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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by admin on Mon, 07/15/2013 - 12:40
Source:
चरखा फिचर्स, जुलाई 2013
हनुमानगढ़ में पीने के लिए कुआं, हैंडपंप, तालाब के अलावा अन्य कोई साधन नहीं है। दिन प्रतिदिन यहां की स्थिति और भयंकर होती जा रही है। ग्रामीणों की मानें तो अविभाजित मध्य प्रदेश क्षेत्रफल में बड़ा होने के कारण शायद उस समय की सरकार का ध्यान इस ओेर नहीं गया होगा, लेकिन 13 साल पहले छत्तीसगढ़ के अस्तित्व में आने के बावजूद शासन द्वारा अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाना चिंता का विषय है। सरकार की ऐसी उदासीनता गांव वालों के लिए किसी मौत की सजा से कम नहीं है। एक पल के लिए यह विश्वास करना मुश्किल है कि जो पानी हमें जीवन प्रदान करता है वह कभी किसी को इस तरह असहाय बना दे कि अपनी सारी जिंदगी विकलांग के रूप में काटने को मजबूर हो जाए। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिला स्थित रामानुजनगर विकासखंड के हनुमानगढ़ में यही देखने को मिल रहा है। लगभग 1000 की आबादी वाला यह एक ऐसा गांव है जहां के हरिजन मुहल्ले की आधी आबादी विकलांग है। यह विकलांगता न तो पोलियो के कारण हुआ है और न ही कुपोषण इसका जिम्मेदार है। दरअसल हनुमानगढ़ के पानी में फ्लोराइड, सल्फर, फास्फोरस और अन्य रासायनिक तत्वों की मात्रा अधिक है। जो यहां के लोगों के लिए जहर का काम कर रहा है। वैसे तो पानी में मौजूद खनिज तत्व (फ्लोराइड) हमारे शरीर के लिए नुकसानदेय नहीं होता है। लेकिन निर्धारित मात्रा से अधिक होने पर यही फ्लोराइड हमारे शरीर के लिए हानिकारक हो जाता है। विकलांगता के कारण का पता नहीं चलने पर समस्या और गंभीर हो जाती है।
Submitted by admin on Sun, 07/14/2013 - 10:48
Source:
माटू जनसंगठन
पिछले कुछ वर्षों में कावड़ यात्रा, चारधाम यात्रा हेमकुंड सहित की यात्रा में अप्रत्याषित वृद्धि हुई है। जिन धार्मिक संगठनों ने इन्हें बढ़ावा दिया है। उन्होंने भी कभी गंगा जी के स्वास्थ्य को इन यात्राओं से जोड़कर नहीं देखा। आस्था के नाम पर, जिसमें आस्था है उसे ही रौंद दिया। ना यात्रियों की सुरक्षा पर कोई ध्यान दिया गया। सरकार को तो आज हम सब दोष दे ही रहे थे। वैसे सरकार अपने इस गैर जिम्मेदार व्यवहार के लिए, यात्रियों की इतनी परेशिानियों और मौंतों के दोष से सरकार बच नहीं सकती। उत्तराखंड में आई आपदा ने, जिसे मेधापाटकर जी ने ‘काफी हद तक शासन निर्मित’ करार दिया है, उत्तराखंड का नक्शा बदल दिया है। नदियों पर बने पुल टूटे और रास्ते बदले हैं। अब उत्तराखंड के पुननिर्माण में पिछली सब गलतियों को ध्यान में रखना होगा। दिल्ली जैसे तथाकथित विकास को एक तरफ करके ग्राम आधारित विकास की रणनीति बनानी होगी। केदारनाथ मंदिर निर्माण के साथ उत्तराखंड निर्माण पर ध्यान देना होगा। केदारनाथ मंदिर की स्थापत्य कला को देखे तो मालूम पड़ेगा कि पुराने समय में इंजिनीयरिंग हमसे कहीं आगे थी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री जी का कहना है कि भू-वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों की सलाह मंदिर बनाने के लिए ली जाएगी साथ में केदारनाथ यमुनोत्री के लिए पंजीकरण कराने का प्रस्ताव है। पर गंगोत्री और बद्रीनाथ के लिए हमें किसी आपदा का इंतजार नहीं करना चाहिए वहां भी इस समय काफी बर्बादी हुई है। पंजीकरण चारोधाम के लिए अनिर्वाय करना चाहिए।
Submitted by Hindi on Tue, 07/09/2013 - 09:15
Source:
GD Agrawal
दुर्भाग्यपूर्ण है कि उत्तराखंड त्रासदी के बावजूद भी शासन आज हरिद्वार प्रशासन को भेजकर प्रोफेसर अग्रवाल को अनशन तुड़वाने की कोशिश तो कर रहा है, लेकिन हिमालय, गंगा और उत्तराखंड को तबाही से बचाने की कोई नीतिगत घोषणा नहीं कर रहा। नदी किनारे निर्माण पर रोक का बयान भी आधा

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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जहरीला पानी गांव को बना रहा है विकलांग

