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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by RuralWater on Sun, 02/22/2015 - 13:06
Source:
संसाधनों के उपयोग और विकास सम्बन्धी गतिविधियों ने मौजूदा विकास मॉडल की उपयोगिता पर गम्भीर चिन्ताएँ पैदा की हैं। जब बिजली क्षेत्र को निजीकरण के लिए खोला गया था, तब कोई बहस या चर्चा नहीं हुई थी। देश के सामने इसे एक निर्विवाद तथ्य की तरह परोसा गया था। बड़े पैमाने पर बिजली गुल होने का डर दिखाकर निजीकरण को आगे बढ़ाया गया। लेकिन, अब पानी के क्षेत्र में ऐसे ही निजीकरण की राह पकड़ी जा रही है तो चिन्ताएँ बढ़ गई हैं और किसी भी निर्णय के पहले इस मुद्दे पर व्यापक आम बहस की माँग बढ़ती जा रही है।

मध्य प्रदेश के खण्डवा और शिवपुरी जिले में पानी के निजीकरण को लेकर लम्बे समय से चल रहा आन्दोलन पूरी तरह थमा भी नहीं है कि होशंगाबाद, पिपरिया और इटारसी जिले के नागरिकों पर पानी के निजीकरण का खतरा मँडराने लगा है।
Submitted by RuralWater on Sat, 02/21/2015 - 10:58
Source:
सर्वोदय प्रेस सर्विस, फरवरी 2015
जनवरी 2015 में दिल्ली में आयोजित भारत जल सप्ताह में पर्यावरणविदों द्वारा जारी चिन्ताओं को नजरअन्दाज कर भाजपा नीत सरकार नेे घोषणा की कि प्राथमिकता के आधार पर हर हालत में नदियाँ आपस में जोड़ी जाएँगी एवं रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर किया जाएगा। अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने सन् 2002 में 5,67,000 करोड़ रु. की नदी जोड़ योजना को अमृत क्रान्ति नाम देकर प्रारम्भ किया था।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार इसे दिसम्बर 2016 तक पूरा किया जाना था। इस योजना के पीछे प्रमुख तर्क यह दिया गया था कि इससे सिंचाई एवं बिजली उत्पादन में जो बढ़ोतरी होगी जिससे सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) लगभग 4 प्रतिशत बढ़ेगी। इसके अन्तर्गत लगभग 3 करोड़ 50 लाख हेक्टेयर में सिंचाई तथा 34 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की सम्भावना बताई गई थी।
Submitted by RuralWater on Thu, 02/19/2015 - 12:52
Source:
water pollution
किसी भी राज्य में प्रदूषण नियन्त्रित करने की सबसे अधिक अधिकारिक जवाबदेही, राज्य प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड की होती है। किन्तु यदि उसे इसके लिए धन ही न मिले अथवा उसे प्रदूषण नियन्त्रण हेतु राज्य के सम्बन्धित विभाग द्वारा जारी आदेशों/निर्देशों की जानकारी ही न हो, तो इस स्थिति को आप किस धिक्कार से नवाजेंगे?

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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अपना न रहा पानी

Submitted by RuralWater on Sun, 02/22/2015 - 13:06
Author
रूबी सरकार
. संसाधनों के उपयोग और विकास सम्बन्धी गतिविधियों ने मौजूदा विकास मॉडल की उपयोगिता पर गम्भीर चिन्ताएँ पैदा की हैं। जब बिजली क्षेत्र को निजीकरण के लिए खोला गया था, तब कोई बहस या चर्चा नहीं हुई थी। देश के सामने इसे एक निर्विवाद तथ्य की तरह परोसा गया था। बड़े पैमाने पर बिजली गुल होने का डर दिखाकर निजीकरण को आगे बढ़ाया गया। लेकिन, अब पानी के क्षेत्र में ऐसे ही निजीकरण की राह पकड़ी जा रही है तो चिन्ताएँ बढ़ गई हैं और किसी भी निर्णय के पहले इस मुद्दे पर व्यापक आम बहस की माँग बढ़ती जा रही है।

मध्य प्रदेश के खण्डवा और शिवपुरी जिले में पानी के निजीकरण को लेकर लम्बे समय से चल रहा आन्दोलन पूरी तरह थमा भी नहीं है कि होशंगाबाद, पिपरिया और इटारसी जिले के नागरिकों पर पानी के निजीकरण का खतरा मँडराने लगा है।

नदी जोड़ने के खतरे

Submitted by RuralWater on Sat, 02/21/2015 - 10:58
Author
डॉ.ओ.पी.जोशी
Source
सर्वोदय प्रेस सर्विस, फरवरी 2015
.जनवरी 2015 में दिल्ली में आयोजित भारत जल सप्ताह में पर्यावरणविदों द्वारा जारी चिन्ताओं को नजरअन्दाज कर भाजपा नीत सरकार नेे घोषणा की कि प्राथमिकता के आधार पर हर हालत में नदियाँ आपस में जोड़ी जाएँगी एवं रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर किया जाएगा। अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने सन् 2002 में 5,67,000 करोड़ रु. की नदी जोड़ योजना को अमृत क्रान्ति नाम देकर प्रारम्भ किया था।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार इसे दिसम्बर 2016 तक पूरा किया जाना था। इस योजना के पीछे प्रमुख तर्क यह दिया गया था कि इससे सिंचाई एवं बिजली उत्पादन में जो बढ़ोतरी होगी जिससे सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) लगभग 4 प्रतिशत बढ़ेगी। इसके अन्तर्गत लगभग 3 करोड़ 50 लाख हेक्टेयर में सिंचाई तथा 34 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की सम्भावना बताई गई थी।

यह कैसा प्रदूषण नियन्त्रक

Submitted by RuralWater on Thu, 02/19/2015 - 12:52
Author
अरुण तिवारी
water pollution
.किसी भी राज्य में प्रदूषण नियन्त्रित करने की सबसे अधिक अधिकारिक जवाबदेही, राज्य प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड की होती है। किन्तु यदि उसे इसके लिए धन ही न मिले अथवा उसे प्रदूषण नियन्त्रण हेतु राज्य के सम्बन्धित विभाग द्वारा जारी आदेशों/निर्देशों की जानकारी ही न हो, तो इस स्थिति को आप किस धिक्कार से नवाजेंगे?

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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