा समय वहीं गुज़ारना होता है. इसके साथ ही सुबह 4 बजे उठकर नदी पर स्नान करने जाना पड़ता है, फिर मौसम चाहे गर्मी की हो या ठंड की, बालिका छोटी हो या बड़ी, वह नदी घर से दूर ही क्यों न हो. हमें वहीं जाकर स्नान करना पड़ता है" 

नदी को समझना होगा

Submitted by Shivendra on Tue, 01/04/2022 - 10:55
गंगा नदी,फोटो साभार: इंडिया वाटर पोर्टल फ्लिकर
नदी जैसे मानव शरीर विभिन्न अंगों से मिलकर बना उसी प्रकार से नदी विभिन्न छोटी छोटी नालियों के आपस में जुड़ने से बनी प्राकृतिक संरचनाओं में से एक है। बहुत सी छोटी नदियां मिल कर एक बड़ी महानदी का निर्माण करतीं,भारत में लगभग दो सौ नदियों है जिनमें गंगा प्रवाह सबसे बड़ा व सिंधु नदी लम्बाई में सबसे बड़ी है वहीं लगभग ग्यारह सो ऐसी नदी है जो दस से पच्चास किलोमीटर दूर तक जाकर लुप्त हो जाती हैं या अपनी सहायक नदी का हिस्सा बन जाती, इनमें अनेकों नदीया अपना नाम भी नहीं रख पाती। लेकिन नदी का बड़ा या छोटा होना महत्व नहीं रखता, नदी का मानव जीवन में योगदान, उपयोगिता, जैवविविधता, पर्यावरण संरक्षण में सहयोग उससे ज्यादा महत्व रखता । नदी की अपनी महत्त्वाकांक्षाओं से क्षेत्र विशेष के लोगों, वन्यजीव, जलीय जीव, के विकास में योगदान से लगाया जा सकता है।

नदियों को बचाने के लिए नदियों की अलग-अलग संसद बने : डॉ. राजेंद्र सिंह

Submitted by Shivendra on Mon, 01/03/2022 - 12:24
गंगा चिंतन-मंथन शिविर
 2017 में गंगा के डीएनए विश्लेषण से  पता चला है की गंगा गाद में बीसों रोगों के रोगाणुओ को नष्ट करने की सक्षम शक्ति है। इसमें 18 रोगाणु की प्रजातियां जिनमे टीबी, हैजा,पेट की बहुत सी बीमारियां और टाइफाइड शामिल है। लेकिन आज मां गंगा जी को बांधो से बांध दिया गया। गंगा जी पर अतिक्रमण, शोषण, प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है ,सभी गंगा प्रेमियों ने  गंगा धर्म संसद का गठन किया गया। जिसमें जलपुरुष जी ने 2 सदस्यीय चुनाव कमेटी का गठन किया। जिसमें हरियाणा से श्री विर्क जी और उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से संजय राणा जी को चुनाव कमेटी के मेंबर नियुक्त किया ,और सर्वसम्मति से स्वामी श्री शिवानंद सरस्वती जी को धर्म संसद का अध्यक्ष बनाया गया। जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि, नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए केवल एक संसद नहीं बल्कि सब नदियों की अलग-अलग संसद बनाने की जरूरत है|

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
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Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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