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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by Hindi on Tue, 03/15/2011 - 15:51
Source:
आत्महत्या करने वाले नंदकिशोर का परिवार''किसान से कब बंधुआ मजदूर बन गया, यह नंदकिशोर को पता ही नहीं चला। महंगे कीटनाशक, महंगे बीज और रासायनिक खाद ने उसे कर्जदार बना दिया। अपने एक भाई, दो बेटियों और बुजुर्ग मां सहित छह सदस्‍यों का भरण-पोषण चार एकड़ खेती से संभव नहीं रहा और इधर साहूकार का 50 हजार का कर्ज सिर पर था। खेती की जिम्‍मेदारी भाई को सौंपकर खुद बंधुआ मजदूर बनकर साहूकार के ट्रेक्‍टर की ड्राईवरी करने लगा। कुछ सालों तक बंधुआ मजदूर बने रहकर उसे लगा कि इससे तो कभी कर्ज उतरेगा नहीं। लिहाजा उसने बटाई पर खेती करने का उपाय सोचा। नंदकिशोर ने उसी साहूकार की 20 बीघा जमीन 25 हजार रुपए में बटाई पर ली, जिसके यहां वह बंधुआ था। ये 25 हजार रुपए भी उसके सिर पर कर्ज के तौर पर बढ़ गए, जिसकी जमानत के रूप में उसने पत्‍नी के चांदी के जेवर गिरवी रखे। इस तरह बंधुआ मजदूरी और खेती साथ-साथ चलने लगी।
Submitted by Hindi on Mon, 03/14/2011 - 09:12
Source:
अमर उजाला 13 मार्च 2011

जापान की आपदा का पहला सबक यह है कि विज्ञान और तकनीकी के दंभ में हम प्रकृति विजेता होने का भ्रम न पालें। इस सृष्टि में मृत्यु के बाद भूकंप ही ऐसा सत्य है, जिसे रोका नहीं जा सकता। फर्क सिर्फ इतना है कि मौत से बचा नहीं जा सकता, लेकिन भूकंप से बचा जा सकता है।

जब भूकंप या सुनामी से दुनिया का कोई एक कोना दहलता है, तो दूसरा कोना उससे कतई अछूता नहीं रह सकता। आज अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आई थरथराहट सुदूर एशिया को झकझोर देती है, तो जापान की प्राकृतिक आपदा का तात्कालिक प्रभाव अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। जापान के पास भूकंप के प्रभावों से निपटने की सर्वश्रेष्ठ युक्ति है। लेकिन यह भूकंप और उसके फलस्वरूप आई सुनामी जापान को बुरी तरह तोड़-मरोड़ गई। बेशक रिक्टर पैमाने पर 8.9 का भूकंप भयावह होता है। लेकिन जापान के विज्ञानियों और तकनीशियनों ने इस ओर इससे भी बड़े भूकंप की आशंका के आधार पर अपने भवनों, पुलों और ओवर ब्रिजों के ढांचे तैयार किए थे। पर उद्वेलित प्रकृति के कोप को किसी भी प्रकार का तकनीकी लाघव नहीं झेल पाया।

जापान की आपदा का पहला सबक यह है कि विज्ञान और तकनीकी के दंभ में हम प्रकृति विजेता होने का भ्रम न पालें। इस सृष्टि में मृत्यु के बाद भूकंप ही ऐसा सत्य है,

Submitted by Hindi on Sat, 03/12/2011 - 10:11
Source:
पिछले कुछ अर्से से पर्यावरणविद टिकाऊ विकास की बातें कर रहे हैं। टिकाऊ विकास यानि ऐसा विकास, जो लम्बे समय तक हमारा साथ दे, हमारे प्राकृतिक संसाधनों को बिना नुकसान पहुंचाए उन्हें देर तक उपलब्ध बनाएं रखें, हमारी आर्थिक वृद्धि भी बाधित न हो और पर्यावरण भी शुद्ध बना रहे और प्राकृतिक संसाधनों का समुचित दोहन हो पर प्राकृतिक विनाश नहीं हो। कुल मिलाकर यही है स्थायी विकास या टिकाऊ विकास। दरअसल, यह अवधारणा 1987 में ब्रुटलेण्ड की चर्चित पुस्तक ‘‘अवर कॉमन फ्यूचर‘ से निकली है। जिसमें यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि हमारे प्राकृतिक संसाधन अनुकूल और अमिट नहीं हैं। हमारे जंगल, कोयला, पेट्रोल और पीने लायक साफ पानी सभी बड़ी तेजी से घट रहे हैं। अतः अब आगे विकास ऐसा होना चाहिए जिसमें ‘‘धरती की सेहत‘‘ का भी ख्याल रखा जाए।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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कर्ज से हारती किसान की जिंदगी

