नया ताजा
आगामी कार्यक्रम
खासम-खास
Content
फणीश्वरनाथ रेणु मुंशी प्रेमचंद के बाद के काल के सबसे प्रमुख रचनाकार हैं। मैला आंचल, परति परिकथा सहित कई उपन्यासों के रचनाकार रेणु रिपोर्ताज भी लिखते थे। उनके प्रसिद्ध रिपोर्ताज में बाढ़ पर ‘जै गंगे’ (1947), ‘डायन कोसी’ (1948), ‘अकाल पर हड्डियों का पुल’ तथा ‘हिल रहा हिमालय’ आदि प्रमुख हैं। ‘डायन कोसी’ इनमें सर्वाधिक चर्चित माना गया है। इसका कई भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है। लगभग 65 साल पहले लिखा गया रेणु का ‘डायन कोसी’ रिपोर्ताज बाढ़ और कोसी के कई अनसुलझे पहलुओं को समझने में मदद करता है।
कोसी नदी में आई बाढ़ से हो रहा मिट्टी कटावहिमालय की किसी चोटी की बर्फ पिघली या किसी तराई में घनघोर वर्षा हुई और कोसी की निर्मल धारा में गंदले पानी की हल्की रेखा छा गई।
राजीव चन्देल
यदि राज्य सरकारें व स्थानीय निकायें यह सुनिश्चित करें की नजीकरण को प्रोत्साहित किया जाना है। लेकिन एक तरफ तो निजीकरण कम करने की पहल की गई है, वहीं दूसरी तरफ यह कहा जा रहा है कि प्राइवेट सेक्टर को शर्तों के आधार पर सेवा प्रदाता बनाया जा सकता है, लेकिन इन नीतियों के बनिस्बत यह भी देखना है जो कि समान रूप से महत्वपूर्ण है। देश में जल प्रबंधन को निजी हाथों में अनुबंधित किये जाने के बाद प्रायः यह देखा गया कि वह सेवा प्रदाता व्यक्तिगत लाभार्थी के रूप में इस उद्देश्य से बदल गये जिससे निजी कंपनियों को मुनाफा हो।
राष्ट्रीय जल नीति का संशोधित मसौदा, जिसे हाल में ही सामने लाया गया है, उसमें पहले की अपेक्षा स्पष्ट तौर पर सुधार हैं। नये मसौदे से यह प्रतीत होता है कि ड्राफ्ट कमेटी ने पहले तैयार किये गये मसौदे (पूर्व योजना) में कई आपत्तियों को शामिल किया है। बावजूद इसके, इसे अंतिम नहीं मान लेना चाहिए। अभी इस पर अत्यधिक कार्य होना चाहिए। भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय ने 25 जुलाई 2012 को राष्ट्रीय जल नीति (2012) के संशोधित प्रारूप (Revised) को सार्वजनिक किया। पहले इस मसौदे को इसी साल जनवरी में जनता के समक्ष रख कर इस पर टिप्पणियां मांगी गई थी। लेकिन इस मसौदे के साथ भी वही कुछ हुआ, जो कि आम सहमति पर किये जाने वाले विकास योजनाओं के साथ होता आया है। कुछ को छोड़कर कई अन्य मामलों के अनुभव ऐसे हैं जिनमें सरकारें पहले लोगों से टिप्पणियां (comments) मांगती हैं, लेकिन मिल जाने पर प्रायः उन पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।कोलाखुर्द का दर्द पिघल-पिघल कर पूरे देश के अखबार की खबरों का हिस्सा बनता है, लेकिन किसी इंसान के दिल को नहीं झकझोरता न तो सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठाता है। यहां स्वास्थय केंद्र भी नहीं है। भागलपुर जाकर ईलाज कराना इनके लिए मुमकिन नहीं क्योंकि आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि रोजगार छोड़ कर अपने घर वालों का अच्छा ईलाज करा सकें। ग्रामीणों के पास दो विकल्प हैं, या तो जहर पी-पी कर धीरे-धीरे पीड़ा से मरें या गाँव छोड़ दें।
“न चल सकते हैं, न सो सकते हैं, न बैठ सकते हैं, कैसे जीवन काटें?” कहते-कहते आँसू भर आते हैं गीता देवी की आँखों में। मेरे पास कोई जवाब नहीं, क्या दूँ इस सवाल का जवाब? मैं पूछती हूँ” कब से आप बीमार हैं?” 50 वर्षीया शान्ति देवी जो विकलांग हो चुकी है रो-रो कर बताती है “जब से सरकार ने चापाकल गाड़ा है जहर पी-पी के हमारा ई हाल हुआ है।” वे अपने दोनों पाँव को दिखलाती है जिसकी हड्डियां टेढ़ी हो चुकी है। उन्होंने कहा “जब तक चापाकल नहीं गाड़ा गया था तब तक पानी का बहुत दिक्कत था। लेकिन अब लगता है कि ये चापाकल ही हमारा जान ले लेगा तो हम कभी इसका पानी नहीं पीते।”Pagination
प्रयास
नोटिस बोर्ड
Latest
खासम-खास
Content
डायन कोसी
