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खासम-खास

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

Submitted by Hindi on Wed, 10/06/2010 - 11:33
Source:
समकालीन जनमत, सितंबर 2010
कुशीनगर जिले कप्तानगंज ब्लाक के बसहिया गांव निवासी 24 वर्षीय गौतम साहनी की पांच मई को गुजरात के सोसिय बंदरगाह पर एक पुराने जहाज की कटाई के दौरान फायर गैस की चपेट में आकर मौत हो गई। गौतम शिप विजय बंसल ब्रेकिंग कंपनी-158 में काम करते थे। उनका शव आठ मई को गांव आया। आज गौतम साहनी के परिजन आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई सहारा देने वाला नहीं है। जिस कंपनी के लिए वह काम करते थे, उसने भी गौतम के परिजनों की कोई मदद नहीं की। गुजरात के भावनगर के अलंग समुद्र तट को आप चाहें तो मृतप्राय जलपोतों की सबसे बड़ी कब्रगाह कह सकते हैं। पुराने जलपोतो को तोड़ने का यह दुनिया का सबसे बड़ा यार्ड है। आर्थिक प्रदर्शन के लिहाज से नई सदी का पहला दशक, इस कारोबार के लिए बेहतरीन साबित हुआ। विश्व व्यापार में आई मंदी ने जहाज मालिकों के लिए यह अनिवार्य बना दिया कि वे अपने पुराने पड़ चुके निष्प्रयोज्य जलपोतों को नष्ट कर दें। भारत में इस कारोबार के तेजी से बढ़ने का स्याह पहलू यह है कि विकसित देशों के सख्त पर्यावरणीय कानून एवं श्रम कानूनों से बचने के लिए भारतीय समुद्र तट एवं यहां के सस्ते मानव श्रम का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत के मजदूरों एवं पर्यावरण को जोखिम में डालने की इस कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमा चल रहा है। जहरीला प्रदूषण फैलाने के आरोप में अमेरिकी जलपोत प्लेटिनम-2 पर यह मुकदमा दर्ज किया गया था। इस साल फरवरी में यह जलपोत, भारतीय जलसीमा में गैरकानूनी तरीके से घुस आया था। लेकिन भारत सरकार के दांव-पेंच के चलते इस मुकदमें की सुनवाई में तेजी नहीं आ पा रही है। भारत सरकार के रवैए को देखते हुए इस बात की कम ही गुंजाइश है कि जलपोतों के जहरीले प्रदूषण से मजदूरों के बचाव एवं पर्यावरण की रक्षा की दिशा में कोई मुकम्मल कार्रवाई हो पाएगी।

Submitted by Hindi on Wed, 10/06/2010 - 11:28
Source:
द पब्लिक एजेंडा, 15 सितंबर 2010
अशोक चह्वाण कभी कांग्रेस के चहेते मुख्यमंत्रियों में से थे, लेकिन बाभली परियोजना और चंद्रबाबू नायडू के मुद्दे पर वे अब हाई कमान की आंख की किरकिरी बन चुके हैं।एक अरसे से कांग्रेस हाई कमान की आंखों का तारा होने का दम भरते आये महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण अब आंख की किरकिरी साबित हो रहे हैं। पड़ोसी राज्यों-आंध्रप्रदेश और कर्नाटक के साथ बाभली परियोजना और मराठी-भाषी इलाकों के मसले को लेकर उन्होंने जिस राजनीतिक अपरिपक्वता का परिचय दिया है, उससे केंद्र सरकार और कांग्रेस हाईकमान दोनों ही नाराज हैं। गोदावरी नदी पर स्थित बाभली जल परियोजना के मुद्दे पर उन्होंने आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के नेता एन. चंद्रबाबू नायडू को जीरो से हीरो बना दिया। आंध्रप्रदेश में भी कांग्रेस की ही सरकार है और वाइएस राजशेखर रेड्डी के बेटे जगनमोहन रेड्डी ने पहले से ही मुख्यमंत्री के रोसैया की नाक में दम कर रखा है।

