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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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Submitted by bipincc on Thu, 10/14/2010 - 17:57
Source:
Waterwatch E-group, PTI, Jansatta

आखिर जो होना था, वह हो गया। केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश की रेणुका बांध परियोजना पर रोक लगा दी है। केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 31 अगस्त 2010 की तिथि वाले अपने पत्र में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में प्रस्तावित रेणुका बांध परियोजना के लिए हिमाचल प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड के आवेदन पर परियोजना को अनुमति देने से इनकार कर दिया। मंत्रालय को यह अहम निर्णय लेना पड़ा क्योंकि इस परियोजना के लिए 775 हेक्टेअर वनभूमि में पेड़ों की कटाई करके उसके डाइवर्जन की मांग की गई थी। इस परियोजना को दिल्ली सरकार एवं हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा ‘‘राष्ट्रीय हित’’ के नाम पर आ

Submitted by Hindi on Thu, 10/14/2010 - 15:10
Source:
पत्रिका डॉट कॉम, 14 अक्टूबर 2010


पश्चिमी महाराष्ट्र में पहाडियों के बीच बसे जलगांव के किसान टपक सिंचाई और कॉन्टै्रक्ट फार्मिग के जरिए दो से तीन गुना उत्पादन बढाने में कामयाब हुए हैं। 'मोर क्रॉप, पर ड्रॉप' पर आधारित तकनीक ने किसानों और कृषि व्यवसाय को नई दिशा दी है।

Submitted by Hindi on Thu, 10/14/2010 - 12:28
Source:
गांधी मार्ग, अक्टूबर 2010
फैसला और न्याय में सचमुच कितना फासला होता है, इसे बताया है 25 बरस बाद भोपाल गैस कांड के ताजे फैसले ने। दुनिया के सबसे बड़े, सबसे भयानक औद्योगिक कांड के ठीक एक महीने बाद लखनऊ में हुई राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस में एक वैज्ञानिक ने इस विषय पर अपना पर्चा पढ़ते हुए बहुत ही उत्साह से कहा थाः ”गुलाब प्रेमियों को यह जानकर बड़ी प्रसन्नता होगी कि भोपाल में गुलाब के पौधों पर जहरीली गैस मिक का कोई असर नहीं पड़ा है। “ भर आता है मन ऐसे ‘शोध’ देखकर, पर यह एक कड़वी सचाई है। भोपाल कांड के बाद हमारे समाज में, नेतृत्व में, वैज्ञानिकों में, अधिकारियों में ऐसे सैकड़ों गुलाब हैं, जिन पर न तो जहरीली मिक गैस का और न उससे मारे गए हजारों लोगों का कोई असर हुआ है। वे तब भी खिले थे और आज 25 बरस बाद भी खिले हुए हैं।
भोपाल के भव्य भारत भवन में ठहरे फिल्म निर्माता श्री चित्रे की नींद उचटी थी बाहर के कुछ शोरगुल से। पूस की रात करीब तीन बजे थे। कड़कड़ाती सर्दी। कमरे की खिड़कियां बंद थीं। चित्रे और उनकी पत्नी रोहिणी ने खिड़की खोलकर इस शोरगुल का कारण जानना चाहा। खिड़की खोलते ही तीखी गैस का झोंका आया। उन्होंने आंखों में जलन महसूस की और उनका दम घुटने लगा।

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

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रेणुका बांध परियोजना पर पर्यावरण मंत्रालय की रोक

Submitted by bipincc on Thu, 10/14/2010 - 17:57
Author
बिपिन चन्द्र चतुर्वेदी
Source
Waterwatch E-group, PTI, Jansatta

आखिर जो होना था, वह हो गया। केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश की रेणुका बांध परियोजना पर रोक लगा दी है। केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 31 अगस्त 2010 की तिथि वाले अपने पत्र में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में प्रस्तावित रेणुका बांध परियोजना के लिए हिमाचल प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड के आवेदन पर परियोजना को अनुमति देने से इनकार कर दिया। मंत्रालय को यह अहम निर्णय लेना पड़ा क्योंकि इस परियोजना के लिए 775 हेक्टेअर वनभूमि में पेड़ों की कटाई करके उसके डाइवर्जन की मांग की गई थी। इस परियोजना को दिल्ली सरकार एवं हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा ‘‘राष्ट्रीय हित’’ के नाम पर आ

बूंद—बूंद में बरकत

Submitted by Hindi on Thu, 10/14/2010 - 15:10
Author
पत्रिका डॉट कॉम
Source
पत्रिका डॉट कॉम, 14 अक्टूबर 2010


पश्चिमी महाराष्ट्र में पहाडियों के बीच बसे जलगांव के किसान टपक सिंचाई और कॉन्टै्रक्ट फार्मिग के जरिए दो से तीन गुना उत्पादन बढाने में कामयाब हुए हैं। 'मोर क्रॉप, पर ड्रॉप' पर आधारित तकनीक ने किसानों और कृषि व्यवसाय को नई दिशा दी है।

भोपालः मृत्यु की नदी की कुछ बूंदें

Submitted by Hindi on Thu, 10/14/2010 - 12:28
Author
गांधी मार्ग
Source
गांधी मार्ग, अक्टूबर 2010
फैसला और न्याय में सचमुच कितना फासला होता है, इसे बताया है 25 बरस बाद भोपाल गैस कांड के ताजे फैसले ने। दुनिया के सबसे बड़े, सबसे भयानक औद्योगिक कांड के ठीक एक महीने बाद लखनऊ में हुई राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस में एक वैज्ञानिक ने इस विषय पर अपना पर्चा पढ़ते हुए बहुत ही उत्साह से कहा थाः ”गुलाब प्रेमियों को यह जानकर बड़ी प्रसन्नता होगी कि भोपाल में गुलाब के पौधों पर जहरीली गैस मिक का कोई असर नहीं पड़ा है। “ भर आता है मन ऐसे ‘शोध’ देखकर, पर यह एक कड़वी सचाई है। भोपाल कांड के बाद हमारे समाज में, नेतृत्व में, वैज्ञानिकों में, अधिकारियों में ऐसे सैकड़ों गुलाब हैं, जिन पर न तो जहरीली मिक गैस का और न उससे मारे गए हजारों लोगों का कोई असर हुआ है। वे तब भी खिले थे और आज 25 बरस बाद भी खिले हुए हैं।
भोपाल के भव्य भारत भवन में ठहरे फिल्म निर्माता श्री चित्रे की नींद उचटी थी बाहर के कुछ शोरगुल से। पूस की रात करीब तीन बजे थे। कड़कड़ाती सर्दी। कमरे की खिड़कियां बंद थीं। चित्रे और उनकी पत्नी रोहिणी ने खिड़की खोलकर इस शोरगुल का कारण जानना चाहा। खिड़की खोलते ही तीखी गैस का झोंका आया। उन्होंने आंखों में जलन महसूस की और उनका दम घुटने लगा।

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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