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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by admin on Tue, 10/04/2011 - 12:00
Source:
urdu cover aaj bhi khare hain talab

آج بھی کھرے ہیں تالاباپنی کتاب 'آج بھی کھرے ہیں تالاب' میں جناب انوپم مشر صاحب نےپورے ہندوستان کے تالابوں، ماضی میںپانی محفوظ کرینےکےطریقوں،پانی کے بیہترانتظام،جھیلوں،تالابوں اورپانی کی کئی شاندار روایات کی سمجھ ، فلسفہ اور تحقیق کواس کتاب میں انتہاءی سلیقے اور آسان زبان میں تحقیق کے ساتھ درج کیا ہے۔

ہندوستان میں پانی کی حفاظت کے یہ روایتی طریقے،آج بھی ہزاروں گاؤں اور قصبوں کے لئے لایف لاین کے مساوی ہیں.انوپم جی کا یہ کام ، ملک بھر میں سیاہ سایہ کی طرح پھیل رہی پانی کی شدید قلت سے نمٹنے اور مسائل کو اچھی طرح سمجھنے میں ایک 'گائیڈ' کا کام کرتا ہے.انوپم جی نے ماحولیات اورواٹر منیجمینٹ کے میدان میں برسوں تک کام کیا ہے، فی الحال وہ گاندھی امن فاؤنڈیشن ، نئی دہلی کے ساتھ کام کر رہے ہیں. ان کی کتابیں ، خاص طور پر 'آج بھی کھرے ہیں تالاب' اور 'راجستھان کی نقرئی بوندیں' ، پانی کے موضوع پر شائع کتابوں میں میل کے پتھر کی مانند ہیں ، آج بھی ان کتابوں کے مندرجات سماجی کارکُنوں، واٹر هاروےسٹنگ میں دلچسپی

Submitted by admin on Sun, 10/02/2011 - 13:47
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'आज भी खरे हैं तालाब' पंजाबी संस्करण
aaj bhi khare hain talab


आज भी खरे हैं तालाब (पंजाबी)

ਅੱਜ ਵੀ ਖਰੇ ਹਨ ਤਾਲਾਬਆਪਣੀ ਕਿਤਾਬ “ਅੱਜ ਵੀ ਖਰੇ ਹਨ ਤਾਲਾਬ” ਵਿੱਚ ਸ਼੍ਰੀ ਅਨੁਪਮ ਜੀ ਨੇ ਸਮੁੱਚੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਤਾਲਾਬੋਂ , ਪਾਣੀ - ਇਕੱਤਰੀਕਰਨ ਪੱਧਤੀਯੋਂ , ਪਾਣੀ - ਪ੍ਰਬੰਧਨ , ਝੀਲਾਂ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਅਨੇਕ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਦੀ ਸੱਮਝ , ਦਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਜਾਂਚ ਨੂੰ ਲਿਪਿਬੱਧ ਕੀਤਾ ਹੈ ।

ਭਾਰਤ ਦੀ ਇਹ ਹਿਕਾਇਤੀ ਪਾਣੀ ਸੰਰਚਨਾਵਾਂ , ਅੱਜ ਵੀ ਹਜਾਰਾਂ ਪਿੰਡਾਂ ਅਤੇ ਕਸਬੀਆਂ ਲਈ ਜੀਵਨਰੇਖਾ ਦੇ ਸਮਾਨ ਹਨ । ਅਨੁਪਮ ਜੀ ਦਾ ਇਹ ਕਾਰਜ , ਦੇਸ਼ ਭਰ ਵਿੱਚ ਕਾਲੀ ਛਾਇਆ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਫੈਲ ਰਹੇ ਭੀਸ਼ਨ ਜਲਸੰਕਟ ਵਲੋਂ ਨਿੱਬੜਨ ਅਤੇ ਸਮੱਸਿਆ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੱਮਝਣ ਵਿੱਚ ਇੱਕ “ਗਾਇਡ” ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਅਨੁਪਮ ਜੀ ਨੇ ਪਰਿਆਵਰਣ ਅਤੇ ਪਾਣੀ - ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਸਾਲਾਂ ਤੱਕ ਕੰਮ ਕੀਤਾ ਹੈ ਅਤੇ ਵਰਤਮਾਨ ਵਿੱਚ ਉਹ ਗਾਂਧੀ ਸ਼ਾਂਤੀ ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਠਾਨ , ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ ਦੇ ਨਾਲ ਕਾਰਜ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕਿਤਾਬਾਂ , ਖਾਸਕਰ “ਅੱਜ ਵੀ ਖਰੇ ਹਨ ਤਾਲਾਬ” ਅਤੇ “ਰਾਜਸਥਾਨ ਦੀ ਰਜਤ ਬੂੰਦਾਂ” , ਪਾਣੀ ਦੇ ਵਿਸ਼ਾ ਉੱਤੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਿਤ ਕਿਤਾਬਾਂ ਵਿੱਚ ਮੀਲ ਦੇ ਪੱਥਰ ਦੇ ਸਮਾਨ ਹੈ ,

Submitted by Hindi on Sun, 10/02/2011 - 13:16
Source:
renuka dam

रेणुका बांध स्थल के पास के पहाड़ों में जंगल की स्थितिदिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) हिमाचल प्रदेश पॉवर कार्पोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) के साथ मिलकर अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ददाहू कस्बे के पास गिरि नदी पर एक बांध बनाने की कोशिश में जुटा है।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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آج آج بھی کھرے ہیں تالاب आज भी खरे हैं तालाब उर्दू

Submitted by admin on Tue, 10/04/2011 - 12:00
Author
अनुपम मिश्र
urdu cover aaj bhi khare hain talab