Submitted by bipincc on Sat, 10/02/2010 - 17:43
Source:
2 अक्टूबर 2010

टिहरी बांध के संबंध में एन. डी. जयाल बनाम भारत सरकार एवं अन्य के मुकदमे में उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायाधीश आर. वी. रविन्द्रन एवं माननीय न्यायाधीश एच. एल. गोखले की पीठ ने उत्तराखंड राज्य सरकार एवं टीएचडीसी को 17 सितंबर 2010 को आदेश दिया कि वे एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप बंद करें और प्रभावित लोगों का पुनर्वास कार्य करें। उन्हें छः सप्ताह के अंदर स्थिति एवं कार्यवाही रिपोर्ट दाखिल करना है। हालांकि उच्चतम न्यायालय का फैसला काबिले तारीफ है लेकिन इसमें टीएचडीसी एवं राज्य सरकार को अपनी जिम्मेदारी पूरा करने की जरूरी गंभीरता का अभाव है।

 

याचिकाकर्ता एड्वोकेट कोलिन गोंसाल्विस एवं एड्वोकेट संजय पारिख द्वारा उजागर किये गये समस्याओं पर अदालत ने राज्य सरकार एवं टीएचडीसी को कई अहम मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया है। सर्वोच्च अदालत का कहना है कि बांध में पानी का स्तर बढ़ने के कारण भागीरथी नदीघाटी में तीन गांवों रौलाकोट, नाकोट, स्यांसु के डूबने की आशंका है। वास्तव में,

प्रयास

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
Source:
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे
Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
Source:
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया
Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
Source:
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

Latest

खासम-खास

तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

Submitted by Editorial Team on Tue, 10/04/2022 - 16:13
Author
कृष्ण गोपाल 'व्यास’
talab-gyan-sanskriti-:-ninv-se-shikhar-tak
कूरम में पुनर्निर्मित समथमन मंदिर तालाब। फोटो - indiawaterportal
परम्परागत तालाबों पर अनुपम मिश्र की किताब ‘आज भी खरे हैं तालाब’, पहली बार, वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब में अनुपम ने समाज से प्राप्त जानकारी के आधार पर भारत के विभिन्न भागों में बने तालाबों के बारे में व्यापक विवरण प्रस्तुत किया है। अर्थात आज भी खरे हैं तालाब में दर्ज विवरण परम्परागत तालाबों पर समाज की राय है। उनका दृष्टिबोध है। उन विवरणों में समाज की भावनायें, आस्था, मान्यतायें, रीति-रिवाज तथा परम्परागत तालाबों के निर्माण से जुड़े कर्मकाण्ड दर्ज हैं। प्रस्तुति और शैली अनुपम की है।

