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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Shivendra on Mon, 11/21/2022 - 12:44
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जल संरक्षण को लेकर वर्कशॉप का आयोजन
राजधानी देहरादून के हरिद्वार बायपास स्थित होटल सरोवर प्रीमियर में जल संरक्षण व खाद्य सुरक्षा को लेकर एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें बताया गया की उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कुछ अन्य राज्यों के किसानों की आय बढ़ाने में मदद करने के बाद हेल्वेटास
Submitted by Editorial Team on Thu, 11/17/2022 - 12:53
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नवम्बर-2022, लोकसम्मान पत्रिका
प्रतापगढ़ की ‘चमरोरा नदी’ बनी श्रीराम राज नदी
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ शहर में सई नदी बहती है जिसकी सहायक नदी (चमरोरा) शहर से 4 किलोमीटर दूर प्रतापगढ़ से अमेठी रोड पर बहती है। इस नदी की कुल लंबाई 30 किलोमीटर है। टीकरमाफी, जनपद अमेठी से प्रतापगढ़ में बेल्हा मंदिर के पास इस नदी का सई नदी में संगम हो जाता है जिसे गुलामी कालखंड में खड़ाऊं के अपभ्रंश तौर पर (चमरोरा) कहा जाने लगा था। सनातन को अपमानित करने के लिए यह नाम रखा गया था जबकि पौराणिक मान्यता है कि श्रीभरत जी ने चित्रकूट से श्रीराम जी की खड़ाऊ लेकर अयोध्या आते समय उक्त पावन नदी में श्री राम जी के खड़ाऊ धोए थे जिससे श्रीराम जी के चरणों का रज इस नदी में प्रवाहित हुआ। इसीलिए लोक भारती द्वारा इस नदी का श्रीराम रज नदी रखा गया। रामचरित मानस में वर्णन है- ‘सई उतरि गोमती नहाए, चौथे दिवस अवधपुर आए।’ बाबा तुलसीदास जी ने लिखा है कि भरत जी खड़ाऊ लेकर अयोध्या वापस आते समय इसी स्थल पर आए थे। उन्होंने लिखा है- ‘उतरि खड़ाऊ सुरसरि धोए, राम-राम कहि सिर धरि रोए।’ 
Submitted by Shivendra on Wed, 11/16/2022 - 15:53
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मैंग्रोव वन जलवायु परिवर्तन के परिणामों से निपटने में सबसे अच्छा विकल्प
ग्लोबल मैंग्रोव एलायंस ने अपनी 2022 की रिपोर्ट में कहा है कि 2010 और 2020 के बीच, लगभग 600 वर्ग किमी मैंग्रोव नष्ट हो गए है , जिनमें से 62% से अधिक प्रत्यक्ष मानव प्रभावों के कारण हुआ है

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
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चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
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कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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जल संरक्षण को लेकर वर्कशॉप का आयोजन

Submitted by Shivendra on Mon, 11/21/2022 - 12:44
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जल संरक्षण को लेकर वर्कशॉप का आयोजन
राजधानी देहरादून के हरिद्वार बायपास स्थित होटल सरोवर प्रीमियर में जल संरक्षण व खाद्य सुरक्षा को लेकर एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें बताया गया की उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कुछ अन्य राज्यों के किसानों की आय बढ़ाने में मदद करने के बाद हेल्वेटास

प्रतापगढ़ की ‘चमरोरा नदी’ बनी श्रीराम राज नदी

Submitted by Editorial Team on Thu, 11/17/2022 - 12:53
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नवम्बर-2022, लोकसम्मान पत्रिका
प्रतापगढ़ की ‘चमरोरा नदी’ बनी श्रीराम राज नदी
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ शहर में सई नदी बहती है जिसकी सहायक नदी (चमरोरा) शहर से 4 किलोमीटर दूर प्रतापगढ़ से अमेठी रोड पर बहती है। इस नदी की कुल लंबाई 30 किलोमीटर है। टीकरमाफी, जनपद अमेठी से प्रतापगढ़ में बेल्हा मंदिर के पास इस नदी का सई नदी में संगम हो जाता है जिसे गुलामी कालखंड में खड़ाऊं के अपभ्रंश तौर पर (चमरोरा) कहा जाने लगा था। सनातन को अपमानित करने के लिए यह नाम रखा गया था जबकि पौराणिक मान्यता है कि श्रीभरत जी ने चित्रकूट से श्रीराम जी की खड़ाऊ लेकर अयोध्या आते समय उक्त पावन नदी में श्री राम जी के खड़ाऊ धोए थे जिससे श्रीराम जी के चरणों का रज इस नदी में प्रवाहित हुआ। इसीलिए लोक भारती द्वारा इस नदी का श्रीराम रज नदी रखा गया। रामचरित मानस में वर्णन है- ‘सई उतरि गोमती नहाए, चौथे दिवस अवधपुर आए।’ बाबा तुलसीदास जी ने लिखा है कि भरत जी खड़ाऊ लेकर अयोध्या वापस आते समय इसी स्थल पर आए थे। उन्होंने लिखा है- ‘उतरि खड़ाऊ सुरसरि धोए, राम-राम कहि सिर धरि रोए।’ 

मैंग्रोव वन जलवायु परिवर्तन के परिणामों से निपटने में सबसे अच्छा विकल्प

Submitted by Shivendra on Wed, 11/16/2022 - 15:53
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मैंग्रोव वन जलवायु परिवर्तन के परिणामों से निपटने में सबसे अच्छा विकल्प
ग्लोबल मैंग्रोव एलायंस ने अपनी 2022 की रिपोर्ट में कहा है कि 2010 और 2020 के बीच, लगभग 600 वर्ग किमी मैंग्रोव नष्ट हो गए है , जिनमें से 62% से अधिक प्रत्यक्ष मानव प्रभावों के कारण हुआ है

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
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लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
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चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
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Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
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Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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