آج بھی کھرے ہیں تالابآج بھی کھرے ہیں تالاباپنی کتاب 'آج بھی کھرے ہیں تالاب' میں جناب انوپم مشر صاحب نےپورے ہندوستان کے تالابوں، ماضی میںپانی محفوظ کرینےکےطریقوں،پانی کے بیہترانتظام،جھیلوں،تالابوں اورپانی کی کئی شاندار روایات کی سمجھ ، فلسفہ اور تحقیق کواس کتاب میں انتہاءی سلیقے اور آسان زبان میں تحقیق کے ساتھ درج کیا ہے۔

ہندوستان میں پانی کی حفاظت کے یہ روایتی طریقے،آج بھی ہزاروں گاؤں اور قصبوں کے لئے لایف لاین کے مساوی ہیں.انوپم جی کا یہ کام ، ملک بھر میں سیاہ سایہ کی طرح پھیل رہی پانی کی شدید قلت سے نمٹنے اور مسائل کو اچھی طرح سمجھنے میں ایک 'گائیڈ' کا کام کرتا ہے.انوپم جی نے ماحولیات اورواٹر منیجمینٹ کے میدان میں برسوں تک کام کیا ہے، فی الحال وہ گاندھی امن فاؤنڈیشن ، نئی دہلی کے ساتھ کام کر رہے ہیں. ان کی کتابیں ، خاص طور پر 'آج بھی کھرے ہیں تالاب' اور 'راجستھان کی نقرئی بوندیں' ، پانی کے موضوع پر شائع کتابوں میں میل کے پتھر کی مانند ہیں ، آج بھی ان کتابوں کے مندرجات سماجی کارکُنوں، واٹر هاروےسٹنگ میں دلچسپی

ਅੱਜ ਵੀ ਖਰੇ ਹਨ ਤਾਲਾਬ

Submitted by admin on Sun, 10/02/2011 - 13:47
Author
अनुपम मिश्र
Source
'आज भी खरे हैं तालाब' पंजाबी संस्करण
aaj bhi khare hain talab


आज भी खरे हैं तालाब (पंजाबी)

आज भी खरे हैं तालाब (पंजाबी)ਅੱਜ ਵੀ ਖਰੇ ਹਨ ਤਾਲਾਬਆਪਣੀ ਕਿਤਾਬ “ਅੱਜ ਵੀ ਖਰੇ ਹਨ ਤਾਲਾਬ” ਵਿੱਚ ਸ਼੍ਰੀ ਅਨੁਪਮ ਜੀ ਨੇ ਸਮੁੱਚੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਤਾਲਾਬੋਂ , ਪਾਣੀ - ਇਕੱਤਰੀਕਰਨ ਪੱਧਤੀਯੋਂ , ਪਾਣੀ - ਪ੍ਰਬੰਧਨ , ਝੀਲਾਂ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਅਨੇਕ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਦੀ ਸੱਮਝ , ਦਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਜਾਂਚ ਨੂੰ ਲਿਪਿਬੱਧ ਕੀਤਾ ਹੈ ।

ਭਾਰਤ ਦੀ ਇਹ ਹਿਕਾਇਤੀ ਪਾਣੀ ਸੰਰਚਨਾਵਾਂ , ਅੱਜ ਵੀ ਹਜਾਰਾਂ ਪਿੰਡਾਂ ਅਤੇ ਕਸਬੀਆਂ ਲਈ ਜੀਵਨਰੇਖਾ ਦੇ ਸਮਾਨ ਹਨ । ਅਨੁਪਮ ਜੀ ਦਾ ਇਹ ਕਾਰਜ , ਦੇਸ਼ ਭਰ ਵਿੱਚ ਕਾਲੀ ਛਾਇਆ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਫੈਲ ਰਹੇ ਭੀਸ਼ਨ ਜਲਸੰਕਟ ਵਲੋਂ ਨਿੱਬੜਨ ਅਤੇ ਸਮੱਸਿਆ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੱਮਝਣ ਵਿੱਚ ਇੱਕ “ਗਾਇਡ” ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਅਨੁਪਮ ਜੀ ਨੇ ਪਰਿਆਵਰਣ ਅਤੇ ਪਾਣੀ - ਪ੍ਰਬੰਧਨ ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਸਾਲਾਂ ਤੱਕ ਕੰਮ ਕੀਤਾ ਹੈ ਅਤੇ ਵਰਤਮਾਨ ਵਿੱਚ ਉਹ ਗਾਂਧੀ ਸ਼ਾਂਤੀ ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਠਾਨ , ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ ਦੇ ਨਾਲ ਕਾਰਜ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕਿਤਾਬਾਂ , ਖਾਸਕਰ “ਅੱਜ ਵੀ ਖਰੇ ਹਨ ਤਾਲਾਬ” ਅਤੇ “ਰਾਜਸਥਾਨ ਦੀ ਰਜਤ ਬੂੰਦਾਂ” , ਪਾਣੀ ਦੇ ਵਿਸ਼ਾ ਉੱਤੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਿਤ ਕਿਤਾਬਾਂ ਵਿੱਚ ਮੀਲ ਦੇ ਪੱਥਰ ਦੇ ਸਮਾਨ ਹੈ ,

रेणुका बांध, विनाशकाले विपरीत बुद्धि

Submitted by Hindi on Sun, 10/02/2011 - 13:16
Author
मीनाक्षी अरोड़ा
renuka dam

 रेणुका बांध स्थल के पास के पहाड़ों में जंगल की स्थिति रेणुका बांध स्थल के पास के पहाड़ों में जंगल की स्थितिदिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) हिमाचल प्रदेश पॉवर कार्पोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) के साथ मिलकर अपनी पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ददाहू कस्बे के पास गिरि नदी पर एक बांध बनाने की कोशिश में जुटा है।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
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Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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