Content

जहाजों की कब्र से फैलता जहर

Submitted by Hindi on Wed, 10/06/2010 - 11:33
Author
गोपाल कृष्ण
Source
समकालीन जनमत, सितंबर 2010
कुशीनगर जिले कप्तानगंज ब्लाक के बसहिया गांव निवासी 24 वर्षीय गौतम साहनी की पांच मई को गुजरात के सोसिय बंदरगाह पर एक पुराने जहाज की कटाई के दौरान फायर गैस की चपेट में आकर मौत हो गई। गौतम शिप विजय बंसल ब्रेकिंग कंपनी-158 में काम करते थे। उनका शव आठ मई को गांव आया। आज गौतम साहनी के परिजन आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई सहारा देने वाला नहीं है। जिस कंपनी के लिए वह काम करते थे, उसने भी गौतम के परिजनों की कोई मदद नहीं की। गुजरात के भावनगर के अलंग समुद्र तट को आप चाहें तो मृतप्राय जलपोतों की सबसे बड़ी कब्रगाह कह सकते हैं। पुराने जलपोतो को तोड़ने का यह दुनिया का सबसे बड़ा यार्ड है। आर्थिक प्रदर्शन के लिहाज से नई सदी का पहला दशक, इस कारोबार के लिए बेहतरीन साबित हुआ। विश्व व्यापार में आई मंदी ने जहाज मालिकों के लिए यह अनिवार्य बना दिया कि वे अपने पुराने पड़ चुके निष्प्रयोज्य जलपोतों को नष्ट कर दें। भारत में इस कारोबार के तेजी से बढ़ने का स्याह पहलू यह है कि विकसित देशों के सख्त पर्यावरणीय कानून एवं श्रम कानूनों से बचने के लिए भारतीय समुद्र तट एवं यहां के सस्ते मानव श्रम का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत के मजदूरों एवं पर्यावरण को जोखिम में डालने की इस कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमा चल रहा है। जहरीला प्रदूषण फैलाने के आरोप में अमेरिकी जलपोत प्लेटिनम-2 पर यह मुकदमा दर्ज किया गया था। इस साल फरवरी में यह जलपोत, भारतीय जलसीमा में गैरकानूनी तरीके से घुस आया था। लेकिन भारत सरकार के दांव-पेंच के चलते इस मुकदमें की सुनवाई में तेजी नहीं आ पा रही है। भारत सरकार के रवैए को देखते हुए इस बात की कम ही गुंजाइश है कि जलपोतों के जहरीले प्रदूषण से मजदूरों के बचाव एवं पर्यावरण की रक्षा की दिशा में कोई मुकम्मल कार्रवाई हो पाएगी।

एक बांध और कई बवाल

Submitted by Hindi on Wed, 10/06/2010 - 11:28
Author
एस के सिन्हा
Source
द पब्लिक एजेंडा, 15 सितंबर 2010
अशोक चह्वाण कभी कांग्रेस के चहेते मुख्यमंत्रियों में से थे, लेकिन बाभली परियोजना और चंद्रबाबू नायडू के मुद्दे पर वे अब हाई कमान की आंख की किरकिरी बन चुके हैं।एक अरसे से कांग्रेस हाई कमान की आंखों का तारा होने का दम भरते आये महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण अब आंख की किरकिरी साबित हो रहे हैं। पड़ोसी राज्यों-आंध्रप्रदेश और कर्नाटक के साथ बाभली परियोजना और मराठी-भाषी इलाकों के मसले को लेकर उन्होंने जिस राजनीतिक अपरिपक्वता का परिचय दिया है, उससे केंद्र सरकार और कांग्रेस हाईकमान दोनों ही नाराज हैं। गोदावरी नदी पर स्थित बाभली जल परियोजना के मुद्दे पर उन्होंने आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी के नेता एन. चंद्रबाबू नायडू को जीरो से हीरो बना दिया। आंध्रप्रदेश में भी कांग्रेस की ही सरकार है और वाइएस राजशेखर रेड्डी के बेटे जगनमोहन रेड्डी ने पहले से ही मुख्यमंत्री के रोसैया की नाक में दम कर रखा है।

टिहरी बांध के मामले में सर्वोच्च अदालत के आदेश का उल्लंघन

Submitted by bipincc on Sat, 10/02/2010 - 17:43
Author
बिपिन चन्द्र चतुर्वेदी
Source
2 अक्टूबर 2010

टिहरी बांध के संबंध में एन. डी. जयाल बनाम भारत सरकार एवं अन्य के मुकदमे में उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायाधीश आर. वी. रविन्द्रन एवं माननीय न्यायाधीश एच. एल. गोखले की पीठ ने उत्तराखंड राज्य सरकार एवं टीएचडीसी को 17 सितंबर 2010 को आदेश दिया कि वे एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप बंद करें और प्रभावित लोगों का पुनर्वास कार्य करें। उन्हें छः सप्ताह के अंदर स्थिति एवं कार्यवाही रिपोर्ट दाखिल करना है। हालांकि उच्चतम न्यायालय का फैसला काबिले तारीफ है लेकिन इसमें टीएचडीसी एवं राज्य सरकार को अपनी जिम्मेदारी पूरा करने की जरूरी गंभीरता का अभाव है।