फणीश्वरनाथ रेणु मुंशी प्रेमचंद के बाद के काल के सबसे प्रमुख रचनाकार हैं। मैला आंचल, परति परिकथा सहित कई उपन्यासों के रचनाकार रेणु रिपोर्ताज भी लिखते थे। उनके प्रसिद्ध रिपोर्ताज में बाढ़ पर ‘जै गंगे’ (1947), ‘डायन कोसी’ (1948), ‘अकाल पर हड्डियों का पुल’ तथा ‘हिल रहा हिमालय’ आदि प्रमुख हैं। ‘डायन कोसी’ इनमें सर्वाधिक चर्चित माना गया है। इसका कई भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है। लगभग 65 साल पहले लिखा गया रेणु का ‘डायन कोसी’ रिपोर्ताज बाढ़ और कोसी के कई अनसुलझे पहलुओं को समझने में मदद करता है।
हिमालय की किसी चोटी की बर्फ पिघली या किसी तराई में घनघोर वर्षा हुई और कोसी की निर्मल धारा में गंदले पानी की हल्की रेखा छा गई।
राष्ट्रीय जलनीति 2012 का संशोधित मसौदा : थोड़ा ठीक हुआ, काफी कमियां बाकी
राजीव चन्देल
यदि राज्य सरकारें व स्थानीय निकायें यह सुनिश्चित करें की नजीकरण को प्रोत्साहित किया जाना है। लेकिन एक तरफ तो निजीकरण कम करने की पहल की गई है, वहीं दूसरी तरफ यह कहा जा रहा है कि प्राइवेट सेक्टर को शर्तों के आधार पर सेवा प्रदाता बनाया जा सकता है, लेकिन इन नीतियों के बनिस्बत यह भी देखना है जो कि समान रूप से महत्वपूर्ण है। देश में जल प्रबंधन को निजी हाथों में अनुबंधित किये जाने के बाद प्रायः यह देखा गया कि वह सेवा प्रदाता व्यक्तिगत लाभार्थी के रूप में इस उद्देश्य से बदल गये जिससे निजी कंपनियों को मुनाफा हो।
राष्ट्रीय जल नीति का संशोधित मसौदा, जिसे हाल में ही सामने लाया गया है, उसमें पहले की अपेक्षा स्पष्ट तौर पर सुधार हैं। नये मसौदे से यह प्रतीत होता है कि ड्राफ्ट कमेटी ने पहले तैयार किये गये मसौदे (पूर्व योजना) में कई आपत्तियों को शामिल किया है। बावजूद इसके, इसे अंतिम नहीं मान लेना चाहिए। अभी इस पर अत्यधिक कार्य होना चाहिए। भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय ने 25 जुलाई 2012 को राष्ट्रीय जल नीति (2012) के संशोधित प्रारूप (Revised) को सार्वजनिक किया। पहले इस मसौदे को इसी साल जनवरी में जनता के समक्ष रख कर इस पर टिप्पणियां मांगी गई थी। लेकिन इस मसौदे के साथ भी वही कुछ हुआ, जो कि आम सहमति पर किये जाने वाले विकास योजनाओं के साथ होता आया है। कुछ को छोड़कर कई अन्य मामलों के अनुभव ऐसे हैं जिनमें सरकारें पहले लोगों से टिप्पणियां (comments) मांगती हैं, लेकिन मिल जाने पर प्रायः उन पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।फ्लोराइड से अपाहिज होते गांव
कोलाखुर्द का दर्द पिघल-पिघल कर पूरे देश के अखबार की खबरों का हिस्सा बनता है, लेकिन किसी इंसान के दिल को नहीं झकझोरता न तो सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठाता है। यहां स्वास्थय केंद्र भी नहीं है। भागलपुर जाकर ईलाज कराना इनके लिए मुमकिन नहीं क्योंकि आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि रोजगार छोड़ कर अपने घर वालों का अच्छा ईलाज करा सकें। ग्रामीणों के पास दो विकल्प हैं, या तो जहर पी-पी कर धीरे-धीरे पीड़ा से मरें या गाँव छोड़ दें।
“न चल सकते हैं, न सो सकते हैं, न बैठ सकते हैं, कैसे जीवन काटें?” कहते-कहते आँसू भर आते हैं गीता देवी की आँखों में। मेरे पास कोई जवाब नहीं, क्या दूँ इस सवाल का जवाब? मैं पूछती हूँ” कब से आप बीमार हैं?” 50 वर्षीया शान्ति देवी जो विकलांग हो चुकी है रो-रो कर बताती है “जब से सरकार ने चापाकल गाड़ा है जहर पी-पी के हमारा ई हाल हुआ है।” वे अपने दोनों पाँव को दिखलाती है जिसकी हड्डियां टेढ़ी हो चुकी है। उन्होंने कहा “जब तक चापाकल नहीं गाड़ा गया था तब तक पानी का बहुत दिक्कत था। लेकिन अब लगता है कि ये चापाकल ही हमारा जान ले लेगा तो हम कभी इसका पानी नहीं पीते।”Pagination
प्रयास
सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
- Read more about सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
- Comments
नोटिस बोर्ड
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
- Read more about 28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
- Comments
पसंदीदा आलेख