Submitted by Hindi on Tue, 03/15/2011 - 15:51
Author
राजेन्‍द्र बंधु
आत्महत्या करने वाले नंदकिशोर का परिवारआत्महत्या करने वाले नंदकिशोर का परिवार''किसान से कब बंधुआ मजदूर बन गया, यह नंदकिशोर को पता ही नहीं चला। महंगे कीटनाशक, महंगे बीज और रासायनिक खाद ने उसे कर्जदार बना दिया। अपने एक भाई, दो बेटियों और बुजुर्ग मां सहित छह सदस्‍यों का भरण-पोषण चार एकड़ खेती से संभव नहीं रहा और इधर साहूकार का 50 हजार का कर्ज सिर पर था। खेती की जिम्‍मेदारी भाई को सौंपकर खुद बंधुआ मजदूर बनकर साहूकार के ट्रेक्‍टर की ड्राईवरी करने लगा। कुछ सालों तक बंधुआ मजदूर बने रहकर उसे लगा कि इससे तो कभी कर्ज उतरेगा नहीं। लिहाजा उसने बटाई पर खेती करने का उपाय सोचा। नंदकिशोर ने उसी साहूकार की 20 बीघा जमीन 25 हजार रुपए में बटाई पर ली, जिसके यहां वह बंधुआ था। ये 25 हजार रुपए भी उसके सिर पर कर्ज के तौर पर बढ़ गए, जिसकी जमानत के रूप में उसने पत्‍नी के चांदी के जेवर गिरवी रखे। इस तरह बंधुआ मजदूरी और खेती साथ-साथ चलने लगी।

लघु ही सुंदर है

Submitted by Hindi on Mon, 03/14/2011 - 09:12
Author
राजीव नयन बहुगुणा
Source
अमर उजाला 13 मार्च 2011

जापान की आपदा का पहला सबक यह है कि विज्ञान और तकनीकी के दंभ में हम प्रकृति विजेता होने का भ्रम न पालें। इस सृष्टि में मृत्यु के बाद भूकंप ही ऐसा सत्य है, जिसे रोका नहीं जा सकता। फर्क सिर्फ इतना है कि मौत से बचा नहीं जा सकता, लेकिन भूकंप से बचा जा सकता है।

जब भूकंप या सुनामी से दुनिया का कोई एक कोना दहलता है, तो दूसरा कोना उससे कतई अछूता नहीं रह सकता। आज अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आई थरथराहट सुदूर एशिया को झकझोर देती है, तो जापान की प्राकृतिक आपदा का तात्कालिक प्रभाव अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। जापान के पास भूकंप के प्रभावों से निपटने की सर्वश्रेष्ठ युक्ति है। लेकिन यह भूकंप और उसके फलस्वरूप आई सुनामी जापान को बुरी तरह तोड़-मरोड़ गई। बेशक रिक्टर पैमाने पर 8.9 का भूकंप भयावह होता है। लेकिन जापान के विज्ञानियों और तकनीशियनों ने इस ओर इससे भी बड़े भूकंप की आशंका के आधार पर अपने भवनों, पुलों और ओवर ब्रिजों के ढांचे तैयार किए थे। पर उद्वेलित प्रकृति के कोप को किसी भी प्रकार का तकनीकी लाघव नहीं झेल पाया।

जापान की आपदा का पहला सबक यह है कि विज्ञान और तकनीकी के दंभ में हम प्रकृति विजेता होने का भ्रम न पालें। इस सृष्टि में मृत्यु के बाद भूकंप ही ऐसा सत्य है,

सहजनः स्वर्ग का पेड़

Submitted by Hindi on Sat, 03/12/2011 - 10:11
Author
डां. किशोर पंवार
पिछले कुछ अर्से से पर्यावरणविद टिकाऊ विकास की बातें कर रहे हैं। टिकाऊ विकास यानि ऐसा विकास, जो लम्बे समय तक हमारा साथ दे, हमारे प्राकृतिक संसाधनों को बिना नुकसान पहुंचाए उन्हें देर तक उपलब्ध बनाएं रखें, हमारी आर्थिक वृद्धि भी बाधित न हो और पर्यावरण भी शुद्ध बना रहे और प्राकृतिक संसाधनों का समुचित दोहन हो पर प्राकृतिक विनाश नहीं हो। कुल मिलाकर यही है स्थायी विकास या टिकाऊ विकास। दरअसल, यह अवधारणा 1987 में ब्रुटलेण्ड की चर्चित पुस्तक ‘‘अवर कॉमन फ्यूचर‘ से निकली है। जिसमें यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि हमारे प्राकृतिक संसाधन अनुकूल और अमिट नहीं हैं। हमारे जंगल, कोयला, पेट्रोल और पीने लायक साफ पानी सभी बड़ी तेजी से घट रहे हैं। अतः अब आगे विकास ऐसा होना चाहिए जिसमें ‘‘धरती की सेहत‘‘ का भी ख्याल रखा जाए।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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