नया ताजा
आगामी कार्यक्रम
खासम-खास
Content
हम सहेज न सके धरोहर
उमरिया, मध्य प्रदेश, 14 मार्च 2010। माफ करियेगा हम आपको कुंए का ठंडा पानी नहीं पिला सकते। ऐसा नहीं कि हमारे नगर में कुंए नहीं है या उनमें ठंडा पानी नहीं रहा। उमरिया का इतिहास कहता है कि उसका एक अपना पानीदार समाज रहा है जो नगर के प्राय: सभी मुहल्लों में सबके पीने के पानी की चिंता करता। उस समाज के बनाए तमाम कुंए तो आज भी मौजूद है, लेकिन कहना गलत न होगा कि ऐसे सभी सार्वजनिक कुंए आज हमारे और प्रशासनिक उपेक्षा की भेंट चढ़ रहे हैं, तो क्या अब इनकी सुध लेने वाला कोई समाज आज जिन्दा है?
‘‘जल ही जीवन है’’ यह उक्ति मगध क्षेत्र के लिए भी उतनी ही सच है जितनी दुनिया के अन्य क्षेत्रों के लिए मगध क्षेत्र से हमारा तात्पर्य उस भौगोलिक क्षेत्र से है जिसके उत्तर में गंगा नदी है और दक्षिण में झारखंड, पूर्व में क्यूल नदी है और पश्चिम में सोन नदी अर्थात संपूर्ण मगही भाषी क्षेत्र।
भौगोलिक बनावट के लिहाज से मगध क्षेत्र की स्थिति काफी विविधतापूर्ण है। इसका दक्षिणी भाग पठारी है, जिसकी तीखी ढाल उत्तर, कहीं-कहीं पूर्वाभिमुख उत्तर की ओर है। उत्तरी भाग मैदानी है। इसकी ढाल भी इसी दिशा की ओर है, लेकिन ढाल कम (लगभग 1.25 मीटर प्रति किलोमीटर) है। उत्तरी भाग में ढाल नहीं के बराबर है। फलतः इस भाग की जमीन लगभग समतल है। पठारी इलाकों में लम्बी घाटियाँ हैं जो मैदान का आकार लिए हुए हैं। सोन एवं पुनपुन के द्वारा बनाया गया मैदान है। इसमें कहीं कम, तो कहीं अधिक गहराई में बालू है जो मुख्य जल स्रोत है। कहीं-कहीं यह जल प्रवाह ऊपर में भी है। यह स्थिति मुख्यतः औरंगाबाद, अरवल और पटना जिले में है।
Pagination
प्रयास
नोटिस बोर्ड
Latest
खासम-खास
Content
उपेक्षा की भेंट चढ़े सार्वजनिक कुंए
हम सहेज न सके धरोहर
उमरिया, मध्य प्रदेश, 14 मार्च 2010। माफ करियेगा हम आपको कुंए का ठंडा पानी नहीं पिला सकते। ऐसा नहीं कि हमारे नगर में कुंए नहीं है या उनमें ठंडा पानी नहीं रहा। उमरिया का इतिहास कहता है कि उसका एक अपना पानीदार समाज रहा है जो नगर के प्राय: सभी मुहल्लों में सबके पीने के पानी की चिंता करता। उस समाज के बनाए तमाम कुंए तो आज भी मौजूद है, लेकिन कहना गलत न होगा कि ऐसे सभी सार्वजनिक कुंए आज हमारे और प्रशासनिक उपेक्षा की भेंट चढ़ रहे हैं, तो क्या अब इनकी सुध लेने वाला कोई समाज आज जिन्दा है?
बुन्देली में जल का महत्व
मगध क्षेत्र के लिए प्रस्तावित जलनीति
जमीन एवं जल स्रोतों की स्थिति
‘‘जल ही जीवन है’’ यह उक्ति मगध क्षेत्र के लिए भी उतनी ही सच है जितनी दुनिया के अन्य क्षेत्रों के लिए मगध क्षेत्र से हमारा तात्पर्य उस भौगोलिक क्षेत्र से है जिसके उत्तर में गंगा नदी है और दक्षिण में झारखंड, पूर्व में क्यूल नदी है और पश्चिम में सोन नदी अर्थात संपूर्ण मगही भाषी क्षेत्र।
भौगोलिक बनावट के लिहाज से मगध क्षेत्र की स्थिति काफी विविधतापूर्ण है। इसका दक्षिणी भाग पठारी है, जिसकी तीखी ढाल उत्तर, कहीं-कहीं पूर्वाभिमुख उत्तर की ओर है। उत्तरी भाग मैदानी है। इसकी ढाल भी इसी दिशा की ओर है, लेकिन ढाल कम (लगभग 1.25 मीटर प्रति किलोमीटर) है। उत्तरी भाग में ढाल नहीं के बराबर है। फलतः इस भाग की जमीन लगभग समतल है। पठारी इलाकों में लम्बी घाटियाँ हैं जो मैदान का आकार लिए हुए हैं। सोन एवं पुनपुन के द्वारा बनाया गया मैदान है। इसमें कहीं कम, तो कहीं अधिक गहराई में बालू है जो मुख्य जल स्रोत है। कहीं-कहीं यह जल प्रवाह ऊपर में भी है। यह स्थिति मुख्यतः औरंगाबाद, अरवल और पटना जिले में है।
Pagination
प्रयास
सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
- Read more about सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
- Comments
नोटिस बोर्ड
'संजॉय घोष मीडिया अवार्ड्स – 2022
यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण प्रारंभ
28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
- Read more about 28 जुलाई को यूसर्क द्वारा आयोजित जल शिक्षा व्याख्यान श्रृंखला पर भाग लेने के लिए पंजीकरण करायें
- Comments
पसंदीदा आलेख