तालाब ज्ञान-संस्कृति : नींव से शिखर तक

उमरिया, मध्य प्रदेश, 14 मार्च 2010। माफ करियेगा हम आपको कुंए का ठंडा पानी नहीं पिला सकते। ऐसा नहीं कि हमारे नगर में कुंए नहीं है या उनमें ठंडा पानी नहीं रहा। उमरिया का इतिहास कहता है कि उसका एक अपना पानीदार समाज रहा है जो नगर के प्राय: सभी मुहल्लों में सबके पीने के पानी की चिंता करता। उस समाज के बनाए तमाम कुंए तो आज भी मौजूद है, लेकिन कहना गलत न होगा कि ऐसे सभी सार्वजनिक कुंए आज हमारे और प्रशासनिक उपेक्षा की भेंट चढ़ रहे हैं, तो क्या अब इनकी सुध लेने वाला कोई समाज आज जिन्दा है?
उमरिया, मध्य प्रदेश, 14 मार्च 2010। माफ करियेगा हम आपको कुंए का ठंडा पानी नहीं पिला सकते। ऐसा नहीं कि हमारे नगर में कुंए नहीं है या उनमें ठंडा पानी नहीं रहा। उमरिया का इतिहास कहता है कि उसका एक अपना पानीदार समाज रहा है जो नगर के प्राय: सभी मुहल्लों में सबके पीने के पानी की चिंता करता। उस समाज के बनाए तमाम कुंए तो आज भी मौजूद है, लेकिन कहना गलत न होगा कि ऐसे सभी सार्वजनिक कुंए आज हमारे और प्रशासनिक उपेक्षा की भेंट चढ़ रहे हैं, तो क्या अब इनकी सुध लेने वाला कोई समाज आज जिन्दा है?
पसंदीदा आलेख