Submitted by admin on Mon, 07/15/2013 - 12:40
Author
सूर्याकांत देवांगन
Source
चरखा फिचर्स, जुलाई 2013
हनुमानगढ़ में पीने के लिए कुआं, हैंडपंप, तालाब के अलावा अन्य कोई साधन नहीं है। दिन प्रतिदिन यहां की स्थिति और भयंकर होती जा रही है। ग्रामीणों की मानें तो अविभाजित मध्य प्रदेश क्षेत्रफल में बड़ा होने के कारण शायद उस समय की सरकार का ध्यान इस ओेर नहीं गया होगा, लेकिन 13 साल पहले छत्तीसगढ़ के अस्तित्व में आने के बावजूद शासन द्वारा अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाना चिंता का विषय है। सरकार की ऐसी उदासीनता गांव वालों के लिए किसी मौत की सजा से कम नहीं है। एक पल के लिए यह विश्वास करना मुश्किल है कि जो पानी हमें जीवन प्रदान करता है वह कभी किसी को इस तरह असहाय बना दे कि अपनी सारी जिंदगी विकलांग के रूप में काटने को मजबूर हो जाए। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिला स्थित रामानुजनगर विकासखंड के हनुमानगढ़ में यही देखने को मिल रहा है। लगभग 1000 की आबादी वाला यह एक ऐसा गांव है जहां के हरिजन मुहल्ले की आधी आबादी विकलांग है। यह विकलांगता न तो पोलियो के कारण हुआ है और न ही कुपोषण इसका जिम्मेदार है। दरअसल हनुमानगढ़ के पानी में फ्लोराइड, सल्फर, फास्फोरस और अन्य रासायनिक तत्वों की मात्रा अधिक है। जो यहां के लोगों के लिए जहर का काम कर रहा है। वैसे तो पानी में मौजूद खनिज तत्व (फ्लोराइड) हमारे शरीर के लिए नुकसानदेय नहीं होता है। लेकिन निर्धारित मात्रा से अधिक होने पर यही फ्लोराइड हमारे शरीर के लिए हानिकारक हो जाता है। विकलांगता के कारण का पता नहीं चलने पर समस्या और गंभीर हो जाती है।

गंगा को कब्जियायें नहीं

Submitted by admin on Sun, 07/14/2013 - 10:48
Author
विमल भाई
Source
माटू जनसंगठन
पिछले कुछ वर्षों में कावड़ यात्रा, चारधाम यात्रा हेमकुंड सहित की यात्रा में अप्रत्याषित वृद्धि हुई है। जिन धार्मिक संगठनों ने इन्हें बढ़ावा दिया है। उन्होंने भी कभी गंगा जी के स्वास्थ्य को इन यात्राओं से जोड़कर नहीं देखा। आस्था के नाम पर, जिसमें आस्था है उसे ही रौंद दिया। ना यात्रियों की सुरक्षा पर कोई ध्यान दिया गया। सरकार को तो आज हम सब दोष दे ही रहे थे। वैसे सरकार अपने इस गैर जिम्मेदार व्यवहार के लिए, यात्रियों की इतनी परेशिानियों और मौंतों के दोष से सरकार बच नहीं सकती। उत्तराखंड में आई आपदा ने, जिसे मेधापाटकर जी ने ‘काफी हद तक शासन निर्मित’ करार दिया है, उत्तराखंड का नक्शा बदल दिया है। नदियों पर बने पुल टूटे और रास्ते बदले हैं। अब उत्तराखंड के पुननिर्माण में पिछली सब गलतियों को ध्यान में रखना होगा। दिल्ली जैसे तथाकथित विकास को एक तरफ करके ग्राम आधारित विकास की रणनीति बनानी होगी। केदारनाथ मंदिर निर्माण के साथ उत्तराखंड निर्माण पर ध्यान देना होगा। केदारनाथ मंदिर की स्थापत्य कला को देखे तो मालूम पड़ेगा कि पुराने समय में इंजिनीयरिंग हमसे कहीं आगे थी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री जी का कहना है कि भू-वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों की सलाह मंदिर बनाने के लिए ली जाएगी साथ में केदारनाथ यमुनोत्री के लिए पंजीकरण कराने का प्रस्ताव है। पर गंगोत्री और बद्रीनाथ के लिए हमें किसी आपदा का इंतजार नहीं करना चाहिए वहां भी इस समय काफी बर्बादी हुई है। पंजीकरण चारोधाम के लिए अनिर्वाय करना चाहिए।

जी डी अनशन में कब दिखेगी समाज की हनक

Submitted by Hindi on Tue, 07/09/2013 - 09:15
Author
अरुण तिवारी
GD Agrawal
दुर्भाग्यपूर्ण है कि उत्तराखंड त्रासदी के बावजूद भी शासन आज हरिद्वार प्रशासन को भेजकर प्रोफेसर अग्रवाल को अनशन तुड़वाने की कोशिश तो कर रहा है, लेकिन हिमालय, गंगा और उत्तराखंड को तबाही से बचाने की कोई नीतिगत घोषणा नहीं कर रहा। नदी किनारे निर्माण पर रोक का बयान भी आधा

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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