तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

पहले से ही हम पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अनेकों कदम उठा रहे हैं। ऐसी दशा में पर्यावरण संरक्षण के नाम पर गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं होगा।
देहरादून। इको सेन्सिटिव जोन उत्तरकाशी के बारे में मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया कि केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मौजूदा मसौदे पर एतराज दर्ज किया जायेगा। उत्तरकाशी से गोमुख तक रहने वाले लोगों के हितों की अनदेखी नहीं होने दी जायेगी। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक पहले ही भारत सरकार से अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं। मुख्य सचिव ने सभी सबंधित विभागों को निर्देश दिया कि वे हर हाल में ड्राफ्ट के बारे में अपनी आपत्तियां अगले 22 जुलाई 2011 तक प्रस्तुत करें। इन आपत्तियों को संकलित कर उत्तराखण्ड सरकार का पक्ष वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा जायेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि गंगा नदी के बीच से दोनों ओर 100 मीटर के दायरे में गतिविधियों पर रोक लगाये जाने पर उत्तरकाशी का जन जीवन प्रभावित होगा।
बात मुजफ्फरपुर की है और 8 मार्च की है यानी जापान की त्रासदी शुरु होने के ठीक तीन दिन पहले। मुजफ्फरपुर जिले में प्रस्तावित एस्बेस्टस कारखाने के विरुद्ध चल रहे गांववासियों के संघर्ष के संदर्भ में ‘बिहार के विकास’ पर गोष्ठी चल रही थी। औद्योगीकरण के नाम पर कैसे दुनिया के अमीर देश प्रदूषण और पर्यावरण - खतरों का आउटसोर्सिंग कर रहे हैं तथा गरीब देशों को दुनिया का कूड़ाघर बना रहे हैं, इस बात का खुलासा करते हुए मैंने भारत में परमाणु बिजली के विस्तार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम तथा उसके खतरों की चर्चा की। गोष्ठी की अध्यक्षता एक सेवानिवृत्त प्राध्यापक कर रहे थे। उन्होंने इस का तुरंत प्रतिवाद किया और अणुबिजली की टकनॉलॉजी को ‘फुलप्रूफ’ बताया। मुझे अंदाज नहीं था कि टकनॉलॉजी में उनके इस अगाध विश्वास का खंडन तीन दिन बाद ही आधुनिक इतिहास की इतनी बड़ी त्रासदी से हो जाएगा।
पहले से ही हम पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अनेकों कदम उठा रहे हैं। ऐसी दशा में पर्यावरण संरक्षण के नाम पर गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं होगा।
देहरादून। इको सेन्सिटिव जोन उत्तरकाशी के बारे में मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया कि केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मौजूदा मसौदे पर एतराज दर्ज किया जायेगा। उत्तरकाशी से गोमुख तक रहने वाले लोगों के हितों की अनदेखी नहीं होने दी जायेगी। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक पहले ही भारत सरकार से अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं। मुख्य सचिव ने सभी सबंधित विभागों को निर्देश दिया कि वे हर हाल में ड्राफ्ट के बारे में अपनी आपत्तियां अगले 22 जुलाई 2011 तक प्रस्तुत करें। इन आपत्तियों को संकलित कर उत्तराखण्ड सरकार का पक्ष वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा जायेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि गंगा नदी के बीच से दोनों ओर 100 मीटर के दायरे में गतिविधियों पर रोक लगाये जाने पर उत्तरकाशी का जन जीवन प्रभावित होगा।
बात मुजफ्फरपुर की है और 8 मार्च की है यानी जापान की त्रासदी शुरु होने के ठीक तीन दिन पहले। मुजफ्फरपुर जिले में प्रस्तावित एस्बेस्टस कारखाने के विरुद्ध चल रहे गांववासियों के संघर्ष के संदर्भ में ‘बिहार के विकास’ पर गोष्ठी चल रही थी। औद्योगीकरण के नाम पर कैसे दुनिया के अमीर देश प्रदूषण और पर्यावरण - खतरों का आउटसोर्सिंग कर रहे हैं तथा गरीब देशों को दुनिया का कूड़ाघर बना रहे हैं, इस बात का खुलासा करते हुए मैंने भारत में परमाणु बिजली के विस्तार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम तथा उसके खतरों की चर्चा की। गोष्ठी की अध्यक्षता एक सेवानिवृत्त प्राध्यापक कर रहे थे। उन्होंने इस का तुरंत प्रतिवाद किया और अणुबिजली की टकनॉलॉजी को ‘फुलप्रूफ’ बताया। मुझे अंदाज नहीं था कि टकनॉलॉजी में उनके इस अगाध विश्वास का खंडन तीन दिन बाद ही आधुनिक इतिहास की इतनी बड़ी त्रासदी से हो जाएगा।
पसंदीदा आलेख