 

याचिकाकर्ता एड्वोकेट कोलिन गोंसाल्विस एवं एड्वोकेट संजय पारिख द्वारा उजागर किये गये समस्याओं पर अदालत ने राज्य सरकार एवं टीएचडीसी को कई अहम मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया है। सर्वोच्च अदालत का कहना है कि बांध में पानी का स्तर बढ़ने के कारण भागीरथी नदीघाटी में तीन गांवों रौलाकोट, नाकोट, स्यांसु के डूबने की आशंका है। वास्तव में,

प्रयास

सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन  

Submitted by Editorial Team on Thu, 12/08/2022 - 13:06
sitapur-aur-hardoi-ke-36-gaon-milaakar-ho-raha-hai-'naimisharany-tirth-vikas-parishad'-gathan
Source
लोकसम्मान पत्रिका, दिसम्बर-2022
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार
श्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क्षेत्र के भूगर्भ जल स्रोतो का अध्ययन एवं उनके पुनर्नीवन पर लगातार कार्य चल रहा है। वर्षा नल सरक्षण एवं संम्भरण हेतु तालाबें के पुनर्नीवन अनियान के जवर्गत 119 तालाबों का पृनरुद्धार लोक भारती के प्रयासों से सम्पन्न हुआ है।

नोटिस बोर्ड

'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022

Submitted by Shivendra on Tue, 09/06/2022 - 14:16
sanjoy-ghosh-media-awards-–-2022
Source
चरखा फीचर
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
कार्य अनुभव के विवरण के साथ संक्षिप्त पाठ्यक्रम जीवन लगभग 800-1000 शब्दों का एक प्रस्ताव, जिसमें उस विशेष विषयगत क्षेत्र को रेखांकित किया गया हो, जिसमें आवेदक काम करना चाहता है. प्रस्ताव में अध्ययन की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, कार्यप्रणाली, चयनित विषय की प्रासंगिकता के साथ-साथ इन लेखों से अपेक्षित प्रभाव के बारे में विवरण शामिल होनी चाहिए. साथ ही, इस बात का उल्लेख होनी चाहिए कि देश के विकास से जुड़ी बहस में इसके योगदान किस प्रकार हो सकता है? कृपया आलेख प्रस्तुत करने वाली भाषा भी निर्दिष्ट करें। लेख अंग्रेजी, हिंदी या उर्दू में ही स्वीकार किए जाएंगे

​यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ

Submitted by Shivendra on Tue, 08/23/2022 - 17:19
USERC-dvara-tin-divasiy-jal-vigyan-prashikshan-prarambh
Source
यूसर्क
जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र द्वारा आज दिनांक 23.08.22 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो.(डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष 2021 को संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यावरण दिवस की थीम "ईको सिस्टम रेस्टोरेशन" के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रम के निष्कर्षों के क्रम में जल विज्ञान विषयक लेक्चर सीरीज एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रारंभ किया गया

28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें

Submitted by Shivendra on Mon, 07/25/2022 - 15:34
28-july-ko-ayojit-hone-vale-jal-shiksha-vyakhyan-shrinkhala-par-bhag-lene-ke-liye-panjikaran-karayen
Source
यूसर्क
जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला
इस दौरान राष्ट्रीय पर्यावरण  इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अपशिष्ट जल विभाग विभाग के प्रमुख डॉक्टर रितेश विजय  सस्टेनेबल  वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट फॉर लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (Sustainable Wastewater Treatment for Liquid Waste Management) विषय  पर विशेषज्ञ तौर पर अपनी राय रखेंगे।

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